Jaipur News: राइजिंग राजस्थान की तैयारियों के तहत हुआ स्वच्छ सर्वेक्षण, रात्रिकालीन सफाई व्यवस्था से लेकर कचरा संग्रहण पर फोकस
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Jaipur News: राइजिंग राजस्थान की तैयारियों के तहत हुआ स्वच्छ सर्वेक्षण, रात्रिकालीन सफाई व्यवस्था से लेकर कचरा संग्रहण पर फोकस

Jaipur News: नगर निगम ग्रेटर प्रशासन ने स्वच्छता सर्वेक्षण और राइजिंग राजस्थान की तैयारियां शुरू कर दी हैं. स्वच्छता सर्वेक्षण की टूल किट के अनुसाार नगर निगम ग्रेटर प्रशासन तैयारियों को अंतिम रूप देने में लगा हैं.

 

Jaipur News: राइजिंग राजस्थान की तैयारियों के तहत हुआ स्वच्छ सर्वेक्षण, रात्रिकालीन सफाई व्यवस्था से लेकर कचरा संग्रहण पर फोकस

Jaipur News: नगर निगम ग्रेटर प्रशासन ने स्वच्छता सर्वेक्षण और राइजिंग राजस्थान की तैयारियां शुरू कर दी हैं. स्वच्छता सर्वेक्षण की टूल किट के अनुसाार नगर निगम ग्रेटर प्रशासन तैयारियों को अंतिम रूप देने में लगा हैं. इस बार स्वच्छ सर्वेक्षण की परीक्षा 9500 अंक की हैं, तो तैयारियां भी उसी अनुरूप होनी जरूरी हैं.

रात्रिकालीन सफाई व्यवस्था से लेकर डोर टू डोर कचरा संग्रहण पर फोकस किया जा रहा है. खुले में शौच’ (येलो स्पॉट) और ‘खुले में थूकने’ (रेड स्पॉट) के पैरामीटर्स पर भी शहरों का मूल्यांकन किया जाएगा तो उन्हें भी खत्म करने का काम नगर निगम की टीमें करने में जुट गई हैं.

इसके लिए नगर निगम मुख्यालय से लेकर जोन स्तर पर दीपावली से पहले ऑफिसेज में सफाई अभियान चलाया जा रहा है. पुरानी फाइलों को डिस्पोजल किया जा रहा हैं. दीपावली से पहले घरों से निकलने वाले कचरे को हूपर में ही डाले. उन्होंने कहा की रेड स्पॉट को खत्म किया जा रहा है. नगर निगम ग्रेटर आयुक्त रूक्मणी रियाड ने कहा की मन बदलेंगे तो हमें स्वच्छ सर्वेक्षण में अच्छे अंक मिल सकते हैं.

स्वच्छ शहर की संकल्पना के लिए बुरी आदतें बदलनी होगी. रियाड ने बताया की इस स्वच्छता सर्वेक्षण में टूल किट के अनुसार इस बार की थीम श्री आर यानी रिड्यूज, रियूज, रिसाइकिल और बैकलेन (घर के पीछे की गली) पर आधारित हैं. इसमें बैकलेन को पहली बार शामिल किया गया है. उन्होने कहा की पेंटिंग, डिवाइडर, हैंगिंग प्लांट्स, रोड रिपेयर का काम चल रहा है. ओपन डिपो को खत्म किया जा रहा है. इस सर्वेक्षण में 9500 अंक होंगे.

इसमें 60 प्रतिशत यानी 5705 अंक सर्विस लेवल प्रोग्रेस पर तय किए हैं. जबकि सर्टिफिकेशन पर 26 प्रतिशत यानी 2500 अंक और 14 प्रतिशत बानी 1295 अंक जन आंदोलन के लिए रहेंगे. तीन स्तरों में बांटे गए इस मूल्यांकन मापदंड में जनता की भी जिम्मेदारी तय की गई है. जनता की भूमिका 14 फीसदी 1295 अंकों तक निर्धारित है. शहरवासियों की आदतों पर भी सर्वेक्षण के मानक निर्भर हैं. खास तौर पर स्रोत पृथक्करण, अपशिष्ट संग्रह, घरों में ही सूखे एवं गीले कचरे को अलग अलग करना दैनिक आदतों में शामिल किया जाना है.

जलाशय और सार्वजनिक स्थानों में कचरे को न फेंकना, अनुपयोगी आइटम, पुराने कपड़े और किताबें थ्रीआर सेंटर में जमा करवाकर जरूरतमंदों को देना. इस तरह की गतिविधियों को अपनाकर शहरवासी अपनी ओर से स्वच्छ सर्वेक्षण में सहभागिता दे सकते हैं. अक्सर आवासीय एवं व्यावसायिक क्षेत्रों में रेड स्पॉट देखे जाते हैं, जो आमजन के पान-गुटखा खाकर थूकने से बने होते हैं. खुले में टॉयलेट करने की आदत के कारण यलो स्पॉट भी रैंकिंग में अंकों को कम कर सकती है. दोनों के लिए 60-60 अंक निर्धारित हैं.

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