जिले को प्राप्त हुई यूरिया से जिले के सहकारी क्षेत्र के उर्वरक प्रतिष्ठानों (सहकारी समितियों) के माध्यम से कृषकों को यूरिया उर्वरक उपलब्ध करवाया जाएगा.
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Jalore News: जिले में रेलवे रैक पोईंट जालोर पर कृभकों कंपनी को एक रैक यूरिया की प्राप्त हुई है, जिससे जिले के किसानों को यूरिया की कोई कमी नहीं रहेगी.
कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ.आर.बी.सिंह ने बताया कि जिले को प्राप्त हुई यूरिया से जिले के सहकारी क्षेत्र के उर्वरक प्रतिष्ठानों (सहकारी समितियों) के माध्यम से कृषकों को यूरिया उर्वरक उपलब्ध करवाया जाएगा.
इसी के साथ ही जालोर रेलवे रैक पोईंट पर राष्ट्रीय केमिकल्स एंड फर्टिलाईजर्स (आरसीएफ) कंपनी का एक रैक शुक्रवार को आने की संभावना है. इस रैक से जिले के निजी उर्वरक प्रतिष्ठानों के माध्यम से कृषकों को यूरिया उपलब्ध करवाया जाएगा.
इसके अतिरिक्त सुमेरपुर के पास जवाई बांध रेलवे स्टेशन रेक पोईंट पर ईफको कंपनी का एक रैक यूरिया आ रहा है, जिससे जिले की सहकारी समितियों के माध्यम से यूरिया उर्वरक कृषकों को उपलब्ध करवाया जाएगा. जोधपुर रेलवे रैक पोईंट पर ईफको का एक रैक यूरिया प्राप्त हो चुका है, वहां से भी सहकारी समितियों को यूरिया आपूर्ति करवाई जाएगी.
बाड़मेर रेलवे रैक पोईंट पर भी ईफको कंपनी का एक रैक यूरिया आ रहा है, जिससे बाड़मेर जिले के नजदीक जालोर जिले की सहकारी समितियों को यूरिया उर्वरक उपलब्ध करवाया जाएगा.
उन्होंने बताया कि जिले में रबी मौसम के लिए चालीस हजार मैट्रिक टन यूरिया उर्वरक की मांग की गई थी. यह मांग अक्टूबर माह से जनवरी माह तक कृषकों की आवश्यकता अनुसार, आंकलन की गई थी. अब तक जिले में लगभग 18 हजार मैट्रिक टन यूरिया प्राप्त हो चुका है.
उल्लेखनीय है कि फसलों में सिंचाई के दौरान विभिन्न अवस्थाओं पर यूरिया उर्वरक की आवश्यकता होती है. जिले में आवश्यकतानुसार, निजी एवं सहकारी क्षेत्रों में यूरिया उर्वरक की आपूर्ति की जाएगी, जिससे किसी प्रकार की कमी नहीं रहेगी.
उन्होंने कृषकों से अनुरोध किया हैं कि वे पूरे सीजन का यूरिया उर्वरक एक साथ क्रय कर भंडारण नहीं करें और तात्कालिक आवश्यकता के अनुरूप ही यूरिया उर्वरक का क्रय करें. यूरिया उर्वरक के अतिरिक्त नैनो यूरिया घुलनशील अवस्था में बोतल में पर्याप्त मात्रा में जिले मे उपलब्ध है. इसका प्रयोग भी कृषक पानी में घोलकर छिड़काव कर उपयोग में ले सकते हैं. नैनो यूरिया सीधे ही पत्तियों के रन्ध्र के माध्यम से पौधों को उपलब्ध हो जाता है और इसका कोई नुकसान पौधों मे नहीं देखा गया है. उन्होंने कृषकों से अपील की हैं कि वे नैनो यूरिया का उपयोग करें और अपनी फसल की पैदावार बढ़ाएं.
Reporter- Dungar Singh