Sahitya Akademi Award 2023: संजीव को हिंदी में तो नीलम शरण को अंग्रेजी में साहित्य अकादमी 2023 पुरस्कार, ये रही पूरी लिस्ट
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Sahitya Akademi Award 2023: संजीव को हिंदी में तो नीलम शरण को अंग्रेजी में साहित्य अकादमी 2023 पुरस्कार, ये रही पूरी लिस्ट

Sahitya Akademi Award Complete List: इस साल संजीव को उनके उपन्यास मुझे पहचानों के लिए अकादमी पुरस्कार दिया जाएगा. संजीव मूल रूप से उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर के रहने वाले हैं. 

 

Sahitya Akademi Award 2023: संजीव को हिंदी में तो नीलम शरण को अंग्रेजी में साहित्य अकादमी 2023 पुरस्कार, ये रही पूरी लिस्ट

Sahitya Akademi Award 2023 for Hindi: साहित्य अकादमी ने 2023 के लिए अलग अलग पुरस्कारों की घोषणा की. साहित्य अकादमी ने हिंदी के लिए संजीव, अंग्रेजी के लिए नीलम शरण गौर और उर्दू के लिए सादिक नवाब सहर समेत 24 भारतीय भाषाओं के लेखकों को प्रतिष्ठित वार्षिक ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार 2023’ से सम्मानित करने की घोषणा की. अकादमी के सचिव के. श्रीनिवास राव ने बताया कि अकादमी ने नौ कविता-संग्रह, छह उपन्यास, पांच कहानी संग्रह, तीन निबंध और एक आलोचना की पुस्तक को पुरस्कार के लिए चुना है.

उन्होंने बताया, "पुरस्कारों की अनुशंसा 24 भारतीय भाषाओं की निर्णायक समितियों द्वारा की गई है तथा साहित्य अकादमी के अध्यक्ष माधव कौशिक की अध्यक्षता में आयोजित अकादमी के कार्यकारी मंडल की बैठक में आज इन्हें अनुमोदित किया गया." उन्होंने बताया कि अगले साल 12 मार्च को आयोजित किए जाने वाले समारोह में विजेता लेखकों को पुरस्कार स्वरूप एक उत्कीर्ण ताम्रफलक, शॉल और एक-एक लाख रुपये की राशि दी जाएगी. अवॉर्ड में उर्दू, हिंदी और अंग्रेजी के अलावा असमिया, बंगाली, डोगरी , कन्नड़, मराठी और मलयालम जैसे क्षेत्रीय भाषाएं शामिल हैं.

इस साल संजीव को उनके उपन्यास मुझे पहचानों के लिए अकादमी पुरस्कार दिया जाएगा. संजीव मूल रूप से उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर के रहने वाले हैं. नीलम  शरण गौरे को अंग्रेजी भाषा में साहित्य अकादमी पुरस्कार के लिए चुना गया है.

साहित्य अकादमी पुरस्कार, सन् 1958 से हर साल भारतीय भाषाओं की सबसे अच्छी कृतियों को दिया जाता है. पुरस्कार की स्थापना के समय पुरस्कार राशि 5 हजार रुपये थी, जो साल 1983 में बढ़ाकर 10 हजार रुपये कर दी गई और साल 1988 में बढ़ाकर इसे 25 हजार रुपये कर दिया गया. इसके बाद साल 2001 से यह राशि 40 हजार रुपये की गई और उसके बाद साल 2003 में यह राशि बढ़ाकर 50 हजार रुपये कर दी गई थी. फिर सरकार ने साल 2009 में इस पुरस्कार की राशि को 50 हजार से बढ़ाकर 1 लाख रुपये कर दिया था.

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