Ratapani Sanctuary: मध्य प्रदेश को पिछले दो दिन में दो नए टाइगर रिजर्व मिल गए हैं, राजधानी भोपाल के पास बने रातापानी अभ्यारण्य को अब टाइगर रिजर्व घोषित कर दिया गया है.
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Madhya Pradesh Tiger Reserve: मध्य प्रदेश में अब टाइगर रिजर्वों की संख्या 7 से बढ़कर 9 हो गई है, क्योंकि पिछले दो दिनों में मध्य प्रदेश को दो नए टाइगर रिजर्व मिल गए हैं. मोहन सरकार ने दो दिन पहले शिवपुरी जिले के माधव नेशनल पार्क को टाइगर रिजर्व का दर्जा दिया था, जबकि अब भोपाल जिले से लगे रातापानी अभ्यारण्य को भी टाइगर रिजर्व का दर्जा दे दिया गया है. इस तरह शिवपुरी का माधव नेशनल पार्क प्रदेश का 8वां और रातापानी अभ्यारण्य 9वां टाइगर रिजर्व बन गया है. जहां अब पर्यटकों को टाइगरों का दीदार होगा.
रातापानी अभ्यारण्य की लंबे समय से हो रही थी मांग
रातापानी अभ्यारण्य टाइगर रिजर्व घोषित करने की मांग लंबे समय से चल रही थी. क्योंकि यहां बाघों की संख्या ज्यादा थी, जबकि रातापानी में अन्य कई जानवर भी रहते हैं. अब टाइगर रिजर्व घोषित होने के बाद टाइगर रिजर्व के कोर एरिया का रकबा 763.812 वर्ग किलोमीटर में होगा, इसके अलावा बफर जोन के एरिया का रकबा 507.653 वर्ग किलोमीटर तक रहेगा. रातापानी अभ्यारण्य का जंगल रायसेन और सीहोर जिले में आता है, ऐसे में यह दोनों अभ्यारण्य इसी जिले में आएंगे. खास बात यह है कि यह अभ्यारण्य भोपाल से भी लगा हुआ है, ऐसे में यहां भी पर्यटकों की अच्छी खासी संख्या रहने की उम्मीद है.
सीहोर-रायसेन जिले में आएगा नया टाइगर रिजर्व
रातापानी टाइगर रिजर्व में सीहोर और रायसेन जिले के 9 नए गांवों को शामिल किया गया है. इनमें झिरी बहेड़ा, जावरा मलखार, दांतखो, साजौली, जैतपुर, देलावाड़ी, सुरई ढाबा, पांझिर और कैरी चौका शामिल हैं. हालांकि यह गांव कोर क्षेत्र में शामिल नहीं हैं, लेकिन टाइगर रिजर्व के तहत ही आएंगे. खास बात यह भी है कि टाइगर रिजर्व का पूरा क्षेत्र रातापानी अभ्यारण्य के अंदर ही आएगा, ऐसे में ग्रामीणों के अधिकारों में किसी तरह का परिवर्तन नहीं होगा, जबकि नया टाइगर रिजर्व बनने से ग्रामीणों को रोजगार के मौके जरूर मिलेंगे.
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ये हैं मध्य प्रदेश के 9 टाइगर रिजर्व
785 बाघों के साथ मध्य प्रदेश टाइगर स्टेट
मध्य प्रदेश को देश में टाइगर स्टेट का दर्जा प्राप्त है, साल 2022 में हुई बाघों की गणना के हिसाब से फिलहाल प्रदेश में सबसे ज्यादा 785 बाघ हैं, 2018 तक यह संख्या 526 थी, जिससे माना जा सकता है कि प्रदेश में पिछले चार सालों में बाघों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है. प्रदेश के जंगल जंगली जानवरों के निवास के लिए खूब रास आ रहे हैं.
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