Maharashtra Politics: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे के बीच कई मुद्दों पर मतभेद बढ़ते हुए दिखाई दे रहे हैं. पिछले नवंबर आए नतीजों के बाद भाजपा ने फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला लिया था, जिसके बाद शिवसेना प्रमुख शिंदे को डिप्टी पद से संतोष करना पड़ा था. अब दोनों के बीच कई मुद्दों पर तकरार जारी है.
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Maharashtra Politics: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे के बीच कई मुद्दों पर मतभेद बढ़ते हुए दिखाई दे रहे हैं, जिनमें संरक्षक मंत्री की नियुक्ति से लेकर अलग-अलग समीक्षा बैठकें करना शामिल है. भाजपा के नेतृत्व वाले तीन दलों के गठबंधन महायुति ने तीन महीने पहले महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीट में से 230 सीट जीतकर सरकार बनाई थी. हालांकि, दोनों के बीच मतभेद की अटकलों पर फुल स्टॉप लगाने के लिए कोई भी स्पष्टीकरण या दावा नाकाफी साबित हो रहा है.
दरअसल, पिछले नवंबर आए नतीजों के बाद भाजपा ने फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला लिया था, जिसके बाद शिवसेना प्रमुख शिंदे को डिप्टी पद से संतोष करना पड़ा था. शिंदे के समर्थकों का मानना है कि सीएम के तौर पर उनके ढाई साल के कार्यकाल (जून 2022 से नवंबर 2024) के दौरान लिए गए फैसलों, विकास और कल्याणकारी योजनाओं के कारण ही भाजपा, शिवसेना और राकांपा के गठबंधन को विधानसभा चुनाव में जीत मिली.
फडणवीस और शिंदे ने अपने बीच किसी भी तरह के मतभेद से किया इनकार
शिवसेना नेताओं के मुताबिक, शिंदे डिप्टी का पद स्वीकार करने के इच्छुक नहीं थे, लेकिन उनकी पार्टी के सहयोगियों और भाजपा के टॉप लीडरों ने उन्हें फडणवीस के नेतृत्व वाली सरकार का हिस्सा बनने के लिए मना लिया था. मंत्रियों को शपथ दिलाने के बाद विभागों के बंटवारे में करीब एक सप्ताह का वक्त लग गया. हालांकि, फडणवीस और शिंदे दोनों ने अपने बीच किसी भी तरह के मतभेद से इनकार किया है और सब कुछ ठीक होने का मैसेज देने की कोशिश की है, लेकिन कई उदाहरण इसके उलट संकेत दे रहे हैं.
क्या है विवाद?
रायगढ़ और नासिक जिलों के संरक्षक मंत्रियों को लेकर फैसले से दरार बढ़ती देखी गई. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की विधायक अदिति तटकरे और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता गिरीश महाजन की क्रमश: रायगढ़ और नासिक के संरक्षक मंत्री के रूप में नियुक्ति से शिवसेना नाराज थी. हालांकि दोनों नियुक्तियों को रोक दिया गया है, फिर भी मामला अनसुलझा है. बात यहीं नहीं रुकी, सीएम के 'वॉर रूम' के अलावा, दोनों डिप्टी सीएम अजित पवार और शिंदे ने उन परियोजनाओं पर नजर रखने के लिए निगरानी यूनिट्स बनाईं. ये परियोजनाएं उन जिलों के अंतर्गत आती हैं, जिनके वे संरक्षक मंत्री हैं.
मुख्यमंत्री राहत कोष होते हुए भी शिंदे ने राज्य सचिवालय में एक मेडिकल ऐड रूम स्थापित किया. शिंदे उत्तरी महाराष्ट्र शहर में 2027 कुंभ मेले की तैयारियों पर चर्चा के लिए नासिक क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण (एनआरडीए) की बैठक समेत फडणवीस द्वारा बुलाई गईं कई बैठकों से दूर रहे.
फडणवीस और शिंदे के बीच 'शीत युद्ध'?
फडणवीस द्वारा उद्योग विभाग की समीक्षा बैठक करने के बाद शिंदे ने हाल ही में एक और बैठक की. उद्योग विभाग शिवसेना के मंत्री उदय सामंत के पास है. इसके अलावा शिवसेना के 20 विधायकों की सुरक्षा कम करने या हटाने के बाद दरार और अधिक बढ़ने की आशंका है. जून 2022 में पार्टी में विभाजन के बाद उन्हें 'वाई' श्रेणी ( Y Category ) की सुरक्षा दी गई थी. सीनियर पत्रकार प्रकाश अकोलकर ने बताया कि दोनों नेताओं (फडणवीस और शिंदे) के बीच 'शीत युद्ध' जारी रह सकता है.
अकोलकर ने दावा किया, 'शिंदे अपना ईनाम मांग रहे हैं क्योंकि विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद उन्हें और ज्यादा की उम्मीद थी. लेकिन ऐसा नहीं हो सका क्योंकि भाजपा ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया. साफ है कि दोनों एक दूसरे के खिलाफ हैं. प्रदेश भाजपा में फडणवीस के प्रतिद्वंद्वी भी शिंदे का समर्थन कर रहे हैं. भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से फडणवीस का कद छोटा करने के लिए शिंदे का समर्थन कर रहा है.' उन्होंने कहा कि भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के सात लोकसभा सदस्यों के समर्थन की भी जरूरत है.
कांग्रेस ने साधा निशाना
वहीं, महाराष्ट्र कांग्रेस के उपाध्यक्ष रत्नाकर महाजन ने कहा, 'गठबंधन सरकार होने की वजह से, लूटे हुए माल के बंटवारे को लेकर मतभेद होना ही है. राजनीतिक फायदे के कारण वे एक-दूसरे से आगे बढ़ने की दौड़ पर खुलकर नहीं बोल सकते. भाजपा के लिए बड़ा हिस्सा मांगना काफी स्वाभाविक है क्योंकि पहले की तुलना में उनके विधायकों संख्या दोगुनी हो गई है.'
शिंदे और फडणवीस दोनों ही अपने बीच दरार से इनकार करते रहे हैं. मंगलवार को पार्टी की एक बैठक में, शिंदे ने महायुति गठबंधन में 'शीत युद्ध' की अटकलों को खारिज कर दिया और कहा कि 'सब कुछ 'ठंडा ठंडा' है.'
डिप्टी सीएम का कांग्रेस को जवाब
डिप्टी सीएम ने कहा, 'हम उन लोगों के साथ जंग कर रहे हैं जो विकास विरोधी हैं.' शिंदे ने कहा कि विपक्षी महा विकास आघाडी (एमवीए) के विपरीत, महायुति का एजेंडा पदों की लालसा या सत्ता की लूट का माल साझा करना नहीं है, बल्कि महाराष्ट्र के विकास को बढ़ावा देना और लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाना है. शिंदे ने कहा कि सीएम फडणवीस के साथ 'कतई शीत युद्ध नहीं' है.
मीडिया प्रकोष्ठ बनाने को लेकर पत्रकारों के एक सवाल का जवाब देते हुए, फडणवीस ने कहा, 'ऐसे प्रकोष्ठ के गठन में कुछ भी गलत नहीं है क्योंकि इसका मकसद लोगों की मदद करना है. जब मैं उपमुख्यमंत्री था, तो मैंने ऐसा ही एक प्रकोष्ठ बनाया था.' शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने दावा किया है कि राज्य में एक "समानांतर सरकार" चल रही है. ( भाषा इनपुट के साथ )