Kushinagar Masjid: कुशीनगर मस्जिद ढहाने को लेकर कांग्रेस उत्तर प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने गवर्नर को खत लिखा है और योगी आदित्यनाथ से सफाई देने की बात कही है.
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Kushinagar Masjid: कांग्रेस उत्तर प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने महामहिम राज्यपाल को कुशीनगर में मौजूद मस्जिद के तोड़ने को लेकर और उसके जरिये योगी सरकार की नफरती सांप्रदायिक नीति के हो रहे विस्तार को लेकर खत लिखा है. उन्होंने इस मस्जिद के तोड़े जाने की वजह से मजहबी और व्यक्तिगत सौहार्द के खतरे को हाइलाइट किया है. इसके साथ ही उन्होंने महामहिम के जरिए मुख्यमंत्री से स्पष्टीकरण मांगने की मांग की है.
अजय राय ने अपने खत में लिखा कि उन्हें जानकारी मिली है कि 26 साल पुरानी कुशीनगर की मस्जिद को ढहाया गया है. ढहाए जाने से पहले मदनी मस्जिद के चारों ओर बैरिकैडिंग की गई. 500 मीटर का इलाका सील कर दिया गया. यह कार्रवाई सुबह 10 बजे शुरू हुई और शाम 6 बजे तक चली.
अजय राय के मुताबिक 26 साल पहले साल 1999 में मस्जिद को तामीर किया गया था. जिसके लिए नक्शे को मंजूरी भी ली गई थी.
उन्होंने आगे लिखा,"सरकारी नोटिस के बाद मस्जिद पक्षकारों ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी थी और 8 फरवरी तक स्थगन आदेश भी ले लिए थे. लेकिन, स्थगन आदेश की तारीख खत्म होने के अगले ही दिन 9 फरवरी को इस मस्जिद के हिस्सों को ढहाने की कार्यवाही कर दी गई.
अजय कहते हैं,"मामला न्यायालय में था और मुस्लिम पक्ष के मुताबिक मस्जिद की जमीन विवादित नहीं थी. विवाद पर न्यायालय का होने तक इंतेजार करना सरकार का कर्तव्य था. हाल में सुप्री कोर्ट भी 'बुलडोजर' के मनमाने इस्तेमाल पर सख्त टिप्पणी कर चुका है.
सुप्रीम कोर्ट ने दो टूक कहा कि इस मामले में मनमाना रवैया बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और कोई भी अधिकारी मनमाने तरीके से काम नहीं कर सकते, अगर इस तरह से बुलडोजर चलाया तो भरपाई अफसर ही करेगा. लेकिन सरकार ने उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का भी उल्लंघन किया हैय
अजय ने आगे लिखा कि योगी सरकार प्रदेश में घृणास्पद सांप्रदायिक आधार पर नागरिकों के पूजा स्थलों के अस्तित्व को मिटाने पर आमादा है. आज देश का सबसे बड़ा अल्पसंख्यक वर्ग बेहद आहत महसूस कर रहा है. पहले बहराइच, फिर संभल और अब कुशीनगर का मामला योगी सरकार के कामों को उजागर कर रहा है कि अगर कोई भी भाजपा सरकार से असहमत है तो उसके पूजा स्थलों को भी नहीं छोड़ा जाएगा.
आपसे अनुरोध है कि प्रस्तुत विषय पर न केवल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से स्पष्टीकरण मांगें बल्कि केंद्र सरकार को भी योगी जी द्वारा अपनायी गई सांप्रदायिक नीतियों की जानकारी दें, जिसके चलते प्रदेश में धार्मिक और व्यक्तिगत सौहार्द खतरे में है.