Hariharnath Mandir: चंद्रग्रहण के कारण बंद रहेंगे हरिहर नाथ के कपाट, यहीं हुई थी गज-ग्राह की लड़ाई
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Hariharnath Mandir: चंद्रग्रहण के कारण बंद रहेंगे हरिहर नाथ के कपाट, यहीं हुई थी गज-ग्राह की लड़ाई

Hariharnath Mandir: बिहार के सारण जिले में स्थित सोनपुर में हरिहरनाथ बहुत प्राचीन मंदिर है. यह मंदिर महादेव शिव और भगवान विष्णु का संयुक्त मंदिर है. यहां दोनों देवताओं की मूर्ति भी एक साथ विराजित है.

Hariharnath Mandir: चंद्रग्रहण के कारण बंद रहेंगे हरिहर नाथ के कपाट, यहीं हुई थी गज-ग्राह की लड़ाई

छपराः Hariharnath Mandir: अगर आप कार्तिक पूर्णिमा को नारायणी नदी में डुबकी लगा कर बाबा हरिहरनाथ मन्दिर में जल चढ़ाना चाहते है तो यह खबर आप को जरूर देखनी चाहिए, मन्दिर प्रशासन और जिला प्रशासन ने 8 नवम्बर को पूर्णिमा के दिन सुबह 8 बजे से रात्रि 12 बजे तक बाबा हरिहरनाथ के कपाट बंद करने का निर्णय लिया है.

सोनपुर में है स्थित
बिहार के सारण जिले में स्थित सोनपुर में हरिहरनाथ बहुत प्राचीन मंदिर है. यह मंदिर महादेव शिव और भगवान विष्णु का संयुक्त मंदिर है. यहां दोनों देवताओं की मूर्ति भी एक साथ विराजित है. एक साथ होने के कारण ही इसे हरिहर नाथ कहते हैं. कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर गंगा-गंडक के संगम स्थल यानी हाजीपुर सोनपुर में स्थित हरिहर क्षेत्र में गंडक नदी के किनारे लाखों की संख्या में श्रद्धालु स्नान करते हैं.

गज और ग्राह का हुआ था युद्ध
कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर सोनपुर के बाबा हरिहर नाथ पर जलाभिषेक करने की परंपरा है. कहा जाता है कि गंडक गंगा और सोन के इसी स्थल पर गज और ग्राह की लड़ाई हुई थी जहां, भगवान विष्णु ने ग्राह से गज को मुक्ति दिलाई थी, कार्तिक चौदस से कई धर्म और पंथ को जानने वाले संतो का जमवाड़ा लगता है और यह सिलसिला देर रात तक चलता है, परम्परा के अनुरूप जलाभिषेक इस बार कार्तिक पूर्णिमा 8 नवंबर 2022 को कार्तिक पूर्णिमा के दिन *चंद्रग्रहण* के कारण प्रातः काल 8:00 बजे से बाबा हरिहर नाथ का दर्शन/ जलाभिषेक मंदिर समिति के निर्णय अनुसार बंद रहेगा.

चंद्रग्रहण का रहेगा असर
पुनः 8/9 नवंबर के रात्रि के 12:00 बजे के बाद से जलाभिषेक प्रारंभ होगा. इस संबंध में मंदिर के मुख्य पुजारी सुशील जी ने पूजा के महत्व और इस बार मंदिर बन्द करने के कारणों की जानकारी दी. कहते हैं कि मंदिर का निर्माण श्रीराम ने सीता स्वयंवर में जाते समय किया था. गंगा और गंडक नदी के संगम पर स्थित यह प्राचीन मंदिर सभी हिन्दूओं के परम आस्था का केंद्र है. इस मंदिर की खासियत है कि यहां महादेव भी विराजित हैं और साथ में श्रीहरि भी दर्शन देते हैं. एक ही गर्भगृह में विराजे दोनों देव एक साथ हरिहर कहलाते हैं.

रिपोर्टः राकेश

 

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