. केंद्रीय जेल रीवा (Central Jail Rewa) में बंद अपराधी भी अब पढ़ाई में टॉप कर रहे हैं. रीवा के केन्द्रीय जेल में वैसे तो 400 कैदी व बंदी इस समय शिक्षा ग्रहण कर हैं.
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अजय मिश्रा/रीवा: एमपी की जेलों में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है. केंद्रीय जेल रीवा (Central Jail Rewa) में बंद अपराधी भी अब पढ़ाई में टॉप कर रहे हैं. पढ़ाई-लिखाई की रुचि रखने वाले बंदी जेल की सलाखों के पीछे रहकर न सिर्फ अपनी अधूरी पढ़ाई पूरी कर रहे हैं, बल्कि एमबीए (MBA) व एमएसडब्लू ( Master of Social Work) जैसे कोर्स कर प्रोफेशनल बन रहे हैं.
बता दें कि रीवा के केन्द्रीय जेल में वैसे तो 400 कैदी व बंदी इस समय शिक्षा ग्रहण कर हैं. इनमें से करीब दर्जनभर बंदी प्रोफेशनल कोर्स कर रहे हैं. जेल प्रबंधन ही इन्हें जरूरी संसाधन व अनुकूल महौल उपलब्ध करा रहा है. ताकि, वह बेहतर माहौल में अपनी पढ़ाई पूरी कर सकें.
पढ़ाई की तरफ बढ़ रहा रूझान
अपराध करने के बाद जेल आए कैदियों व बंदियों ने अलग-अलग संकायों में प्रवेश लिया है. जेल में बंद कैदियों व बंदियों के लिए भोज मुक्त विवि, इग्नू व नियोस के माध्यम से परीक्षा संचालित कराई जाती है. बंदी अनीश पाण्डेय एमबीए व सुनील महोबिया एमए में प्रवेश लिया है. स्नातक की परीक्षा 10 बंदियों ने उत्तीर्ण की है. 10 का परिणाम आना बाकी है. वहीं 25 बंदी स्नातक और 5 ने डिप्लोमा कोर्स में प्रवेश लिया है.
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अनूपपुर निवासी जीतेन्द्र चंदेल व शहडोल निवासी ज्ञानेन्द्र शुक्ला इन दिनों रीवा जेल में बंद हैं. दोनों ने जेल में रहकर एमएसडब्लू की परीक्षा उत्तीर्ण की है. बंदी महंतलाल पटेल व प्रदीप पाण्डेय अभी एमएसडब्लू की पढ़ाई कर रहे हैं. कक्षा 10वीं में गत वर्ष 12 बंदियों ने परीक्षा दी थी. इनमें से 7 बंदियों ने प्रथम श्रेणी परीक्षा उत्तीर्ण की है.
जेल में लग रही कक्षाएं
जेल में प्रतिदिन कक्षाएं संचालित की जा रही हैं. शिक्षा से जुडऩे के बाद अब कैदियों के व्यवहार व स्वभाव में भी बदलाव देखने को मिल रहा है. जेल में शिक्षक राजीव तिवारी व स्वदीप सिंह उनकी क्लास लेते हैं. जेल में जो कैदी पढ़ाई करने की इच्छा जताते हैं, जेल प्रबंधन उनका प्रवेश दिलाकर पढ़ाई के लिए बेहतर माहौल उपलब्ध कराता है.