Coldest Place: जहां बात-बात में बंद हो जाते हैं स्कूल, उसी दुनिया में एक जगह ऐसी भी, जहां -50 डिग्री में भी बच्चे जाते हैं स्कूल
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Coldest Place: जहां बात-बात में बंद हो जाते हैं स्कूल, उसी दुनिया में एक जगह ऐसी भी, जहां -50 डिग्री में भी बच्चे जाते हैं स्कूल

Coldest Place on Earth: दुनिया के इस सबसे कूलेस्ट प्लेस के लोगों की लाइफ आसान नहीं है. इसके बावजूद यहां जिंदगी थमती नहीं. यहां स्कूल तब तक खुले रहते हैं, जब तक तापमान -52 डिग्री सेल्सियस तक न पहुंच जाए. चलिए जानते हैं इस जगह के बारे में...

Coldest Place: जहां बात-बात में बंद हो जाते हैं स्कूल, उसी दुनिया में एक जगह ऐसी भी, जहां -50 डिग्री में भी बच्चे जाते हैं स्कूल

Coldest Inhabited Place on Earth: क्या आपने कभी ऐसी ठंड की कल्पना की है जिसमें पानी, पेन की स्याही और यहां तक कि पलकों पर भी बर्फ जम जाए? रूस का ओम्याकॉन कस्बा दुनिया का सबसे ठंडा रिहायशी इलाका है, जहां सर्दियों में तापमान -50 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है, लेकिन यहां के लोग इस मुश्किल भरे जीवन को साहस और खास तरीकों से जीते हैं.

कड़ाके की ठंड में भी चलते हैं स्कूल
ओम्याकॉन के स्कूल तब तक खुले रहते हैं, जब तक तापमान -52 डिग्री सेल्सियस तक न पहुंच जाए. बच्चों को इतनी ठंड में स्कूल जाने की आदत है. स्कूल जाने के दौरान बच्चों को मोटे जैकेट, ऊनी मफलर और विशेष जूते पहनने पड़ते हैं. यहां एजुकेशन को लेकर लोगों की अवेरनेस सराहनीय है, क्योंकि इतनी विपरीत परिस्थितियों में भी बच्चों की शिक्षा प्रभावित नहीं होती. हालांकि, ऐसी ठंड में कई स्वास्थ्य जोखिम होते हैं, लेकिन यहां के लोग इसे सामान्य जीवन का हिस्सा मानते हैं.

कैसे जीते हैं लोग इतनी ठंड में?
इस इलाके में 500 के करीब लोग रहते हैं. ठंड से बचने के लिए ये लोग ज्यादातर मीट खाते हैं, जैसे घोड़े और रेंडियर का मांस. यहां की ठंड इतनी जबरदस्त है कि फ्रिज की जरूरत नहीं पड़ती. मांस और अन्य खाद्य पदार्थ खुले में रखे जाते हैं और महीनों तक ताजा रहते हैं. लोग अपने घरों को गर्म रखने के लिए पारंपरिक हीटिंग सिस्टम का उपयोग करते हैं, जिसमें लकड़ी और कोयला जलाया जाता है.

दिन में केवल 3 घंटे की रोशनी
सर्दियों में ओम्याकॉन में दिन के सिर्फ 3 घंटे ही रोशनी होती है. बाकी समय अंधेरा रहता है. हालांकि, गर्मियों में यहां 21 घंटे तक सूरज चमकता है. लोग इन दोनों मौसमों के अनुसार अपनी जीवनशैली को ढालते हैं. सर्दियों में जहां अधिकतर लोग घरों के अंदर रहते हैं, वहीं गर्मियों में वे खेती और अन्य बाहरी गतिविधियों पर ध्यान देते हैं.

ठंड से जुड़े अनोखे फैक्ट्स
1933 में ओम्याकॉन का न्यूनतम तापमान -67 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था, जो यहां का रिकॉर्ड है. इतनी ठंड में पसीना बहाना भी खतरनाक हो सकता है, क्योंकि यह मौत का कारण बन सकता है. ठंड की वजह से मोबाइल फोन सर्विस भी यहां संभव नहीं हो पाई है. स्थानीय लोग विशेष कपड़ों का इस्तेमाल करते हैं, जो कई परतों से बने होते हैं.

जीवन यापन के साधन
ओम्याकॉन के लोग मुख्य रूप से आइस फिशिंग करते हैं. वे लीना नदी से मछलियां पकड़कर याकुत्स्क शहर में बेचते हैं. इसके अलावा रेंडियर और घोड़े का मांस भी उनकी आय का प्रमुख स्रोत है. पर्यटकों से होने वाली कमाई भी उनकी आजीविका में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.

टूरिज्म और 'पोल ऑफ द कोल्ड' फेस्टिवल
ओम्याकॉन को देखने के लिए दुनिया भर से पर्यटक यहां आते हैं. ठंड और बर्फीले माहौल के बीच यहां के लोगों का जीवन पर्यटकों को आकर्षित करता है. साल 2011 से याकुत्स्क शहर में ‘पोल ऑफ द कोल्ड’ उत्सव का आयोजन होता है. इस उत्सव में ओम्याकॉन के लोग अपनी संस्कृति और परंपराओं को पेश करते हैं. इसमें बर्फ से बनी कलाकृतियां, पारंपरिक नृत्य और स्थानीय खानपान विशेष आकर्षण का केंद्र होते हैं.

गर्मियों में भी पड़ती है ठंड
ओम्याकॉन में गर्मियों में भी तापमान -10 डिग्री सेल्सियस रहता है. ठंड इतनी तीव्र होती है कि पानी के गिलास और पेन की स्याही तक जम जाती है. गर्मियों के मौसम में यहां कुछ समय के लिए जमी हुई नदियां पिघलती हैं, जिससे स्थानीय लोग खेती का प्रयास करते हैं. हालांकि, यह प्रक्रिया बेहद कठिन होती है.

ओम्याकॉन: एक रिसर्च का विषय
ओम्याकॉन की जीवनशैली और वातावरण हमेशा से ही वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के लिए आकर्षण का केंद्र रहा है. यहां के लोग इतनी कठोर परिस्थितियों में भी जीवित कैसे रहते हैं, यह कई शोधों का विषय बन चुका है. ठंड से संबंधित कई नई खोजें यहां की परिस्थितियों से प्रेरित होकर की गई हैं.

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