Republic Day Parade 2025: 8 साल बाद गणतंत्र दिवस परेड में दिखेगी बिहार की झांकी, जानिए क्या होगा खास?
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Republic Day Parade 2025: 8 साल बाद गणतंत्र दिवस परेड में दिखेगी बिहार की झांकी, जानिए क्या होगा खास?

Bihar News: 8 साल बाद गणतंत्र दिवस की परेड में बिहार की झांकी को शामिल किया गया है. ‘स्वर्णिम भारत: विरासत एवं विकास’ की थीम पर झांकी को तैयार किया जा रहा है.

फाइल फोटो

Republic Day Parade 2025 Bihar Tableau: गणतंत्र दिवस यानी 26 जनवरी में अब कुछ ही दिन बचे हैं. दिल्ली में 26 जनवरी की परेड को लेकर तैयारिया शुरू हो चुकी हैं. दिल्ली के कर्तव्य पथ पर बिहार की झांकी दिखने को मिलेगी. बता दें कि 8 साल बाद गणतंत्र दिवस की परेड में बिहार की झांकी को शामिल किया गया है. इस बार झांकी में बिहार के समृद्ध ज्ञान और शांति की परंपरा की झलक देखने को मिलेगी. इस बार ‘स्वर्णिम भारत: विरासत एवं विकास’ की थीम पर रक्षा मंत्रालय की ओर से गणतंत्र दिवस परेड में बिहार की झांकी को प्रदर्शन के लिए चयनित किया गया है. इसकी जानकारी बिहार सरकार में सूचना एवं जनसम्पर्क मंत्री महेश्वर हजारी ने दी है.

उन्होंने कहा कि 26 जनवरी 2025 को गणतंत्र दिवस के अवसर पर नई दिल्ली के कर्तव्य पथ बिहार की झांकी का चयन हुआ है. इस वर्ष गणतंत्र दिवस समारोह के अवसर पर झांकी के लिए निर्धारित विषय वस्तु 'स्वर्णिम भारत विरासत एवं विकास' की थीम पर रक्षा मंत्रालय भारत सरकार की ओर से कर्तव्य पथ पर गंणतंत्र दिवस परेड के अवसर पर बिहार सरकार की झांकी का चयन किया गया है. मंत्री महेश्वर हजारी ने कहा कि प्राचीन काल से बिहार ज्ञान, मोक्ष और शांति की भूमि रही है. झांकी में शांति का संदेश देते भगवान बुद्ध को प्रदर्शित किया गया है. भगवान बुद्ध की यह अलौकिक मूर्ति राजगीर स्थित घोड़ा कटोरा जलाशय में अवस्थित है, जहां प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में सैलानी आते हैं.

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झांकी में बिहार में स्थित नालन्दा विश्वविद्यालय को भी दिखाया जाएगा. बता दें कि नालंदा यूनीवर्सिटी, भारत की ज्ञान परंपरा के प्रतीक है. एक समय ऐसा भी था जब दुनियाभर के लोग भारत के नालंदा और तक्षशिला जैसे विश्वविद्यालयों में पढ़ने आते थे. इतिहासकारों की मानें तो नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना 5वीं सदी में गुप्त काल के दौरान की गई थी. माना जाता है कि उस समय यहां तकरीबन 10,000 विद्यार्थी और लगभग 2,000 अध्यापक थे. 1199 में तुर्क आक्रमणकारी बख्तियार खिलजी ने इस पर हमला किया और विश्वविद्यालय को नष्ट करके आग लगा दिया था. कहा जाता है कि विश्वविद्यालय में इतनी किताबें थी कि पूरे तीन महीने आग धधकती रही थी. अब केंद्र सरकार और बिहार सरकार मिलकर इसे पुनर्जीवित करने में जुटे हैं.

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