Rajasthan News: गंगापुर सिटी को जिला खत्म करने पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जवाब, याचिकाकर्ता को भी चेताया
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Rajasthan News: गंगापुर सिटी को जिला खत्म करने पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जवाब, याचिकाकर्ता को भी चेताया

Rajasthan High Court: राजस्थान की भजनलाल सरकार ने गत दिसंबर माह में पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में बने जिलों में 9 जिलों को निरस्त कर दिया था, जिसमें से एक गंगापुर सिटी भी है. इस मामले को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है.

Rajasthan High Court

Rajasthan News: राजस्थान हाईकोर्ट ने पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार की ओर से बनाए गए गंगापुर सिटी जिले को खत्म करने के मामले में राज्य सरकार को यह बताने को कहा है कि जिला खत्म करने निर्णय विवेक का इस्तेमाल कर लिया गया है या नहीं? वहीं अदालत ने याचिकाकर्ता को बताने को कहा है कि उन्होंने जनहित याचिका पेश करने से पूर्व राज्य सरकार से इस संबंध में जानकारी जुटाने के लिए क्या किया है? अदालत ने याचिकाकर्ता को मौखिक रूप से चेताया है कि यदि इस संबंध में कोई ठोस आधार नहीं बताया गया तो जनहित याचिका को भारी हर्जाने के साथ खारिज किया जा सकता है. सीजे एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस उमाशंकर व्यास की खंडपीठ ने यह आदेश गंगापुर सिटी विधायक रामकेश मीणा की ओर से दायर जनहित याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए.

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता सारांश सैनी ने अदालत को बताया कि गंगापुर सिटी को जिले का दर्जा निर्धारित मापदंड के तहत दिया गया था. प्रदेश में सरकार बदलने के बाद जिलों को लेकर राजनीति शुरू हुई और अब राजनीतिक द्वेषता के चलते ही कुछ जिलों का दर्जा समाप्त कर दिया गया है. गंगापुर सिटी से जिला का दर्जा समाप्त करने के पीछे भी सरकार की राजनीतिक द्वेषता ही है. याचिका में कहा गया कि सरकार ने करीब डेढ़ साल पहले गंगापुर सिटी को जिला बनाया था और उसके बाद यहां कई प्रशासनिक नियुक्तियां हो चुकी हैं. यहां विभाग भी बतौर जिला स्तर पर काम कर रहे हैं. कमेटी ने लोगों से आपत्तियां मांगने के बाद इसे जिला घोषित किया था. ऐसे में अब महज राजनीतिक द्वेषता के चलते इसे जिला निरस्त करना गलत है. 

वहीं, अदालत ने याचिकाकर्ता से पूछा कि उन्होंने जनहित याचिका दायर करने से पहले राज्य सरकार से जिला निरस्त करने के आधारों की जानकारी मांगने के लिए क्या कार्रवाई की. याचिकाकर्ता राज्य सरकार के समक्ष सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी ले सकता था, लेकिन याचिका में ऐसा कोई दस्तावेज पेश नहीं किया गया है. ऐसे में अदालत राज्य सरकार से सिर्फ इस बिंदु पर जवाब मांग रही है कि क्या जिला निरस्त करने का निर्णय विवेक से लिया गया है या नहीं? अदालत ने कहा कि जिलों का गठन, पुनर्गठन, सडक़, पूल आदि निर्माण की जगह तय करना सरकार का काम है. 

गौरतलब है कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने अगस्त, 2023 में 3 नए संभाग और 19 जिलों का गठन किया था. गत दिसंबर माह सरकार ने तीनों संभागों के साथ ही 9 जिलों को निरस्त करते हुए 8 जिलों को यथावत रखा था.

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