14 साल की लड़की से रेप, कोर्ट ने 5 साल बाद आरोपी को दी जमानत; बताई इसके पीछे की वजह
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14 साल की लड़की से रेप, कोर्ट ने 5 साल बाद आरोपी को दी जमानत; बताई इसके पीछे की वजह

Maharashtra News: बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक 24 साल के युवक को जमानत दी है. उसके ऊपर आईपीसी और पॉक्सो एक्ट के तहत अपहरण और रेप को लेकर मुकदमा दर्ज कराया गया था. जानें क्या है पूरा मामला. 

14 साल की लड़की से रेप, कोर्ट ने 5 साल बाद आरोपी को दी जमानत; बताई इसके पीछे की वजह

Maharashtra News: बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाते हुए साल 2019 के पॉक्सो मामले के 24 साल के आरोपी को जमानत दी है. कोर्ट ने ये भी कहा है कि लड़की जब 14 साल की थी तो वो लड़के के साथ तीन रात और चार दिन तक रही थी और उसने कबूल किया था कि वह उससे प्यार करती थी और सहमति से संबंध बनाए थे. मामले को लेकर जस्टिस ने कहा कि वह भले ही नाबालिग थी लेकिन वो जानती थी कि वह क्या कर रही है. जानें पूरा मामला. 

क्या है पूरा मामला
पूरा मामला साल 2019 का है. रिपोर्ट के मुताबिक उस समय 19 साल के एक युवक को गिरफ्तार किया गया था. जिसके ऊपर आईपीसी और पोक्सो अधिनियम के तहत अपहरण और रेप को लेकर मुकदमा दर्ज कराया गया था. इस मामले में लड़की और उसके पिता का बयान अलग- अलग था. हालांकि जब मेडिकल जांच हुई तो पता चला कि दोनों ने संबंध बनाए थे.

हाईकोर्ट ने कहा कि वे एक- दूसरे को दो सालों से जानते थे और लड़की ने ये भी बयान दिया कि दोनों के बीच संबंध सहमति से बने थे.  HC ने कहा कि पोक्सो अधिनियम के प्रावधान सख्त हैं, लेकिन वे "न्याय के उद्देश्यों को सुरक्षित करने के लिए अदालत को जमानत देने या मना करने से नहीं रोकेंगे. 

अपनी मर्जी से बिताया समय
रिपोर्ट में जानकारी मिली है कि लड़की ने अपने माता-पिता का घर छोड़ दिया और स्वेच्छा से आरोपी के साथ समय बिताया. इसे देखते हुए कोर्ट युवा अपराधियों को जेल के माहौल से बचाने के लिए मुकदमे की प्रतीक्षा में जमानत पर रिहा करने के पक्ष में हैं और आरोपी को 15,000 के PR बॉन्ड पर जमानत दे दी. हाईकोर्ट ने इसे भी ध्यान में रखा कि किया गया काम कोई हिंसक नहीं था और आरोपी का कोई आपराधिक इतिहास नहीं था. 

जमानत की शर्तों में कहा गया है कि वह ट्रायल कोर्ट की अनुमति के बिना महाराष्ट्र नहीं छोड़ सकता, उसे जांच अधिकारी को अपना पता और मोबाइल नंबर बताना होगा. साथ ही वह गवाहों को प्रभावित नहीं कर सकता या सबूतों के साथ छेड़छाड़ नहीं कर सकता. इसके अलावा उसे ट्रायल में सहयोग करना होगा, जिसे उसकी योग्यता के आधार पर चलाया जाना है.

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