World Snake Day: भारत में हर साल सांप काटने से 60 हजार लोगों की मौत हो जाती है. ये मौतें अक्सर लापरवाही, सही समय पर डॉक्टर के यहाँ नहीं पहुँचने और झाड़- फूंक, जड़ी- बूटी या देशी इलाज के चक्कर में पड़ने की वजह से होती है. लोगों में जागरुकता बढाकर इन मौतों को आसानी से रोका जा सकता है. इस रिपोर्ट में इसकी विस्तृत चर्चा की गई है.
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आज World Snake Day है. दुनियाभर में इस दिन को साँपों के प्रति जनमानस में जागरुकता, उसके काटने से होने वाली मौतों को कम करने, उससे बचने के साथ साँपों के संरक्षण और पर्यावरण में उसके महत्व पर चर्चा की जाती है.
दुनिया में मक्सिको, ब्राज़ील और इंडोनेशिया के बाद भारत चौथा ऐसा देश है, जहाँ साँपों के अधिकतम प्रजाति पाई जाती है. यूं तो दुनियाभर में सांपों की लगभग 3,500 प्रजातियां पाई जाती हैं, लेकिन इनमें से भारत में सिर्फ 343 प्रजाति के सांप पाए जाते हैं. दुनिया भर के 3,500 प्रजातियों में से सिर्फ 600 ही जहरीले सांप होते हैं, जिनके काटने से इंसान की मौत हो जाती है. भारत की बात करें तो लगभग आधे दर्ज़न यहाँ ज़हरीले सांप पाए जाते हैं.
भारत में साँपों को लेकर आम जनमानस में जागरुकता का स्तर शून्य है. कुछ लोग इसे पूजते हैं. कुछ लोग इसका खेल दिखाकर अपना जीवन चलाते हैं. कुछ लोग अमीर बनने के लिए इसकी तस्करी करते हैं, तो कुछ लोग नज़र पड़ते ही सांप को मार देते हैं, चाहे वो विषहीन सांप हो या विषधर. कुछ लोग इसका मांस खाते हैं. इनसब के बावजूद भारत में हर साल लगभग १० लाख लोगों को सांप काटता है. इनमे 60 हज़ार लोगों की मौत हो जाती है. 1. 5 लाख लोग स्थाई तौर पर लकवा या किसी और प्रकार के अंगभंग के शिकार हो जाते हैंम जबकि autralia में भारत से ज्यादा विषैले सांप पाए जाते हैं, और लोगों का काटता भी है, लेकिन फिर भी वहां कोई नहीं मरता है.
भारत में सांप से होने वाली मौतों की सबसे बड़ी वजह ये है कि लोग सांप काटने के बाद डॉक्टर और अस्पताल पहुँचने के बजाये ओझा, वैध, जड़ी- बूटी या सांप का विष झाड़ने वाले के पास पहुँचते हैं, और अपना अमूल्य जीवन गंवा देते हैं.. सांप का विष उतारने के लिए पूरी दुनिया में कोई जड़ी- बूटी या झाड़- फूंक नहीं बना है.
जब ये आर्टिकल लिखा जा रहा था, उसी वक़्त बिहार के सुपौल में एक अस्पताल के बाहर सांप का विष उतारने का एक विडियो सामने आया था, इसे आप देख सकते हैं कि हवा में पंखे की तरह हाथ नचाने से और सांप काटे स्थान पर चांटा मारने से विष भला कैसे उतर सकता है?
सांप काटने पर क्या करें ?
कैसे पता करें कि सांप ने काटा है ?
जहरीले सर्पदंश से पीड़ित व्यक्ति की जान तभी बचाई जा सकती है, जब आप सही समय पर सही डिसीजन लेकर उसे अस्पताल पहुंचा दें. ऐसे मरीज के लिए हर मिनट कीमती होती है. पहला घंटा सबसे ज्यादा कीमती.
सांप काटने के मामले में कई बार पीड़ित अपनी आँखों से सांप को अपने पाँव या हाथ में काटते हुए देखता है. जब सांप काटते हुए न दिखे तो इसे कई लक्षणों के आधार पर पहचान किया जा सकता है. सांप के काटे हुए स्थान पर दो डॉट . . के निशान दिखते हैं. ये निशान कभी स्पष्ट, कभी बेहद कम भी हो सकते हैं. कई बार ये सिर्फ एक डॉट भी हो सकता है. ये निशान सांप के क़िस्म (विषहीन- विषैला) और काटने की तीव्रता पर निर्भर करता है.
