Year Ender 2024: इस साल खट्टे मीठे अनुभव से गुजरी बीजेपी, लोकसभा की गंवाई सीटें, तो पार्टी को मिला नया अध्यक्ष
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Year Ender 2024: इस साल खट्टे मीठे अनुभव से गुजरी बीजेपी, लोकसभा की गंवाई सीटें, तो पार्टी को मिला नया अध्यक्ष

Year Ender 2024: वर्ष 2024 राजस्थान बीजेपी के लिए खट्टे मीठे अनुभव वाला रहा है. इस साल बीजेपी को लोकसभा सीटें गंवानी पड़ी। वहीं पार्टी से संगठन महामंत्री दूर हुए. वहीं लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद प्रदेश अध्यक्ष को पद छोड़ना पड़ा.

Year Ender 2024: इस साल खट्टे मीठे अनुभव से गुजरी बीजेपी, लोकसभा की गंवाई सीटें, तो पार्टी को मिला नया अध्यक्ष
Year Ender 2024: वर्ष 2024 राजस्थान बीजेपी के लिए खट्टे मीठे अनुभव वाला रहा है. इस साल बीजेपी को लोकसभा सीटें गंवानी पड़ी। वहीं पार्टी से संगठन महामंत्री दूर हुए. वहीं लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद प्रदेश अध्यक्ष को पद छोड़ना पड़ा. लेकिन पार्टी को नया प्रदेश अध्यक्ष भी मिला.
 
हालांकि पांच महीने बीत गए लेकिन कार्यकारिणी नहीं मिल पाई. अब नए साल में ही पार्टी को नई कार्यकारिणी मिल पाएगी. दूसरी ओर उपचुनाव में बीजेपी ने सात में से पांच सीटें जीतकर साख बढ़ाने का काम किया.
 
वर्ष 2023 का बीतता साल भाजपा के लिए नई उम्मीद और नई किरण लेकर आया, जब बीजेपी को राजस्थान विधानसभा चुनाव में सत्ता मिली. भजनलाल शर्मा ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. मंत्रिमंडल की शपथ के साथ ही इस साल का नया सवेरा हुआ. विधानसभा चुनाव में मिली सफलता के सहारे बीजेपी कामयाबी के रथ सवार चल रही थी. इस बीच विधानसभा चुनाव में भाजपा को अपेक्षित सफलता मिली. विधानसभा चुनाव में जीत के रणनीतिकार और पार्टी के संगठन महामंत्री चंद्रशेखर को जनवरी में राजस्थान से मुक्त कर तेलंगाना की जिम्मेदारी सौंपी. चंद्रशेखर के जाने के बाद से बीजेपी को अभी तक संगठन महामंत्री का इंतजार है.
 
विधानसभा चुनाव जीतने के बाद प्रदेश बीजेपी में सबकुछ सामान्य चल रहा था. इस बीच लोकसभा चुनाव आए तो संगठन में बदलाव की तदबीर भी लिख दी गई. भाजपा लोकसभा चुनाव 2014 और 2019 से अजय बढ़त के साथ विजय रथ पर सवार चल रही थी. बीजेपी के इस विजय रथ को 2024 के लोकसभा चुनाव परिणाम में जोर का झटका धीरे से लगा लगा. दो बार से 25 में से 25 सीटें जीतने वाली भाजपा को इस लोकसभा चुनाव में 25 सीटों में सिर्फ 14 सीटों पर जीत हासिल हो पाई और उसे 11 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा. इसके पीछे संगठन महामंत्री का भी नहीं होना हार का बड़ा कारण रहा.
 
इधर सत्ता में होने बावजूद पार्टी की हुई इस अप्रत्यशित हार का खामियाजा तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी को अध्यक्ष पद गवां कर चुकाना पड़ा. हार की नैतिक जिम्मेदारी के साथ जोशी ने इस्तीफे की पेशकश की और पार्टी आलाकमान ने उसे स्वीकार कर लिया. पार्टी नेतृत्व ने राज्यसभा सभा सांसद मदन राठौड़ को बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष पद पर नियुक्त करते हुए बड़ी जिम्मेदारी दी. अगस्त के पहले हफ्ते में मदन राठौड़ ने अध्यक्ष पद संभाला. राठौड़ ने अध्यक्ष पद संभालने के साथ खेमों में बटी भाजपा को एक जाजम पर लाने का काम किया. राठौड़ के पदभार ग्रहण समारोह में लंबे समय से पार्टी गतिविधियों से चल रही पूर्व सीएम वसुंधरा राजे मंच पर पहुंची, इसके साथ पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सहित केंद्रीय मंत्री और अन्य वरिष्ठ नेता राठौड़ की ताजपोशी में शामिल हुए तो संगठन में एक जुटता का संदेश गया.
 
पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी ने अगस्त 2023 में युवा मोर्चा में बदलाव करते हुए अंकित चेची युवा मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष बनाया. चेची ने पद संभालने के साथ तत्कालीन कांग्रेस सरकार में एक के बाद एक दो विरोध प्रदर्शन में लाठीचार्ज चार्ज के जरिये सुर्खियां बटोरी, लेकिन अध्यक्ष बनने के 16 महीने बाद भी अपनी टीम नही बना सके. भाजपा युवा मोर्चा के नए प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के बाद संगठन की नई कार्यकारिणी के गठन का इंतजार अभी तक है. हालांकि ऐसा नहीं है. 
 
पूर्व प्रदेश जोशी के समय भी अंकित चेची ने अपनी टीम की सूची तैयार की, लेकिन जोशी ने उसे खारिज कर दिया. इसके बाद प्रदेश अध्यक्ष बदल गए, नए अध्यक्ष बनने के बाद अंकित चेची ने फिर अपनी टीम की सूची मदन राठौड़ को सौंपी, अध्यक्ष ने उसे जारी करने के निर्देश भी दिए, लेकिन सूची जारी होने के 53 मिनट बाद पार्टी की ओर से इस नई कार्यकारिणी को भंग कर दिया. पार्टी के ऑफिशियल सोशल मीडिया अकाउंट पर स्पष्ट किया गया कि यह लिस्ट त्रुटिवश जारी हो गई थी, इसलिए इसे निरस्त किया जाता है. इसके बाद चेची अपनी टीम की घोषणा नहीं करवा पाए हैं.
 
बीजेपी में नए अध्यक्ष मदन राठौड़ के साथ ही नए प्रदेश प्रभारी के रूप में राधामोहन दास अग्रवाल को नियुक्त किया गया. अग्रवाल प्रदेश प्रभारी के रूप में अपनी छाप नहीं छोड़ पा रहे हैं. उपचुनावों को छोड़कर प्रदेश प्रभारी अग्रवाल ज्यादातर अपने गृह राज्य में ही रहे. कई महत्वपूर्ण मौकों पर भी अग्रवाल राजस्थान नहीं आए. इसके अलावा युवा मोर्चा सूची विवाद और प्रदेश कार्यकारिणी पर भी मशक्कत नहीं करवा पाए हैं. प्रदेश सहप्रभारी विजया राहटकर का कद बढ़ा, राहटकर राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष नियुक्त की गईं.
 
मौजूदा इस साल में बीजेपी को आश्चर्य करने वाली सफलता भी मिली है. बीजेपी ने सात सीटों पर हुए उपचुनाव में पांच सीटें जीतकर सारे अनुमानों को फेल कर दिया. इन सात सीटों में बीजेपी के पास केवल एक सीट थी. ऐसे में बीजेपी ने तीन कांग्रेस से तथा एक आरएलपी से सीट छीन ली. इस जीत से उत्साहित भाजपा ने ईआरसीपी समझौता को लागू करने के लिए पीएम की सभा करवाई. पीएम की सभा में लोगों की अधिकतम उपस्थिति का रिकॉर्ड टूटा. पीएम लोगों को 46 हजार 400 करोड़ की सौगात देकर गए हैं.
 
इधर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ सत्ता और संगठन के बीच तालमेल बिठाने के लिए बेहतर तरीके से काम करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उन्हें जल्द अपनी टीम बनाकर एक मैसेज देना होगा. बीत रहे साल के आखिर में सरकार ने तीन संभाग और नौ जिलों को खत्म कर दिया. अब नए साल में सरकार के साथ ही पार्टी को भी जनता के सामने इससे रूबरू होना पड़ेगा.

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