Sambhal voilence: संभल की जामा मस्जिद में महज़ सर्वे के नाम पर ऐसा संग्राम छिड़ा कि घंटों तक पत्थर उछलते रहे. गोलियां चलती रही. बड़ी मुश्किल से एक हफ्ते से वहां शांति है. मगर लगता है ओवैसी भाईजान इस मामले को शांत होने नहीं देना चाहते. तभी तो बीते 2 दिन में वो करीब 4 बार संभल का जिक्र कर चुके हैं.
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Sambhal News: संभल के नाम पर भड़काऊ भाईजान का मकसद देखने को मिला है. संभल में हिंसा की तस्वीरें सब ने देखीं. सड़कों पर उस खौफनाक मंजर के निशान बिखरे पड़े हैं. किसी तरह यहां शांति बनी हुई है. लेकिन लगता है कुछ लोगों को ये अमन-चैन पसंद नहीं है. तभी तो सियासी मंचों से एक बार फिर इस आग में घी डालने का काम कर रहे हैं. क्या संभल में जो हिंसा भड़की,वो महज़ ट्रेलर था? क्या अजमेर दरगाह के नाम पर हंगामे का नया दौर चलेगा? ये सवाल इसीलिए उठ रहे हैं क्योंकि हमारे देश के कुछ सियासतदान अभी भी समुदाय विशेष के लोगों को भड़काने से बाज़ नहीं आ रहे हैं.
संभल पर क्या है भाईजान का मकसद?
अपने बयानों से आग में घी डालने का काम कर रहे हैं. इस लिस्ट में सबसे पहला नाम है अपने भड़काऊ बयानों के लिए मशहूर असदुद्दीन ओवैसी का, जिन्होंने एक रैली में फिर से मरने-मारने वाला बयान देकर माहौल बिगाड़ने की कोशिश की है. AIMIM अध्यक्ष, ओवैसी ने कहा, 'अल्लाह मुझे जब तक जिंदा रखेगा तबतक पीछे नहीं हटूंगा. दाढ़ी सफेद है दिल जवान है.'
संभल की जामा मस्जिद में महज़ सर्वे के नाम पर ऐसा संग्राम छिड़ा कि घंटों तक पत्थर उछलते रहे. गोलियां चलती रही. बड़ी मुश्किल से एक हफ्ते से वहां शांति है. मगर लगता है ओवैसी भाईजान इस मामले को शांत होने नहीं देना चाहते. तभी तो बीते 2 दिन में वो करीब 4 बार संभल का जिक्र कर चुके हैं.
सपा विधायक नवाब इकबाल महमूद ने भी उकसाया
सिर्फ ओवैसी ही नहीं. जिन साहब पर संभल को शांत रखने की ज़िम्मेदारी है. जो खुद संभल के विधायक हैं, वो भी संभल को फिर से जलाने की कोशिश कर रहे हैं. संभल के समाजवादी पार्टी विधायक नवाब इकबाल महमूद (Nawab Iqbal Mehmood), मुस्लिम कौम को शहीद होने के लिए तैयार रहने की बात कर रहे हैं.
इकबाल महमूद ने कहा, मस्जिद के नाम पर शहीद होने के लिए पूरी मुस्लिम कौम हमेशा तैयार रहती है हर वक्त. जो कुछ भी हुआ वो अच्छा नहीं हुआ, जिसने भी किया वो अच्छा नहीं किया.
इकबाल महमूद का ये बयान ऐसे वक्त में आया, जब वो हिंसा के शिकार युवाओं के परिवार से मिलने पहुंचे थे. जिनकी मौत हुई, उन्हें सांत्वना देने गए थे. मगर ज़ुबान से निकले शब्दों में सियासत ही हावी रही.
तीसरा बयान
सोचिए ये कैसी ज़ुबान है, ये कैसी सियासत है. जो लोगों की ज़िंदगी खत्म होने के बाद भी खत्म नहीं हो रही. संभल हिंसा की आग में झुलसे मुस्लिम समुदाय को एक बार फिर अजमेर दरगाह के नाम पर उकसाया जा रहा है. शिया धर्मगुरु मौलाना यासूब अब्बास (Yasoob Abbas) तो यहां तक कह रहे हैं कि देश में सिविल वॉर (Civil war) जैसे हालात हो सकते हैं. इन भड़काऊ बयानों पर देश की संसद के नुमाइंदों से लेकर धर्मगुरू भी चिंता जता रहे हैं.
बागेश्वर बाबा, देवकी नंदन ठाकुर जैसे कथावाचक अपनी बात रख रहे हैं. ज़ाहिर है. संभल मस्जिद के बाद कई लोगों का मानना है कि जल्द ही अजमेर दरगाह पर कोर्ट के आदेश के तहत सर्वे का काम शुरू हो सकता है. ऐसे में सभी नेताओं को भड़काऊ बयानों पर काबू रखने की ज़रूरत है. ताकि संभल जैसी हिंसा दोबारा कहीं पर भी न हो सके.