Trump: पहले दिया न्यौता, फिर कर दिया रद्द; इस मौलाना से क्यों नाराज हुए ट्रंप
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Trump: पहले दिया न्यौता, फिर कर दिया रद्द; इस मौलाना से क्यों नाराज हुए ट्रंप

Trump: डोनाल्ड ट्रंप का इनॉग्रेशन एक मामले को लेकर चर्चा में है. दरअसल जिस इमाम ने ट्रंप का बढ़कर कैंपेन किया और उसे ही उनके इनॉग्रेशन में नहीं बुलाया गया. पूरी खबर पढ़ें.

Trump: पहले दिया न्यौता, फिर कर दिया रद्द; इस मौलाना से क्यों नाराज हुए ट्रंप

Trump: बीती शाम ट्रंप ने अमेरिका के राष्ट्रपति पद के लिए शपथ ले ली. लेकिन, इस दौरान एक मौलवी जिन्हें पहले इस प्रोग्राम का न्यौता दिया गया था. उन्हें नहीं बुलाया गया. माना जा रहा है कि उन्हें लेबनान में हिजबुल्लाह के समर्थन में बोलने की वजह से नहीं बुलाया गया है.

कौन हैं यह इमाम

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हुशाम अल हुसैनी को न्यौता देना ट्रंप के समर्थकों को पंसद नहीं आया था. हुशाम अल-हुसैनी मिशिगन के डियरबॉर्न मौजूद कर्बला इस्लामिक एजुकेशनल सेंटर के इमाम हैं. अमेरिकी रूढ़िवादियों ने ट्रम्प की टीम के इस कदम की आलोचना की थी, क्योंकि उनका मानना ​​था कि इमाम को न्यौता देना राष्ट्रपति ट्रम्प के मूल्यों के खिलाफ है.

लगाए जा रहे हैं कई आंकलन

न्यूयॉर्क पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक इमाम को दिया गया निमंत्रण रद्द कर दिया गया है. हालांकि, यह भी संभव है कि इमाम ने ट्रम्प समर्थकों के जरिए की गई आलोचना के स्तर को देखते हुए उद्घाटन में शामिल न होने का फैसला किया हो.

क्यों विवादों में हैं हुसैनी?

मिडिल ईस्ट फोरम की एक रिपोर्ट में अल-हुसैनी को "एक कट्टरपंथी यहूदी विरोधी, हिजबुल्लाह समर्थक शिया इमाम" के तौर पर कैटेगराइज किया गया है, जिसका "चरमपंथ का एक महत्वपूर्ण इतिहास" है. 2015 में, कर्बला इस्लामिक एजुकेशनल सेंटर में एक रैली के दौरान, अल-हुसैनी ने कथित तौर पर सऊदी अरब के लिए मौत की दुआ की थी और सऊदी अरब को "यहूदियों का एजेंट" करार दिया था.

हसन नसरल्लाह का समर्थक

रिपोर्ट के मुताबिक, अल-हुसैनी ने 2006 में डियरबॉर्न में हिजबुल्लाह के समर्थन में एक रैली में हिस्सा लिया था और मंच से तत्कालीन हिजबुल्लाह नेता हसन नसरल्लाह की तस्वीर भी लहराई थी. गौरतलब है कि नसरल्लाह पिछले साल इजरायली हमलों में मारे गए थे.

अमेरिकी सेना के खिलाफ बयान

2007 में, मौलवी ने डेमोक्रेटिक नेशनल कमेटी की विंटर सेशन मीटिंग में एक भाषण दिया और कथित तौर पर सुझाव दिया कि अमेरिकी सेना को उत्पीड़न करने वाला बताया. बाद में वह इस बयान से पलट गए और उन्होंने कहा कि वह खुदा से इस जंग को रोकने की बात कर रहे थे. उन्होंने अमेरिकी सेना के खिलाफ कुछ नहीं कहा.

ट्रंप का समर्थन

इस चुनाव में मौलाना ने ट्रंप का खूब समर्थन किया था और लोगों से उन्हें वोट देने के गुहार लगाई थी. इमाम ने कैंपेन के दौरान कहा था,"मैं डोनाल्ड ट्रम्प का समर्थन कर रहा हूं क्योंकि वह समलैंगिक विवाह का विरोध करते हैं और वह चुनाव में सबसे ज्यादा ईसाई व्यक्ति हैं,"

उन्होंने आगे कहा था,"वह हमें रूढ़िवादी मूल्यों की ओर वापस ले जाएंगे, और मैं एक मुसलमान हूं, और जो भी समलैंगिक विवाह का विरोध करेगा, मैं उसके साथ खड़ा रहूंगा

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