सांप काटने का लक्षण:
सांप काटे हुए स्थान पर दो या सिंगल डॉट के अलावा वो जगह सूज जाता है. काटे स्थान पर त्वचा का रंग नीला, काला या गुलाबी हो सकता है, जो बाकि त्वचा के रंग से अलग दिखाई देगा. उस स्थान पर तेज़ दर्द और झुनझुनी हो सकती है. मरीज को पेट में दर्द, उलटी, वुमेटिंग टेंडेसी, सर में तेज़ चक्कर और आँखों की पलके बंद होने लगती है.. आँखें नींद से भरी या शराबी जैसी दिखती है, आधी बंद.. बार-बार पलके आधी बंद होगी. मरीज़ को गर्मी का अनुभव हो सकता है और पसीना आ सकता है.. ( वस्तृत लक्षण आगे के पोस्ट में.)
स्टेप 1.
शांत बैठ जाए..भाग दौड़ बंद कर दें
सर्पदंश का तस्दीक होते ही.. पहले मरीज का चलना- फिरना.. दौड़कर भागना बंद कर दें. जो जहाँ है, वहीँ स्थिर हो जाए. सर्पदंश वाले अंग का मूवमेंट बिलकुल बंद कर दें. घर में हों तो आराम से कुर्सी, सोफे, खटिया, बिस्तर या चटाई पर शांत बैठ जाएँ. बाएँ करवट लेटना भी अच्छा माना जाता है. कहीं बाहर सांप ने काटा हो तो, भाग कर घर ने आये..वहीँ बैठ जाएँ. मोबाइल से या किसी व्यक्ति से घर वालों को इस बात की सूचना पहुंचा दें. दूसरा और ज़रूरी काम ये है कि दिल से इस बात को निकाल दें कि आप की जान खतरे में है. सांप काटने का १०० प्रतिशत शर्तिया इलाज मेडिकल साइंस में मौजूद है. आप बिलकुल न घबराएं. मरीज को हिम्मत दें.
स्टेप 2.
शरीर से धातु के चीज़ें उतार दें
हाथ, ऊँगली या पाँव में अगर कोई धातु या अधातु का कोई आभूषण, कड़ा, चूड़ी, अंगूठी, बिछुआ, पायल, घड़ी, धागा- वागा हो तो सभी को निकाल दें. सर्पदंश वाले स्थान को अपने ह्रदय के पोजीशन से नीचे रखें.
स्टेप 3.
सर्पदंश वाले स्थान पर कपड़े का पट्टी बांधे
अगर समय और साधन मौजूद हो तो सांप काटे वाले स्थान से ४ से 6 इंच ऊपर कोई कपडा या पट्टी बांध दें. इसे ज्यादा टाइट भी नहीं बांधना है. ऐसा बांधना है कि उसमे पेन घुसाया जा सके. अगर कोई लकड़ी, छड, बांस की फट्टी मिले तो उस स्थान पर लगाकर उसके ऊपर से कपडा बाँध दें. जैसे हड्डी टूटने के बाद बांधा जाता है. कोई पट्टी न मिले तो रिबन, साडी, लुंगी , शर्ट फाड़कर उससे बाँध दें. ( अगर काटने वाल सांप रसेल वाईपर, अफ़ई या पिट वाईपर हो तो पट्टी न बांधें).
नोट: (सांप काटने पर स्थिर रहने और पट्टी बाँधने की सलाह क्यों दी जाती है, इसे अगले पोस्ट में साझा किया जायेगा). अंग को रस्सी से कसकर न बांधें.
स्टेप 4.
सांप की पहचान
संभव हो तो सांप की तस्वीर ले लें..मरे या जीवित सांप का साफ़ फोटो खींच लें, जिससे उसकी पहचान की जा सके. लेकिन जान जोखिम में डालकर ऐसा बिलकुल न करें.. ऐसा न होने पर भी पूरा उपचार संभव है, और मरीज की जान बचाई जा सकती है. बस अस्पताल पहुँचने की जल्दी करें.
स्टेप 5.
1 घंटे के अंदर अस्पताल
जो सवारी मिले उससे अस्पताल निकल जाएँ. अम्बुलेंस, कार, बाइक, साईकिल जैसे भी हो..अस्पताल पहुँचने की कोशिश करें. अस्पताल पैदल जान से परहेज करें. बाइक पर बैठकर जाना पड़े तो मरीज को बीच में बैठाए.. पीछे एक और आदमी बैठ जाएं. अगर एक घंटे के अंदर अस्पताल पहुँच जाएं तो ये आदर्श स्थिति है. 2 घंटे में भी जान बचाई जा सकती है.( जितना देरी होगी जोखिम उतना ही बढ़ता जाएगा)
स्टेप 6.
कौन सा अस्पताल जाएँ ?
