Cyber Attack: विदेशी एंट्री के नाम पर अभी तक तो सिर्फ पाकिस्तान से बयानबाजी हो रही थी लेकिन अब ओपनएआई ने एक इजरायली कंपनी का पर्दाफाश कर दिया है. वहीं चीन से भी खुराफात हो रही थी. इसका भी खुलासा हुआ है.
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Loksabha Chunav India: लोकसभा चुनाव का आखिरी दौर आते-आते आखिरकार विदेशी साजिश की एंट्री हो गई. अभी तक तो सिर्फ पाकिस्तान से बयानबाजी हो रही थी लेकिन अब ओपनएआई ने एक इजरायली कंपनी का पर्दाफाश कर दिया है. ये कंपनी भारत में चुनावों में दखल का प्रयास कर रही थी. वहीं चीन से भी खुराफात हो रही थी. इसका भी खुलासा हुआ है. असल में चैटजीपीटी के निर्माता ‘ओपनएआई’ ने कहा है कि उसने भारतीय चुनावों पर केंद्रित गुप्त अभियानों में एआई के भ्रामक इस्तेमाल को रोकने के लिए 24 घंटे के भीतर कार्रवाई की गई है. वहीं एआई के जरिए सोशल मीडिया में हेरफेर कर भारत सरकार की आलोचना करने से लेकर खालिस्तान स्वतंत्रता आंदोलन का समर्थन करने वाले चीन स्थित नेटवर्क का खुलासा हुआ है.
दरअसल, ओपनएआई ने बताया है कि है कि उसने भारतीय चुनावों पर केंद्रित गुप्त अभियानों में 24 घंटे के भीतर कार्रवाई की, जिसके परिणामस्वरूप इसका इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या में कोई उल्लेखनीय वृद्धि नहीं हुई. ‘ओपनएआई’ ने अपनी वेबसाइट पर एक रिपोर्ट में कहा कि इजराइल की एक राजनीतिक अभियान प्रबंधन फर्म ‘एसटीओआईसी’ ने गाजा संघर्ष के साथ-साथ भारतीय चुनावों पर भी कुछ सामग्री तैयार की. इसमें कहा गया है, ‘‘मई में, नेटवर्क ने भारत पर केंद्रित टिप्पणियां तैयार करना शुरू कर दिया, जिसमें सत्तारूढ़ भाजपा की आलोचना और विपक्षी कांग्रेस पार्टी की प्रशंसा की गई.
रिपोर्ट में कहा गया है कि हमने मई में भारतीय चुनावों से संबंधित कुछ गतिविधियों को शुरू होने के 24 घंटे से भी कम समय में बाधित कर दिया था.’’ ‘ओपनएआई’ ने कहा कि उसने इजराइल से संचालित खातों के एक समूह पर प्रतिबंध लगा दिया है, जिनका इस्तेमाल एक्स, फेसबुक, इंस्टाग्राम, अन्य वेबसाइट और यूट्यूब तक फैले एक प्रभावशाली अभियान के लिए सामग्री बनाने और संपादित करने के वास्ते किया जा रहा था. इसने कहा, ‘‘इस अभियान के जरिये कनाडा, अमेरिका और इजराइल के लोगों को अंग्रेजी और हिब्रू भाषा में सामग्री के माध्यम से लक्षित किया गया. मई की शुरुआत में, इसने अंग्रेजी भाषा की सामग्री के माध्यम से भारत के लोगों को लक्षित करना शुरू कर दिया.’’ हालांकि इसमें विस्तार से ज्यादा कुछ नहीं बताया गया है.
उधर चीन से भी कुछ ऐसी ही साजिश सामने आई है. एआई के जरिए सोशल मीडिया में हेरफेर कर भारत सरकार की आलोचना करने से लेकर खालिस्तान स्वतंत्रता आंदोलन का समर्थन करने वाले चीन स्थित नेटवर्क का खुलासा हुआ है. चीन में बनाए गए इस नेटवर्क ने ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, भारत, न्यूजीलैंड, पाकिस्तान, यूके और नाइजीरिया सहित दुनिया भर में सिख समुदाय को निशाना बनाया. मेटा के अनुसार, आरोपी फेसबुक, इंस्टाग्राम, टेलीग्राम और एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर मुख्य रूप से अंग्रेजी और हिंदी में समाचार और वर्तमान घटनाओं के बारे में पोस्ट करते थे.
नेटवर्क में शामिल अकाउंट द्वारा अक्सर पंजाब में बाढ़, दुनिया भर में सिख समुदाय, खालिस्तान स्वतंत्रता आंदोलन, कनाडा में खालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या और भारत सरकार की आलोचना के बारे में पोस्ट किया जाता था. मामले में कार्रवाई करते हुए मेटा ने 37 फेसबुक अकाउंट, 13 पेज, पांच ग्रुप और इंस्टाग्राम पर नौ अकाउंट हटा दिए. मेटा ने कहा कि इस ऑपरेशन ने सिखों के रूप में खुद को पेश करने, सामग्री पोस्ट करने और पेज और ग्रुप को मैनेज करने के लिए समझौता किए और फर्जी अकाउंट का इस्तेमाल किया.
उन्होंने "ऑपरेशन के" नामक एक काल्पनिक कार्यकर्ता आंदोलन बनाया. इसमें न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया आदि देशों में सिखों के समर्थन में विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया गया. कंपनी ने कहा कि उसने कंटेट के व्यूअर्स तक पहुंचने के पहले ही अपने प्लेटफॉर्म से इस गतिविधि को हटा दिया. सिर्फ़ मेटा ही नहीं, बल्कि माइक्रोसॉफ्ट की एक टीम ने पिछले महीने चेतावनी दी थी कि चीन एआई का इस्तेमाल कर भारत, अमेरिका और अन्य देशों में अपने हितों की पूर्ति के लिए कंटेंट तैयार करेगा और उसका प्रचार करेगा. माइक्रोसॉफ्ट के अनुसार, चीन फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट का इस्तेमाल कर मतदाताओं से यह जानने की कोशिश कर रहा है कि उन्हें किस बात से सबसे ज्यादा फर्क पड़ता है, ताकि वह विभाजन पैदा कर चुनाव के नतीजों को प्रभावित कर सके. agency input