Career As Astronaut: ISRO में एस्ट्रोनॉट बनने का सपना किसी भी साइंस लवर के लिए एक बेहतरीन प्रेरणादायक मौका है. आप भी ISRO के एस्ट्रोनॉट्स बन सकते हैं. जानिए इसके लिए कौन सी योग्यताएं और स्किल्स आपके पास होना जरूरी है और कैसे आप अपना सपना पूरा कर सकते हैं...
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How To Become An Astronaut: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के एस्ट्रोनॉट्स बनना हर उस व्यक्ति का सपना है, जो साइंस, इंजीनियरिंग या एविएशन में रुचि रखता है. हालांकि ISRO में एस्ट्रोनॉट बनने के लिए कोई स्पेशल डिग्री होना जरूरी नहीं है, लेकिन साइंटिस्ट, इंजीनियरिंग और पायलट बैकग्राउंड रखने वाले उम्मीदवारों को प्रायरिटी दी जाती है. इस आर्टिकल में हम डिटेल में जानेंगे कि ISRO में एस्ट्रोनॉट बनने के लिए कौन-कौन सी डिग्रियां, मेडिकल फिटनेस और अनुभव जरूरी हैं...
शैक्षिक योग्यताएं: डिग्रियों की अहमियत
एस्ट्रोनॉट बनने के लिए उम्मीदवार को एयरोस्पेस, मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल या इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में कम से कम बैचलर डिग्री होना जरूरी है. साथ ही फिजिक्स, मैथ्स या एयरोस्पेस से संबंधित साइंस में ग्रेजुएशन भी एक महत्वपूर्ण योग्यता मानी जाती है. ये डिग्रियां न केवल तकनीकी नॉलेज देती हैं, बल्कि अंतरिक्ष मिशनों के दौरान होने वाली चुनौतियों का सामना करने में भी मददगार होती हैं. बता दें कि भारतीय वायुसेना के पायलटों को भी एस्ट्रोनॉट बनने में प्रायरिटी दी जाती है, क्योंकि वे पहले से ही हाई लेवल फिजिकल फिटनेस और ड्राइविंग स्किल रखते हैं.
कितने साल का चाहिए अनुभव
एस्ट्रोनॉट बनने के लिए शैक्षिक योग्यताओं के साथ-साथ अनुभव का भी बड़ा महत्व है. उम्मीदवारों के पास अंतरिक्ष, एविएशन या रिसर्च फील्ड में कम से कम 3 से 5 साल का अनुभव होना चाहिए. यह अनुभव उन्हें विभिन्न तकनीकी और ऑपरेशनल चुनौतियों से निपटने में सक्षम बनाता है और मिशन के दौरान उन्हें बेहतर निर्णय लेने में मदद करता है. अंतरिक्ष मिशनों में सफलता के लिए अनुभव और दक्षता जरूरी हैं, जिससे उम्मीदवारों का आत्मविश्वास भी बढ़ता है.
मेडिकल फिटनेस और शारीरिक मापदंड:
अंतरिक्ष यात्रा के लिए उम्मीदवारों की मेडिकल फिटनेस बहुत महत्वपूर्ण है.
उम्मीदवार की लंबाई लगभग 5 फीट 4 इंच से 6 फीट के बीच होनी चाहिए.
आंखों की दृष्टि बेहतरीन होनी चाहिए, ताकि मिशन के दौरान विजुअल इंस्ट्रूमेंट्स का सही उपयोग हो सके.
इसके साथ ही मानसिक और भावनात्मक रूप से स्थिर होना भी जरूरी है.
ये शारीरिक मापदंड उम्मीदवार की मिशन के दौरान प्रदर्शन को प्रभावित करते हैं.
जरूरी ट्रेनिंग:
हालांकि, ISRO में एस्ट्रोनॉट बनने के लिए कोई विशेष डिग्री तय नहीं की गई है, लेकिन साइंटिस्ट, इंजीनियरिंग और पायलट बैकग्राउंड वाले कैंडिडेट्स को वरीयता दी जाती है. इसके साथ ही उम्मीदवारों को कई तरह के ट्रेनिंग कार्यक्रमों से गुजरना पड़ता है, जिनमें सिमुलेटर ट्रेनिंग, फिजिकल टेस्ट और मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन शामिल होते हैं. यह ट्रेनिंग उन्हें स्पेश मिशन के दौरान हाई प्रेशर में भी सटीकता और बैलेंस बनाए रखने में मदद करता है.
सपना सच करने का रास्ता
सही शैक्षिक योग्यताएं, पर्याप्त अनुभव और एक्सीलेंट मेडिकल फिटनेस के साथ कोई भी उम्मीदवार इस चुनौतीपूर्ण, लेकिन रोमांचक करियर में कदम रख सकता है. अगर आप अंतरिक्ष में भारत का नाम रोशन करना चाहते हैं, तो इन योग्यताओं और ट्रेंनिंग के जरिए अपने सपने को सच कर सकते हैं.