कुछ तो गड़बड़ है... अपने ही मंत्री पर लाल हो गए कांग्रेस के चाणक्य! कर्नाटक कांग्रेस में बढ़ रही कलह
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कुछ तो गड़बड़ है... अपने ही मंत्री पर लाल हो गए कांग्रेस के चाणक्य! कर्नाटक कांग्रेस में बढ़ रही कलह

Karnataka Congress: कर्नाटक में सत्ता शेयर करने को लेकर भी तमाम तरह की चर्चाओं ने वहां की राजनीति को गर्म कर दिया है. डीके शिवकुमार को वहां के लिए कांग्रेस का चाणक्य माना जाता है लेकिन उन्होंने बुधवार को अपने ही मंत्री को डांट दिया है.

कुछ तो गड़बड़ है... अपने ही मंत्री पर लाल हो गए कांग्रेस के चाणक्य! कर्नाटक कांग्रेस में बढ़ रही कलह

DK Shivakumar Congress: कर्नाटक कांग्रेस में इन दिनों सियासी उथल-पुथल मची हुई है. कई मौकों पर कांग्रेस के लिए खेवनहार बनते दिखाई दिए उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार भी रह रहकर नाराज नजर आ रहे हैं. राज्य में सत्ता शेयर करने को लेकर भी तमाम तरह की चर्चाओं ने वहां की राजनीति को गर्म कर दिया है. डीके शिवकुमार को वहां के लिए कांग्रेस का चाणक्य माना जाता है लेकिन उन्होंने बुधवार को अपने ही मंत्री को डांट दिया है. उन्होंने मंत्री सतीश जारकीहोली को उनके विवादित बयान को लेकर सार्वजनिक तौर पर फटकार लगाई है. 

नाराजगी सामने आई तो..

दरअसल, कर्नाटक की कांग्रेस सरकार में मंत्री सतीश जारकीहोली ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद को लेकर अपनी चिंता जाहिर की थी और कहा था कि पार्टी को एक पूर्णकालिक नेता की जरूरत है. उन्होंने यह भी कहा था कि इस मुद्दे पर निचले स्तर पर ज्यादा चर्चा हो रही है लेकिन यह बात शीर्ष स्तर से आनी चाहिए थी. हालांकि जब उनके बयान पर पार्टी आलाकमान की नाराजगी सामने आई तो उन्होंने इसे पलटते हुए दावा किया कि मीडिया ने उनके शब्दों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया.

DK शिवकुमार ने डपट दिया.. 

इस बीच शिवकुमार ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि क्या यह पद आप मीडिया से पा सकते हैं? यह किसी दुकान से नहीं मिलता. यह हमारे द्वारा किए गए कार्यों का परिणाम होता है. उन्होंने कहा कि इस तरह के बयान सार्वजनिक रूप से दिए जाने के बजाय पार्टी के भीतर उचित चैनलों से उठने चाहिए थे. इतना ही नहीं कर्नाटक कांग्रेस के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष मंजूनाथ भंडारी ने भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी और वरिष्ठ नेताओं से इस तरह के बयानों से बचने की अपील की. 

कांग्रेस के अनुशासित सिपाही नहीं!

उन्होंने कहा कि जो नेता आलाकमान के आदेशों का उल्लंघन करते हैं, वे कांग्रेस के अनुशासित सिपाही नहीं माने जाएंगे. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी नेतृत्व, जिसमें मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी और राहुल गांधी शामिल हैं, ही इस तरह के निर्णय लेंगे, और किसी मंत्री को इस बारे में बयान नहीं देना चाहिए. इस घटनाक्रम ने कर्नाटक कांग्रेस में बढ़ते आंतरिक मतभेदों और विवादों को फिर से उजागर किया है. जिससे आगामी चुनावों के मद्देनजर पार्टी की एकता पर सवाल उठने लगे हैं.

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