सर्पदंश के शिकार मरीज को लेकर सरकारी जिला अस्पताल, सदर अस्पताल, अनुमंडल अस्पताल, रेफरल अस्पताल, ब्लाक में मौजूद अस्पताल, मेडिकल कॉलेज, या किसी बड़े निजी हॉस्पिटल जाया जा सकता है. हर जगह सांप काटने के इलाज मौजूद रहता है. अस्पताल में डॉक्टर तय करेगा कि किसी विषहीन सांप ने काटा है या विषधर सांप ने.. इसके लिए रक्त का एक मामूली सा टेस्ट किया जाता है. सांप काटने का इलाज एन्टी वेनम अगर किसी ऐसे व्यक्ति को भी चढ़ जाता है, जिसे विषैले सांप ने नहीं काटा है, तो इससे मरीज की मौत नहीं होती है. इसे आप डॉक्टर पर छोड़ दें कि वो क्या करेगा .. कैसे करेगा ?
इसलिए सर्पदंश होने पर जब आप सांप को न पहचानते हों, और किसी दंश के बाद किसी तरह का दिक्कत शुरू हो तभी अस्पताल भागे... किसी झाड़- फूक के चक्कर में न पड़े. किसी घरेलु नुस्खे, आयुर्वेद, सर्पगंधा, होमेयोपैथी का चक्कर में भी न पड़े.
इलाज का खर्च: सांप काटने का इलाज सरकारी अस्पतालों में बिलकुल मुफ्त होता है. अगर आप किसी निजी हॉस्पिटल में जाते हैं, तो इसका खर्चा 50- 60 हज़ार तक आ सकता है. हालाँकि ये सांप के प्रकार, काटने की तीव्रता और मरीज के अस्पताल पहुँचने की स्थिति पर निर्भर करता है.
सांप काटने पर क्या न करें
सांप काटने पर जितना ज़रूरी कुछ ज़रूरी और फौरी कदम उठाने की ज़रुरत होती है, उतना ही ज़रूरी कुछ काम न करने की भी होती है. वो काम या गलती जो नहीं करनी चाहिए, नीचे दिए गए हैं;
गलती नंबर1.
सर्पदंश के बाद चलना- फिरना बंद कर दें. कोई भी शारीरिक श्रम वाला काम न करें. पैदल न चलें. इससे जहर को शरीर में बहुत जल्दी फैलने के चांस बढ़ जाते हैं. शरीर को बिलकुल स्थिर रखें.
गलती नंबर 2 .
विषैले सांप के काटने के कम से कम 15 मिनट बाद ही लक्षण प्रकट होते हैं. इसलिए अस्पताल जाने में लेट लतीफी न करें. इससे प्राण संकट में पड़ सकता है.
गलती नंबर 3.
शरीर में सर्पदंश वाला स्थान डॉक्टर को सांप का टाइप पहचाने में मदद करता है. इसलिए इस जगह को धोना, दबाना, सेंकना, पोछना, उसपर पट्टी बांधना, dettol या कोई aniceptic क्रीम लगान खतरनाक हो सकता है. ऐसा बिलकुल न करें. इस स्थान पर चीरा लगाना भी वर्जित है, ये इलाज आज से 50 साल पहले चलता था, अब नहीं.
गलती नंबर 4 .
सांप काटने वाले स्थान को हिंदी फिल्मों के हीरो की तरह मुंह से न चूसे. इसका कोई फायदा नहीं होता है, बल्कि जहर आपके शरीर में भी प्रवेश कर सकता है.
गलती नंबर 5.
सर्पदंश से पीड़ित व्यक्ति को चाय, कॉफ़ी, शरबत, कोल्ड ड्रिंक्स, एनर्जी ड्रिंक, बियर, शराब, पान, गुटखा, खैनी जैसी कोई भी चीज़ खाने या पीने के लिए न दें. इससे जहर और तेजी से शरीर में फ़ैल सकता है.
गलती नंबर 6.
कोई कितना भी भरोसा दिलाये.. मुरदा आदमी को जिंदा करने का हवाला दे, फिर भी सांप काटने का देसी इलाज करने या किसी झाड- फूंक करने वाले .. दुआ - तावीज करने वाले के पास हरगिज़ न जाएं.. आपकी मौत के बाद कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेगा.
मुआवजा: ईश्वर ने करे कि हमारे देश में सांप काटने की वजह से किसी को अपने प्रियजनों को खोना पड़े. लेकिन अगर कभी किसी के साथ ऐसी दुर्घटना हो जाती है तो, उत्तर प्रदेश, बिहार और ओडिशा की सरकार 4 लाख का मुआवजा भी देती है. इसके लिए मृतक का postmortem रिपोर्ट देना होता है.
Note: यहाँ दी गई जानकारी डॉक्टर से बातचीत और सर्प विशेषज्ञ सुनील कुमार सेंक्रेटिक की किताब 'समथिंग सर्पीला' के तथ्यों पर आधारित है.