30 साल बाद मालवा के हाथ में MP की कमान, बीजेपी की सोशल इंजीनियरिंग के साथ संघ का 'प्रयोग' भी!
Advertisement
trendingNow12006560

30 साल बाद मालवा के हाथ में MP की कमान, बीजेपी की सोशल इंजीनियरिंग के साथ संघ का 'प्रयोग' भी!

मालवा क्षेत्र को संघ-भाजपा की 'हिंदुत्व की प्रयोगशाला' कहा जाता है. मोहन यादव को सीएम का पद देकर भाजपा ने बड़ा संकेत दिया है. तीन दशक बाद इस क्षेत्र का कोई नेता सीएम बनने जा रहा है. इसमें जातिगत समीकरण को साधने के साथ ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अहम भूमिका मानी जा रही है. 

30 साल बाद मालवा के हाथ में MP की कमान, बीजेपी की सोशल इंजीनियरिंग के साथ संघ का 'प्रयोग' भी!

मध्य प्रदेश में OBC मुख्यमंत्री, ब्राह्मण और दलित डिप्टी सीएम और ठाकुर बिरादरी से विधानसभा अध्यक्ष होंगे. राज्यपाल मंगू भाई पटेल भी आदिवासी समाज से आते हैं. यह भाजपा की सोशल इंजीनियरिंग को बताने के लिए काफी है. जी हां, बीजेपी के कद्दावर नेता नरेंद्र सिंह तोमर को विधानसभा अध्यक्ष बनाया गया है जबकि प्रदेश सरकार में मंत्री रहे जगदीश देवड़ा और राजेंद्र शुक्ला को डिप्टी नियुक्त किया गया है. राजेंद्र शुक्ला पार्टी में बड़े ब्राह्मण चेहरे के तौर पर जाने जाते हैं. इन्हें चुनाव से ठीक पहले मंत्रिमंडल में जगह दी गई थी. इनके जरिए विंध्य क्षेत्र को साधने की कोशिश की गई है. मालवा क्षेत्र को वापस एमपी की कमान देकर भाजपा ने एक तरफ सोशल इंजीनियरिंग तो की है, इसे संघ का प्रयोग भी माना जा रहा है. 

एमपी में ओबीसी

बीजेपी का सामाजिक गणित समझने से पहले मध्य प्रदेश का यह समीकरण जानना जरूरी है. प्रदेश में 50 फीसदी से ज्यादा ओबीसी आबादी है. ओबीसी कार्ड के जरिए ही लोकसभा चुनाव के लिए पूरी बिसात बिछाई गई है. बीजेपी ने विधानसभा चुनाव में 68 ओबीसी नेताओं को टिकट दिया था जिसमें 44 चुनाव जीते. उधर, कांग्रेस ने 59 ओबीसी नेताओं को टिकट दिया था जिनमें सिर्फ 16 जीते. OBC समुदाय मध्य प्रदेश की सियासत के केंद्र में रहा है. ये लोकसभा की सीटों पर भी बीजेपी को फायदा पहुंचा सकते हैं. मध्य प्रदेश में यादव मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा ने यूपी और बिहार में भी मैसेज देने की कोशिश की है. पार्टी को उम्मीद है कि लोकसभा चुनाव में इसका फायदा मिल सकता है. बिहार और उत्तर प्रदेश में यादव सबसे बड़ी सिंगल जाति है, वैसे भी राजनीति में यादवों का अच्छा-खासा प्रभाव है. 

मालवा क्षेत्र का दबदबा

एमपी में एक बात पर और ध्यान देने की जरूरत है. करीब 30 साल बाद बीजेपी ने मालवा के किसी नेता को प्रदेश की कमान सौंपी है. इससे पहले 1990 में यहां के सुंदरलाल पटवा मुख्यमंत्री बने थे. इस बार सीएम मोहन यादव और डेप्युटी सीएम देवड़ा दोनों मालवा क्षेत्र से हैं. मध्य प्रदेश की राजनीति को करीब से समझने वाले राज्य के मालवा रीजन को हिंदुत्व की प्रयोगशाला बताते हैं. मालवा क्षेत्र ने अब तक 5 मुख्यमंत्री दिए हैं. इसमें वीरेंद्र सखलेचा, सुंदरलाल पटवा, कैलाश जोशी, प्रकाश चंद सेठी, भगवंतराव मंडलोई का नाम शामिल है.

जातिगत समीकरण को साधने के लिए रीवा विधायक राजेंद्र शुक्ला को डेप्युटी सीएम बनाया गया है. वैसे भी बीजेपी में पीढ़ी परिवर्तन की प्रक्रिया चलती आई है, एमपी में करीब दो दशक से बंद था. कुछ लोगों का मानना है कि अयोध्या में राम मंदिर बनने के बाद भाजपा के फोकस में उज्जैन बढ़ेगा. ऐसे में यह भी कहा जा रहा है कि इस सिलेक्शन में संघ की ही चली है. मालवा के जरिए पुराने प्रयोग पर लौटना भी कह सकते हैं. 

Breaking News in Hindi और Latest News in Hindi सबसे पहले मिलेगी आपको सिर्फ Zee News Hindi पर. Hindi News और India News in Hindi के लिए जुड़े रहें हमारे साथ.

TAGS

Trending news