unique wedding tradition in chhattisgarh: फरवरी के महीने में पूरे देश में शादी का सीजन चल रहा है और हर जगह शादियों की धूम मची हुई है. शादियों में लोग जमकर खरीदारी करते दिखाई देते हैं. शादी में दुल्हन को लाखों रूपये के गहने चढ़ाए जाते है लेकिन क्या आपको मालूम है छत्तीसगढ़ में एक ऐसा समाज है जहां दुल्हन को सोने के गहने चढ़ाने पर, समाज का अपमान समझते हैं और आजीवन भर दुल्हन को सोने के गहने पहनने पर मनाही रहती है.
छत्तीसगढ़ अपनी परंपराओं और मान्यताओं को आज भी पालन करने के लिए जाना जाता है. आज भी उनके रहन- सहन में उनकी संस्कृति दिखाई देती है. आज के आधुनिक दौर में अपनी पुरानी परंपराओं का साथ लेकर चलता छत्तीसगढ़ कई राज्यों के लिए उदाहरण पेश करती है.
दरअसल, बस्तर में सोनासी कोष्टा समाज अपनी पुरानी परंपरा को निभाते हुए उनके घर आई नवविवाहित बहू को सोने के गहने पहनने पर रोकते हैं. इस समाज के लोग सोना पहनना तो दूर सोने से बने किसी भी गहने को छूने से भी परहेज करते हैं.
सोनासी कोष्टा समाज के लोग बताते हैं कि सोने से गहने पहनने से पुरखों का अपमान माना जाता है. अगर कोई इस परंपरा का पालन नहीं करता तो हमारे पूर्वज नाराज हो जाते हैं.
घर आई नई बहू भी सोने से बने गहनों को त्याग देती हैं और फिर आजीवन इससे दूर ही रहती हैं. हालांकि घर की बहुओं को चांदी के और आर्टिफिशियल गहने पहनने की आजादी रहती है.
सोनासी कोष्टा समाज के दूसरे गोत्र में सोने के गहने पहनने की परंपरा है, लेकिन उनके सोनासी गोत्र में सोने से बने गहने पहनने की परंपरा नहीं है, इसलिए घर की नई बहू को ऐसा करना पड़ता है. सगाई के दिन से ही लड़की(बहू) सोने से बने गहनों को त्याग देती है.
आगे बताया जात है कि सोना उनके पूर्वज को लिए धूल की तरह है इसलिए आज भी कोष्टा समाज के लोग पूरी ईमानदारी से इस परंपरा का पालन कर रहे हैं.
पूर्वजों के समय से चली आ रही इस परंपरा की वजह से शादी के लिए लड़की ढूंढने में परेशानी भी होती है. कई रिश्ते तो सिर्फ इस वजह से आगे नहीं बढ़ते कि शादी होने के बाद आने वाली बहू सोने के गहने नहीं पहन पाएगी.
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