EVM: चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने निर्वाचन आयोग से अपना रुख स्पष्ट करते हुए यह बताने को कहा है कि क्या एक ईवीएम से एक बूथ पर 1500 वोट किए जा सकते हैं. मामले की अगली सुनवाई 27 जनवरी को तय की गई है.
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EVM Controversy: इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन यानी ईवीएम (EVM) को कई बार क्लीन चिट मिलने के बावजूद इस पर जांच जारी है. अब ईवीएम का मामला एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) पहुंच गया है. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पोलिंग स्टेशन पर मतदाताओं की अधिकतम संख्या 1200 से बढ़ाकर 1500 किए जाने के चुनाव आयोग (ECI) के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की और निर्वाचन आयोग से जवाब मांगा. कोर्ट ने चुनाव आयोग से तीन हफ्ते में पूरी प्रक्रिया को विस्तार से बताते हुए हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है. चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने निर्वाचन आयोग से अपना रुख स्पष्ट करते हुए यह बताने को कहा है कि क्या एक ईवीएम से एक बूथ पर 1500 वोट किए जा सकते हैं.
एक दिन में कितने लोग डाल सकते हैं वोट?
याचिकाकर्ता ने कहा कि निर्वाचन आयोग का फैसला महाराष्ट्र और झारखंड के बाद 2025 में बिहार और दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनावों के दौरान मतदाताओं को प्रभावित करेगा. उसने कहा कि आम तौर पर मतदान 11 घंटे होता है और एक वोट डालने में लगभग 60 से 90 सेकंड का समय लगता है, इस लिहाज से एक ईवीएम के साथ एक मतदान केंद्र पर एक दिन में करीब 660 मतदाता अपना वोट डाल सकते हैं.
याचिकाकर्ता ने कहा कि औसत मतदान प्रतिशत को 65.70 फीसदी मानते हुए यह अनुमान लगाया जा सकता है कि 1000 मतदाताओं के लिए तैयार एक मतदान केंद्र पर लगभग 650 लोग वोट डालने के लिए पहुंचते हैं. उसने कहा कि ऐसे भी कई केंद्र हैं, जहां 85 से 90 फीसदी मतदान दर्ज किया जाता है. याचिकाकर्ता ने दलील दी, 'ऐसी स्थिति में लगभग 20 फीसदी मतदाता या तो मतदान के समय के बाद भी कतार में खड़े रहेंगे या लंबी प्रतीक्षा अवधि के कारण मताधिकार का इस्तेमाल करना छोड़ देंगे. एक प्रगतिशील गणतंत्र या लोकतंत्र में इनमें से कुछ भी स्वीकार्य नहीं है.'
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चुनाव आयोग 3 हफ्ते में देगा जवाब
चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने चुनाव आयोग की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह से हलफनामा दाखिल कर यह बताने को कहा कि आयोग याचिकाकर्ता इंदु प्रकाश सिंह द्वारा उठाए गए मुद्दों को किस तरह देखता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'हम चिंतित हैं. किसी भी मतदाता को वंचित नहीं किया जाना चाहिए.' पीठ ने कहा, 'निर्वाचन आयोग की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह ने कहा है कि वे एक संक्षिप्त हलफनामे के जरिए स्थिति स्पष्ट करेंगे. हलफनामा तीन हफ्ते के भीतर दाखिल किया जाए.' पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 27 जनवरी को तय की.
चुनाव आयोग के वकील ने क्या दी दलील?
चुनाव आयोग के वकील मनिंदर सिंह ने कहा कि पीठ ईवीएम को लेकर लगातार लगाए जा रहे आरोपों से वाकिफ है. उन्होंने कहा, 'आरोप लगते रहेंगे. 2019 से मतदान ऐसे ही हो रहा है और मतदाता संख्या बढ़ाने से पहले हर निर्वाचन क्षेत्र में राजनीतिक दलों से परमार्श किया जा रहा है.' सिंह ने कहा कि मतदान केंद्रों पर कई मतदान बूथ हो सकते हैं और जब प्रति ईवीएम मतदाताओं की कुल संख्या बढ़ाई गई, तो प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में राजनीतिक दलों से परामर्श किया गया. उन्होंने कहा कि मतदाताओं को निर्धारित समय के बाद भी हमेशा वोट डालने की अनुमति दी गई.
याचिकाकर्ता के वकील ने क्या दी दलील?
इंदु प्रकाश सिंह की ओर से दायर जनहित याचिका में अगस्त में निर्वाचन आयोग द्वारा जारी दो विज्ञप्तियों को चुनौती दी गई है, जिसमें पूरे भारत में प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में प्रति मतदान केंद्र मतदाताओं की संख्या बढ़ाने की बात कही गई है. याचिकाकर्ता ने कहा है कि प्रति मतदान केंद्र मतदाताओं की संख्या बढ़ाने का फैसला मनमाना है और यह किसी भी डेटा पर आधारित नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने 24 अक्टूबर को निर्वाचन आयोग को कोई भी नोटिस जारी करने से इनकार कर दिया था. हालांकि, उसने याचिकाकर्ता को आयोग के स्थायी वकील को याचिका की प्रति सौंपने की अनुमति दे दी थी, ताकि इस मुद्दे पर उसका रुख पता चल सके.
याचिकाकर्ता की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने दलील दी कि मतदाताओं की संख्या 1200 से बढ़ाकर 1500 करने से वंचित समूह चुनावी प्रक्रिया से बाहर हो जाएंगे, क्योंकि किसी व्यक्ति को अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने के लिए अधिक समय खर्च करना होगा. सिंघवी ने कहा कि मतदान केंद्रों पर लंबी कतारें और प्रतीक्षा समय मतदाताओं को वोट डालने से हतोत्साहित करेगा. हालांकि, पीठ ने कहा कि निर्वाचन आयोग मतदान में अधिक भागीदारी चाहता है और ईवीएम के इस्तेमाल के साथ मतदान में मतपत्रों की तुलना में कम समय लगता है. उसने कहा कि आयोग का इरादा मतदान केंद्रों पर ईवीएम की संख्या बढ़ाकर वोट डालने में लगने वाले समय में कमी लाना है.
(इनपुट- न्यूज़ एजेंसी भाषा)