ऑपरेशन ऑल आउट के बाद जम्‍मू डिवीजन के लिए आतंकियों ने बनाया गुरिल्‍ला प्‍लान!
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ऑपरेशन ऑल आउट के बाद जम्‍मू डिवीजन के लिए आतंकियों ने बनाया गुरिल्‍ला प्‍लान!

पिछले तीन सप्ताह में डोडा जिले के जंगलों में सुरक्षाबलों और आतंकवादियों के बीच यह तीसरी बड़ी मुठभेड़ है. यह ताजा घटना कठुआ जिले के दूरस्थ माचेड़ी वन क्षेत्र में सेना के गश्ती दल पर आतंकवादियों द्वारा घात लगाकर किए हमले के एक सप्ताह बाद हुई है जिसमें पांच सैनिक शहीद हो गए थे और कई घायल हो गए थे.

ऑपरेशन ऑल आउट के बाद जम्‍मू डिवीजन के लिए आतंकियों ने बनाया गुरिल्‍ला प्‍लान!

जम्मू-कश्मीर के डोडा में सोमवार शाम से आतंकवादियों के साथ जारी मुठभेड़ में मंगलवार को सेना के एक अधिकारी समेत चार जवान शहीद हो गए. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी से बात कर वहां की जमीनी हालात का जायजा लिया. इस बीच जम्मू-कश्मीर के पूर्व डीजीपी कुलदीप हुड्डा ने जम्मू में बढ़ती आतंकी घटनाओं को लेकर प्रतिक्रिया दी है. पूर्व डीजीपी कुलदीप हुड्डा ने आईएएनएस से खास बातचीत में कहा, 'पाकिस्तान का मिशन क्लियर है. वह अब जम्मू में गतिविधियों को बढ़ाना चाहता है, क्योंकि पाकिस्तान कश्मीर में कामयाब नहीं हो पाया.' जम्मू क्षेत्र 2005 से 2021 के बीच सुरक्षाबलों द्वारा आतंकवाद का सफाया करने के बाद अपेक्षाकृत शांतिपूर्ण रहा, लेकिन इस क्षेत्र में पिछले महीने आतंकवादी हमलों में वृद्धि देखी गई. इसमें तीर्थयात्रियों को लेकर जा रही बस पर हमला भी शामिल है जिसमें नौ लोग मारे गए थे और 40 घायल हो गए थे.

उन्होंने कहा कि ऑपरेशन ऑल आउट के तहत कश्मीर में पाकिस्तान का सफाया हो गया और इसलिए अब वैसी जगह ढूंढ रहे हैं, जहां पर सुरक्षाबलों की कमी है. आमतौर पर जिन क्षेत्रों में शांति रही है, अब वहां आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है, जिससे सेना का ध्यान जम्मू में बढ़ रही आतंकी घटनाओं की ओर जाए और इस बीच वह कश्मीर में दोबारा आतंकी गतिविधियों को अंजाम दे सके.

पूर्व डीजीपी कुलदीप हुड्डा ने घुसपैठ की घटनाओं पर भी बात की. उन्होंने कहा कि बीते कुछ समय में घुसपैठ की घटनाएं बढ़ी हैं, इसलिए घुसपैठ को रोकने के लिए प्रयास किया जाए, चाहे टेक्निकल या ह्यूमन सप्लीमेंट की जरूरत है, ऐसी सभी चीजों की मदद ली जाए. पाकिस्तान को डील करने के तरीकों में तबदीली लाने की जरूरत है, क्योंकि वह पिछली घटनाओं से सबक लेने के बाद भी अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है.

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उन्होंने कहा, 'उरी हमले के बाद भारत की ओर से सर्जिकल स्ट्राइक की गई थी, जिसके बाद पाकिस्तान खामोश बैठ गया था. मगर अब उसने अपना एजेंडा दोबारा शुरू किया है. इसलिए अब और भी जरूरी हो जाता है कि भारत उनके खिलाफ एक्शन ले. जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देने की जो कोशिश जारी है, उन्हें नाकाम किया जाए.' 

जम्मू के डोडा जिले में मंगलवार को आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में एक पुलिसकर्मी समेत पांच सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए हैं. अधिकारियों ने बताया कि राष्ट्रीय राइफल्स और पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप के जवानों ने सोमवार शाम करीब 7.45 बजे उरारबागी में घेराबंदी और तलाशी अभियान शुरू किया था, जिसके बाद मुठभेड़ शुरू हुई. डोडा जम्मू संभाग के घने जंगलों वाले पहाड़ी जिलों में से एक है, जहां माना जाता है कि आतंकवादी गुरिल्ला युद्ध की नीति अपना रहे हैं.

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पंजाब की सीमा से जम्मू कश्मीर में कर रहे घुसपैठ : डीजीपी स्वैन
जम्मू-कश्मीर डीजीपी आर. आर स्वैन ने सोमवार को बताया कि अंतरराज्यीय सुरक्षा बैठक में घुसपैठ के लिये आतंकवादियों द्वारा अपनाए जा रहे नये तरीकों पर चर्चा हुई, जो पंजाब की सीमा से राज्य में प्रवेश कर रहे हैं. स्वैन ने यहां भारतीय प्रबंध संस्थान में आयोजित एक समारोह से इतर संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ''पंजाब की सीमा के माध्यम से राज्य में घुसपैठ के प्रयास किए जा रहे हैं. हमने आपस में विचार-विमर्श करने का प्रयास किया कि आतंकी कौन से नए तरीके अपना कर घुसपैठ का प्रयास कर रहे हैं.'' उन्होंने कहा, ''हमने आतंकवादियों द्वारा सुरंगों के जरिए घुसपैठ करने और इससे निपटने के बारे में भी चर्चा की.'' जम्मू-कश्मीर के कठुआ में पिछले दिनों आयोजित की गई अंतरराज्यीय सुरक्षा समीक्षा बैठक में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के वरिष्ठ अधिकारी और पुलिस अधिकारी शामिल हुए. यह बैठक कुछ दिन पहले सेना के काफिले पर हुए हमले के बाद हुई. ऐसा माना जा रहा है कि आतंकवादियों ने अंतरराष्ट्रीय सीमा पार से घुसपैठ कर सेना के गश्ती दल पर घात लगाकर हमला किया था. 

उन्‍होंने ये भी कहा कि घाटी में तथाकथित मुख्यधारा या क्षेत्रीय राजनीति की बदौलत ही सिविल सोसाइटी के हर तबके में आतंकवाद पनपा. उस दौर में मारे गए आतंकवादियों के घर जाना और सार्वजनिक रूप से सहानुभूति व्यक्त करना सामान्य बात थी. जबकि आतंकवाद में नई भर्तियों की अनुमति दी गई और उन्हें गुप्त रूप से प्रोत्साहित किया गया, जिन लोगों ने भर्ती की सुविधा दी और वित्त की व्यवस्था की, उनकी कभी जांच नहीं की गई... एसपी रैंक के अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया और आतंकवादियों के साथ जेलों में डाल दिया गया, उन अपराधों के लिए जो उन्होंने कभी नहीं किए थे...हालात ऐसे हो गए थे कि तथाकथित मुख्यधारा के राजनीतिक दलों ने अपनी चुनावी संभावनाओं को आगे बढ़ाने के लिए कभी-कभी सीधे तौर पर आतंकवादी नेटवर्क के नेताओं को पालना शुरू कर दिया था.

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