When Sunil Dutt walked off set in anger: 1971 में अपनी फिल्म 'रेशमा और शेरा' की शूटिंग के दौरान अभिनेता सुनील दत्त ने प्रोडक्शन कंट्रोलर यश जौहर से 100 ऊंटों की व्यवस्था करने के लिए कहा. जब यश जौहर केवल 99 ऊंट ला सके, तो सुनील दत्त गुस्से में फिल्म के सेट से चले गए थे.
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When Sunil Dutt walked off set in anger: दिवंगत फिल्म निर्माता-अभिनेता-राजनेता सुनील दत्त परफेक्शन के पक्के थे. वह कोई भी काम करें, उन्हें उसमें पूरा परफेक्शन चाहिए होता था. अगर उन्हें वह परफेक्शन ना मिले तो वह नाराज भी हो जाते थे. ऐसा ही एक किस्सान 1971 का है, जब सुनील दत्त सिर्फ एक ऊंट की वजह से यश जौहर से नाराज हो गए थे और सेट से चले गए थे.
निर्माता यश जौहर के बेटे करण जौहर ने अपने पिता और सुनील दत्त से जुड़ा यह किस्सा कुछ वक्त पहले शेयर किया था. 1971 की फिल्म 'रेशमा और शेरा' का डायरेक्शन सुनील दत्त कर रहे थे. वही इस फिल्म में लीड एक्टर भी थे. इस फिल्म में सुनील दत्त के साथ वहीदा रहमान, विनोद खन्ना, अमिताभ बच्चन, राखी, रंजीत और अमरीश पुरी ने भी अभिनय किया था. इस फिल्म के प्रोडक्शन कंट्रोलर यश जौहर थे.
सुनील दत्त ने शूटिंग करने से कर दिया था इनकार
फिल्म कंपेनियन को दिए एक इंटरव्यू में करण जौहर ने फिल्म 'रेशमा और शेरा' के एक सीन के बारे में खुलासा किया, जिसे वे राजस्थान में शूट कर रहे थे और 100 ऊंटों की आवश्यकता थी. उस घटना को याद करते हुए करण जौहर ने बताया था कि उनके पिता यश जौहर समय पर सारी व्यवस्था नहीं कर पाए थे, जिसके कारण सुनील दत्त ने शूटिंग करने से इनकार कर दिया था.
सुनील दत्त ने यश जौहर से 100 ऊंटों का इंतजाम करने को कहा
करण जौहर ने बताया था, ''दत्त साहब ने रातोंरात मेरे पिता से कहा कि रेशमा और शेरा के लिए उन्हें 100 ऊंट चाहिए. मेरे पिता एक प्रोडक्शन कंट्रोलर थे, इसलिए उन्हें ये जरुरतें बताई गई थीं. वह रातों-रात आस-पास के गांवों में गए और ऊंटों को ले आए, लेकिन वे 100 नहीं थे.''
100 ऊंट नहीं होने से नाराज हो गए थे सुनील दत्त
करण जौहर ने आगे बताया था, ''मेरे पिता ने उनसे कहा- दत्त साहब, मुझे क्षमा करें. मैं आपको 100 ऊंट नहीं दिला सका, लेकिन मैं आपके लिए 99 ऊंटों का इंतजाम कर दिया है. दत्त साहब ने उनकी ओर देखा और कहा- 'पैक अप' और चले गए. वह बहुत सीरियस थे, क्योंकि वे 100 नहीं बल्कि 99 ऊंट थे.''
फिल्म ने जीते थे नेशनल अवॉर्ड
इस फिल्म को काफी सफलता मिली थी. इसके साथ ही आलोचनात्मक सराहना भी मिली. इस फिल्म ने सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री, सर्वश्रेष्ठ संगीत और सर्वश्रेष्ठ सिनेमैटोग्राफी श्रेणियों में तीन नेशनल अवॉर्ड भी जीते थे. यह फिल्म 1972 में ऑस्कर के लिए भारत की ओर से भी भेजी गई थी, लेकिन सर्वश्रेष्ठ विदेशी भाषा फिल्म श्रेणी में नॉमिनेट नहीं हो पाई.