Chandra Grahan 2022: उज्जैन में क्यों नहीं होता किसी भी ग्रहण का असर, फिर भी निभाई जाती है सूतक परंपरा,वजह है खास
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Chandra Grahan 2022: उज्जैन में क्यों नहीं होता किसी भी ग्रहण का असर, फिर भी निभाई जाती है सूतक परंपरा,वजह है खास

Chandra Grahan 2022: मान्यता के अनुसार बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में किसी ग्रहण का प्रभाव नहीं दिखता क्योंकि बाबा महाकाल स्वयं समय के नियंत्रक हैं और उनके आगे किसी का भी बस नहीं है.

Chandra Grahan 2022

राहुल सिंह राठौड़/उज्जैन: आज 8 नवंबर को साल का आखिरी चंद्रग्रहण कुछ ही देर में लगने वाला है.हालांकि बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में किसी भी व्यक्ति पर ग्रहण का असर नहीं होता. यहां सिर्फ सूतक की ख़ास परंपरा निभाई जाती है और इसका कारण है कि मान्यता के अनुसार ग्रहण के दिन भगवान कष्ट में रहते हैं और मनुष्यों की वजह से उन्हें कोई तकलीफ न हो इसलिए सूतक की परंपरा निभाई जाती है. 

इसलिए नहीं होता किसी भी ग्रहण का असर
दरअसल,विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन सप्तपुरि‍यों में से एक तीर्थ नगरी कहलाती है. जहां हर रोज बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है.आज साल का आखिरी चंद्रग्रहण है जो कि आंशिक रूप से भारत के पूर्वी भाग को छोड़कर पूरे भारत में दिखाई देगा. बता दें कि मान्यता है कि ग्रहण को लेकर बाबा महाकाल की नगरी में कोई खास असर इसलिए नहीं देखा जाता क्योंकि बाबा महाकाल खुद काल के नियंत्रक हैं और उनके आगे किसी का भी बस नहीं है.

 

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सूतक की परंपरा का होता है निर्वहन 
इसी क्रम में मंदिरों में दर्शन की प्रक्रिया जारी रहती है.सिर्फ सूतक की परंपरा का निर्वहन प्रत्येक मंदिर में किया जाता है.इस दौरान महाकाल मंदिर सहित तमाम मंदिरों के गर्भगृह में प्रवेश प्रतिबंध रहता है. देर शाम ग्रहण समाप्ति के बाद ही मंदिरों के जल से शुद्धिकरण के बाद गर्भगृह में प्रवेश का क्रम जारी रहता है और संध्या पूजन किया जाता है. पूरे ग्रहण के दौरान भगवान का एक ही श्रृंगार रहता है और गर्भगृह में पुजारी पुरोहित मंत्रोच्चार करते रहते हैं. गर्भ ग्रह में प्रतिमा को शिवलिंग को स्पर्श नहीं किया जाता है.

इसलिए होती है सूतक
मंदिर के पुजारियों का कहना है कि ग्रहण के दिन भगवान खुद कष्ट में रहते हैं. उनके कष्ट में रहते हुए उन्हें भगवान से कोई तकलीफ ना हो.इसके चलते तमाम मंदिरों के गर्व ग्रहण में सूतक. जिसे धर्म की दृष्टि से वेद शब्द दिया गया है और उसी परंपरा को निभाया जाता है. इस दौरान गर्भ गृह में शिवलिंग प्रतिमाओं को छुआ नहीं जाता.सिर्फ पुजारी गर्भ में रहकर में बैठकर मंत्रोच्चार करते हैं और भगवान के इस कष्ट से बाहर आने तक प्रार्थना की जाती है.

मध्यप्रदेश में चंद्रग्रहण का समय
भारत में चंद्रग्रहण अलग-अलग शहरों में अलग-अलग समय पर शुरू होगा. प्रदेश की बात करें तो भोपाल- 5.36, उज्जैन-5.35 और इंदौर में 5.43 बजे पर दिखाई देगा. वहीं वाराणसी-5.19, लखनऊ-5.16, जयपुर- 5.36, रायपुर-5.21,  गांधीनगर- 5.55, देहरादून-5.22, शिमला-5.20 और  कोलकाता में चंद्रग्रहण का समय 4.52 बजे है.

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