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Delhi riots effected seat election results: उत्तर पूर्वी दिल्ली में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर फरवरी 2020 में हुए दंगों की चपेट में आईं छह विधानसभा सीटों में से आम आदमी पार्टी (AAP) और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने तीन-तीन सीट पर जीत दर्ज की है. साल 2020 के विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के कुछ दिन बाद भड़की हिंसा (Delhi violence) की चपेट में सीलमपुर, बाबरपुर, घोंडा, गोकलपुरी (SC), मुस्तफाबाद व करावल नगर आए थे. इनमें से सीलमपुर, बाबरपुर और गोकलपुरी में ‘AAP’ ने जीत दर्ज की. वहीं, घोंडा, मुस्तफाबाद और करावल नगर में बीजेपी के प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की है.
दंगा प्रभावित सीटों में स्कोर बीजेपी-3, आप-3
सीलमपुर में ‘AAP’ के चौधरी जुबैर अहमद ने बीजेपी के अनिल कुमार शर्मा को 42,477 मतों से हराया. अहमद को 59.21 प्रतिशत वोट मिले, जबकि शर्मा को 27.38 फीसदी वोट मिले. कांग्रेस के अब्दुल रहमान को केवल 12.4 प्रतिशत वोट मिले. वह इस सीट से ‘AAP’ के विधायक थे और टिकट न मिलने की वजह से कांग्रेस में शामिल हो गए थे.
‘AAP’ के दिल्ली संयोजक और दिल्ली सरकार में मंत्री गोपाल राय ने बाबरपुर सीट 18,994 मतों के अंतर से तीसरी बार जीती. उन्हें 53.19 प्रतिशत वोट मिले, जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी बीजेपी के अनिल कुमार वशिष्ठ को 39.33 फीसदी मत हासिल हुए. कांग्रेस के मोहम्मद इशराक खान मात्र 8,797 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे.
गोकलपुर सीट से ‘AAP’ के उम्मीदवार सुरेन्द्र कुमार ने बीजेपी के प्रवीण निमेश को 8,207 मतों के अंतर से हराया. घोंडा सीट पर बीजेपी के अजय महावर ने 26,058 वोट से जीत दर्ज की. उन्हें 56.96 प्रतिशत रहा. उनके प्रतिद्वंद्वी ‘AAP’ के गौरव शर्मा को 38.41 फीसदी वोट मिले.
करावल नगर सीट पर बीजेपी के कपिल मिश्रा ने जीत दर्ज की. उन्होंने ‘AAP’ के मनोज कुमार त्यागी को 23,355 वोट से हराया. इस सीट पर बीजेपी और ‘AAP’ का मत प्रतिशत क्रमश: 53.39 प्रतिशत और 41.78 प्रतिशत रहा. कांग्रेस को इस सीट पर सिर्फ 1.95 प्रतिशत वोट मिले.
बड़ा उलट फेर मुस्तफाबाद में हुआ है जहां मुस्लिम वोट बंटने की वजह से बीजेपी के मोहन सिंह बिष्ट 17,578 मतों के अंतर से जीत गए. ‘AAP’ के उनके प्रतिद्वंद्वी आदिल खान को 67,637 वोट हासिल हुए जबकि दंगों के आरोप में जेल में बंद ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (AIMIM) के ताहिर हुसैन 33,474 मतों के साथ तीसरे स्थान पर रहे. दिलचस्प ये है कि मुस्तफाबाद सीट से 2020 में ‘AAP’ के हाजी युनूस चुनाव जीते थे लेकिन पार्टी ने इस बार उनका टिकट काटकर आदिल खान को मैदान में उतारा था.
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चुनाव से पहले माना जा रहा था कि दंगों में कथित निष्क्रियता को लेकर ‘AAP’ के खिलाफ मुस्लिम समुदाय में नाराज़गी है, लेकिन मुस्लिम बहुल सीलमपुर व बाबरपुर में पार्टी की जीत हुई जबकि मुस्तफाबाद में पार्टी दूसरे स्थान पर रही. सीलमपुर विधानसभा में रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता डॉ फहीम बेग ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि इस चुनाव में राजनीतिक नेताओं ने दंगों के मुद्दे को ज्यादा नहीं उठाया और यह क्षेत्र आर्थिक दृष्टि से पिछड़ा है जहां ज्यादातर निचले तबके के लोग रहते हैं.
उन्होंने कहा कि इसी के चलते ‘AAP’ की मुफ्त सौगातों की घोषणाएं पार्टी के प्रति मुस्लिम समुदाय की नाराज़गी पर भारी पड़ी.