उत्तराखंड UCC कानून का मुसलमानों पर क्या होगा असर? जानें पूरी डिलेट
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उत्तराखंड UCC कानून का मुसलमानों पर क्या होगा असर? जानें पूरी डिलेट

Uttarakhand Uniform Civil Code:  अधिकारियों के मुताबिक यूसीसी पूरे उत्तराखंड में लागू होगा. यह कानून राज्य से बाहर रहने वाले राज्यों के लोगों पर भी लागू होगा. ऐसे में आइए जानते हैं आज से राज्य में क्या-क्या बदलेगा और इस कानून का मुसलमानों पर क्या असर होगा?

 

उत्तराखंड UCC कानून का मुसलमानों पर क्या होगा असर? जानें पूरी डिलेट

Uttarakhand Uniform Civil Code: उत्तराखंड में आज यानी 27 जनवरी 2025 को समान नागरिक संहिता  (Uniform Civil Code ) लागू हो जाएगी, इसके साथ ही उत्तराखंड यूसीसी लागू करने वाला पहला राज्य बन जाएगा. यह ऐतिहासिक कानून दोपहर करीब 12:30 बजे लागू हो जाएगा. अधिकारियों के मुताबिक यूसीसी पूरे उत्तराखंड में लागू होगा. यह कानून राज्य से बाहर रहने वाले राज्यों के लोगों पर भी लागू होगा.

Uniform Civil Code पोर्टल का आज राज्य सचिवालय में अनावरण किया जाएगा. राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कार्यक्रम की अगुवाई करेंगे. एक दिन पहले (26 जनवरी) सीएम धामी ने कहा था कि यूसीसी धर्म, लिंग, जाति या समुदाय के आधार पर भेदभाव से मुक्त सामंजस्यपूर्ण समाज की नींव रखेगी. ऐसे में आइए जानते हैं आज से राज्य में क्या-क्या बदलेगा और इस कानून का मुसलमानों पर क्या असर होगा?

इस कानून का मुसलमानों पर क्या होगा असर
मुस्लिम पर्सनल (शरिया) एप्लीकेशन एक्ट, 1937 में कहा गया है कि विवाह, तलाक और भरण-पोषण शरिया या इस्लामी कानून के तहत शासित होंगे, लेकिन अगर Uniform Civil Code लागू होने के बाद शरिया कानून के तहत निर्धारित विवाह की न्यूनतम आयु बदल जाएगी और बहुविवाह जैसी प्रथाएं खत्म हो जाएंगी.

मुस्लिम लड़कियां भी 18 साल से पहले शादी नहीं कर सकतीं

शादी के लिए न्यूनतम आयु अब सभी धर्मों के लड़के और लड़कियों के लिए एक समान होगी. लड़कियों के लिए शादी की न्यूनतम आयु 18 और लड़कों के लिए 21 होगी. अभी तक मुस्लिम लड़कियों के लिए वयस्क होने की आयु तय नहीं थी, लड़की को मासिक धर्म शुरू होने पर शादी के योग्य माना जाता था. UCC के लागू होने से बाल विवाह पर रोक लगेगी.

तलाक के लिए क्या है
UCC में शौहर और बीवी के लिए तलाक के कारण और आधार एक जैसे कर दिए गए हैं. जिस आधार पर अब शौहर तलाक ले सकता है, उसी आधार पर बीवी भी तलाक की मांग कर सकेगी.

पूरी संपत्ति की वसीयत करने का अधिकार
समान नागरिक संहिता लागू होने से अब कोई भी व्यक्ति अपनी पूरी संपत्ति की वसीयत कर सकता है. समान नागरिक संहिता लागू होने से पहले मुस्लिम, ईसाई और पारसी समुदायों के लिए वसीयत के अलग-अलग नियम थे, जो अब सभी के लिए समान होंगे.

विरासत में लड़के-लड़कियों को समान अधिकार
विरासत में लड़के-लड़कियों को समान अधिकार दिए गए हैं. संहिता में संपत्ति को धन के रूप में परिभाषित करते हुए सभी प्रकार की चल-अचल पैतृक संपत्ति को इसमें शामिल किया गया है.

एक से अधिक विवाह अवैध
यूसीसी कानून लागू होने के बाद भी मुसलमान एक से अधिक बार शादी नहीं कर सकते, यह अभी भी अवैध है. अगर मुस्लिम समुदाय का कोई व्यक्ति अपनी पत्नी को तलाक देकर उसे फिर से अपने साथ रखना चाहता है तो महिला को पहले किसी और से शादी करनी होगी और उसके साथ संबंध बनाने होंगे, फिर वह व्यक्ति उसे तलाक देगा, उसके बाद ही वह व्यक्ति उसे अपने साथ रख सकता है.

विवाह का रजिस्ट्रेशन
समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद विवाह का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य हो जाएगा. पंचायत स्तर पर भी पंजीकरण की सुविधा उपलब्ध होगी. जाति, धर्म या संप्रदाय से परे किसी भी व्यक्ति के लिए तलाक के लिए एक समान कानून होगा. अभी देश में हर धर्म के लोग अपने पर्सनल लॉ के जरिए इन मामलों को सुलझाते हैं.

बहुविवाह पर रोक
इसके अलावा सूबे में बहुविवाह पर रोक लगेगी. लड़कियों की शादी की उम्र चाहे वह किसी भी जाति-धर्म की हो, एक समान होगी. यानी कि लड़की की शादी की उम्र 18 साल होगी. यूसीसी के लागू होने के बाद सभी धर्मों में बच्चों को गोद लेने का अधिकार मिलेगा. हालांकि दूसरे धर्म के बच्चे को गोद नहीं लिया जा सकेगा.

हलाला प्रथा बंद
यूसीसी के लागू होने के बाद उत्तराखंड में हलाला जैसी प्रथा भी बंद हो जाएगी. वहीं उत्तराधिकार में लड़कियों को लड़कों के बराबर की हिस्सेदारी होगी.

लिव-इन रिलेशन के लिए माता पिता की सहमति जरूरी
उत्तराखंड में यूसीसी लागू होने के बाद लिव-इन रिलेशनशिप का रजिस्ट्रेशन कराना कपल के लिए अनिवार्य होगा. वहीं अगर कपल 18 से 21 साल के हैं तो उन्हें रजिस्ट्रेशन के दौरान अपने माता-पिता का सहमति पत्र भी देना होगा. यूसीसी के तहत लिव-इन रिलेशन से पैदा होने वाले बच्चे को भी शादीशुदा जोड़े के बच्चे की तरह ही अधिकार मिलेगा.

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