Madras High Court News: हाई कोर्ट में एक ऐसा मामला सामने आया. जिसके बारे में जानकर सब लोग हैरान रह गए. दरअसल इस केस में प्रेम प्रसंग (Love) के दौरान एक दूसरे को हग करने और चूमने (Kissing) को आधार बनाकर एक युवक पर 354 ए के तहत केस दर्ज हुआ था.
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Kiss Hug in Love: 'लोग छुप-छुप के प्यार करते हैं, जाने क्यों साफ़ कहते डरते हैं, जाने क्यूं, जाने क्यूं...' बॉलीवड फिल्म के इस गीत में मुखड़े से लेकर अंतरे तक प्रेमी जोड़ों की पहली बार मिलने से लेकर आगे तक का पूरा हाल बखूबी बयान किया गया है. लिहाजा जब प्यार करने वालों का मामला थाने पहुंच जाए, प्रेमी युवक के खिलाफ मुकदमा लिख जाए तब इस अंजाम को क्या नाम दिया जाना चाहिए ये हम आप पर छोड़ते हैं. क्योंकि कुछ ऐसे ही मामले में मद्रास हाई कोर्ट ने अहम टिप्पणी करते हुए एक प्रेमी को राहत दी और उसके खिलाफ दो साल से चल रहा मुकदमा रद्द कर दिया.
प्यार में गले लगाना और चूमना स्वाभाविक: HC
अदालत ने कहा, 'प्यार करने वाले दो इंसानों के लिए एक-दूसरे को गले लगाना और चूमना स्वाभाविक है'. ये कहते हुए कोर्ट ने एक लड़की के साथ कथित यौन उत्पीड़न मामले में आरोपी व्यक्ति के खिलाफ दर्ज कराई गई यौन उत्पीड़न (Sexual Harassment) एफआईआर रद्द कर दी. इस जोड़े के प्यार को किसी की नजर लग गई थी. इसलिए मामला पहले थाने फिर आखिर में हाई कोर्ट की चौखट तक पहुंच गया.
मामले में सुनवाई करते हुए मद्रास हाई कोर्ट के जस्टिस आनंद वेंकटेश (Justice Anand Venkatesh) ने युवती के साथ कथित यौन उत्पीड़न मामले में आरोपी युवक के खिलाफ दर्ज यौन उत्पीड़न का मुकदमा रद्द कर दिया. प्रेमिका ने प्रेमी के खिलाफ महिला थाने में FIR दर्ज कराई थी.
थाने क्यों पहुंचा प्रेम प्रसंग का ये मामला
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक हाई कोर्ट ने माना कि यौन उत्पीड़न का अपराध बनने के लिए एक व्यक्ति को शारीरिक संपर्क बनाना चाहिए और अवांछित और स्पष्ट यौन प्रस्ताव पेश करने चाहिए. उधर प्रेमी ने वकील के जरिए अदालत को बताया गया कि वो साल 2020 से युवती के साथ प्रेम संबंध में था. लड़की ने उसे 13 नवंबर 2022 को एक जगह बुलाया. वहां दोनों एक दूसरे के गले मिले और किस भी किया. अब ये सामान्य सी बात थाने में इसलिए पहुंची क्योंकि प्रेमिका का कहना था कि उसने युवक से शादी करने के लिए पूछा गया तब उसने मना कर दिया.
शादी से इनकार करने पर युवती ने FIR लिखा दी. हालांकि हाई कोर्ट ने माना कि कि भले ही FIR में लगाए गए आरोपों को सही माना जाए, लेकिन युवक ने युवती के खिलाफ कोई अपराध नहीं किया गया है. ऐसी परिस्थितियों में उसके खिलाफ आपराधिक कार्यवाही जारी रखने से कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा. यानी यह मामला किसी भी तरह से धारा 354-A (1)(i) के तहत अपराध नहीं बन सकता है, इसलिए केस रद्द किया जाता है.
इस तरह इस असफल प्रेम कहानी का नायक संथानगणेश थाना-पुलिस-कचेहरी के तमाम कानूनी फंदों से छूट जाता है.