जाली दस्तावेज, फर्जी प्रोपर्टी... बैंक अधिकारी ने 21 साल पहले 80 लाख का किया था गबन, अब इतने साल की मिली सजा
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जाली दस्तावेज, फर्जी प्रोपर्टी... बैंक अधिकारी ने 21 साल पहले 80 लाख का किया था गबन, अब इतने साल की मिली सजा

Bank Of India Scam: अहमदाबाद में बैंक ऑफ इंडिया के एक शाखा से 80 लाख रूपये गबन करने के आरोप में CBI ने 2003 में FIR दर्ज की थी. अब इस मामले में स्पेशल कोर्ट ने पूर्व चीफ मैनेजर को दोषी करार देते हुए तीन साल की सजा सुनाई है.  

 

जाली दस्तावेज, फर्जी प्रोपर्टी... बैंक अधिकारी ने 21 साल पहले 80 लाख का किया था गबन, अब इतने साल की मिली सजा

Ahmedabad News: अहमदाबाद में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने बैंक ऑफ इंडिया के पूर्व चीफ मैनेजर को धोखाधड़ी  के आरोप में दोषी करार दिया है. एसएम रोड शाखा के पूर्व मुख्य प्रबंधक जीवनगिने श्रीनिवास राव को बैंक धोखाधड़ी के मामले में तीन साल की कैद और 1.5 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई. उनपर बैंक के 80 लाख रुपये की हेराफेरी करने का आरोप था.

क्या है पूरा मामला?
सीबीआई ने 30 अक्टूबर 2003 को राव और अन्य आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था. आरोप था कि पूर्व बैंक अफसर और अन्य आरोपियों ने मिलकर धोखाधड़ी की साजिश रची और बैंक से कर्ज लेने के लिए जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल किया. साथ ही साजिश में फर्जी कोलेटरल सिक्योरिटी (गिरवी संपत्ति ), मशीनरी सप्लायर के नाम पर फर्जी खाता खोलना और उस खाते में बैंक से जारी चेक जमा करना शामिल था. इतना ही नहीं आरोपी राव ने फर्जी संपत्ति से जुड़े दस्तावेजों को मंजूरी देने का बाद नष्ट करने का भी आरोप है.

कैसे किया 80 लाख का गबन?
जांच के दौरान सीबीआई ने पाया कि राव ने एक शख्स को 30 लाख रुपये की कार्यशील पूंजी, 25 लाख रुपये की लेटर ऑफ क्रेडिट (LC) और 25 लाख रुपये का टर्म लोन मंजूर किया. यह लोन जाली और फर्जी प्रोपर्टी को गिरवी रखकर दिए गए थे. इस तरह बैंक ने उसे कुल 80 लाख रुपये लोन मंजूर किया.

जांच और चार्जशीट
सीबीआई ने यह भी आरोप लगाया कि राव ने लोन मंजूर करने से पहले और बाद में सही से जांच नहीं की. उन्होंने आरोपी निजी फर्म और उसके व्यापार की सत्यता को जांचे बिना ही लोन को मंजूरी दे दी. सीबीआई ने इस मामले में विस्तृत जांच के बाद 23 दिसंबर 2005 को चार्जशीट दायर की थी. अदालत ने सुनवाई के बाद जीवनगिने श्रीनिवास राव को दोषी मानते हुए 3 साल की सजा और जुर्माने की सजा सुनाई.

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