Green Hydrogen के लिए वैज्ञानिकों ने किया वो प्रयोग, जिससे बदल जाएगी हमारी आपकी जिंदगी
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Green Hydrogen के लिए वैज्ञानिकों ने किया वो प्रयोग, जिससे बदल जाएगी हमारी आपकी जिंदगी

Green Hydrogen Experiment: ग्रीन हाइड्रोजन एक बार फिर चर्चा में है. PM मोदी ने 2020 में नेशनल हाइड्रोजन एनर्जी मिशन शुरू करने की बात की थी. वहीं 2022 के दावोस वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी ने कहा था कि भारत ग्रीन हाइड्रोजन के क्षेत्र में लीडर बनेगा कर उभरेगा. इसी मुहिम में वैज्ञानिकों को कामयाबी मिली है.

फाइल

Green Hydrogen Energy: मेलबर्न के रिसर्चर्स ने ग्रीन हाइड्रोजन का प्रोडक्शन करने के लिए प्री ट्रीटमेंट के बिना समुद्री जल (Sea Water) को सफलतापूर्वक विभाजित किया है. इंटरनेशनल स्टडी के मुताबिक, शोधकर्ताओं ने प्राकृतिक समुद्री जल को लगभग 100% दक्षता के साथ ऑक्सीजन और हाइड्रोजन में विभाजित किया, ताकि इलेक्ट्रोलिसिस (Electrolysis) द्वारा हरित हाइड्रोजन का उत्पादन किया जा सके. इस टीम ने एक इलेक्ट्रोलाइजर (विद्युत के प्रयोग से द्रव के विभिन्‍न केमिकल एलिमेंट्स को अलग करने की प्रक्रिया) में एक बेहद सस्ते उत्प्रेरक का इस्तेमाल किया. एक विशिष्ट गैर कीमती उत्प्रेरक कोबाल्ट ऑक्साइड है जिसकी सतह पर क्रोमियम ऑक्साइड होता है.

ऑस्ट्रेलिया में कामयाबी

ऑस्ट्रेलिया के एडिलेड विश्वविद्यालय के प्रमुख शोधकर्ता याओ झेंग ने कहा, 'हमने उत्क्रम परासरण (रिवर्स ऑस्मोसिस) डीसोलेशन, शुद्धिकरण, या क्षारीकरण जैसी किसी भी पूर्व उपचार प्रक्रियाओं की आवश्यकता के बिना समुद्री जल को कच्चे माल के रूप में उपयोग किया. समुद्री जल में चलने वाले हमारे उत्प्रेरकों के साथ एक वाणिज्यिक इलेक्ट्रोलाइजर का प्रदर्शन अत्यधिक शुद्ध विआयनीकृत पानी के कच्चे माल (फीड स्टॉक) पर चलने वाले प्लैटिनम/इरिडियम उत्प्रेरकों के प्रदर्शन के लगभग बराबर है.'

‘नेचर एनर्जी’ की रिपोर्ट

झेंग ने कहा, 'वर्तमान इलेक्ट्रोलाइजर अत्यधिक शुद्ध पानी विद्युत अपघट्य (इलेक्ट्रोलाइट) के साथ संचालित होते हैं. जीवाश्म ईंधन द्वारा उत्पन्न ऊर्जा को आंशिक रूप से या पूरी तरह से बदलने के लिए हाइड्रोजन की बढ़ती मांग तेजी से सीमित मीठे पानी के संसाधनों की कमी को काफी बढ़ाएगी.' टीम ने ‘नेचर एनर्जी’ पत्रिका में अपना शोध प्रकाशित किया.

समुद्री जल लगभग अक्षय संसाधन है और इसे प्राकृतिक ‘फीडस्टॉक’ विद्युत अपघटक माना जाता है. स्टडी में कहा गया है कि यह लंबी तटरेखा और प्रचुर धूप वाले क्षेत्रों के लिए अधिक व्यावहारिक है. स्टडी में कहा गया कि यह हालांकि उन क्षेत्रों के लिए व्यावहारिक नहीं है जहां समुद्री जल की कमी है. अब चूंकि दक्षिणी और पश्चिमी भारत के एक बड़े हिस्से में समुद्र की सीमा मिलती है. ऐसे में भारत के लिए ये रसर्च बड़ी अहम साबित हो सकती है. 

ग्रीन हाइड्रोजन होती क्या है?

हाइड्रोजन प्राकृतिक तौर पर पाया जाने वाला बेहद आम तत्व है, जो अन्य तत्वों के साथ संयोजन में मौजूद है.इसमें प्राकृतिक तौर पर पाए जाने वाले यौगिकों जैसे पानी (जो दो हाइड्रोजन परमाणु और एक ऑक्सीजन परमाणु के संयोजन से बनता है) से निकाला जाता है. हाइड्रोजन अणु के इस उत्पादन की प्रक्रिया ऊर्जा लेती है. हाइड्रोजन बनाने का यही प्रासेस इलक्ट्रोलिसिस कहलाता है.

पानी के मामले में नवीकरणीय ऊर्जा (जैसे हवा, पानी या सौर ऊर्जा) का उपयोग करके पानी को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में विखंडन करके जिस हाइड्रोजन का उत्पादन किया जाता है उसे ही ग्रीन हाइड्रोजन कहा जाता है. ग्रीन हाइड्रोजन में ग्रे हाइड्रोजन की तुलना में काफी कम कार्बन उत्सर्जन होता है. ग्रीन हाइड्रोजन का उपयोग उन क्षेत्रों को डीकार्बोनाइज करने के लिए किया जा सकता है जो विद्युतीकरण के लिए कठिन हैं, जैसे स्टील और सीमेंट उत्पादन, और इस प्रकार यह जलवायु परिवर्तन को काफी हद तक सीमित करने में मदद करता है.

पर्यावरण पर इसका क्या असर होगा? 

ग्रीन हाइड्रोजन एक कार्बन मुक्त, मोबाइल (चलायमान) ऊर्जा स्रोत है जो विद्युतीकरण का पूरक बन सकता है. ग्रीन हाइड्रोजन पानी के अणुओं को इलेक्ट्रोलाइज करने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग करता है जिससे इस प्रक्रिया में कोई उत्सर्जन नहीं पैदा होता है.

हमारी आपकी जिंदगी में इससे कितना बदलाव आएगा?

हाइड्रोजन के अनेक उपयोग हैं. ग्रीन हाइड्रोजन का उपयोग उद्योग में किया जा सकता है और घरेलू उपकरणों को बिजली देने के लिए मौजूदा गैस पाइपलाइनों में संग्रहीत किया जा सकता है. उदाहरण के लिए, शिपिंग के लिए एक शून्य कार्बन ईंधन, अमोनिया जैसे वाहक में परिवर्तित होने पर यह नवीकरणीय ऊर्जा का परिवहन कर सकता है.

बिजली का उपयोग करने वाली किसी भी चीज को बिजली देने के लिए हाइड्रोजन का उपयोग ईंधन के साथ भी किया जा सकता है, जैसे इलेक्ट्रिक वाहन और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और बैटरी के विपरीत, हाइड्रोजन ईंधन कोशिकाओं को रिचार्ज करने की आवश्यकता नहीं होती है और जब तक उनके पास हाइड्रोजन ईंधन होता है, तब तक वे नीचे नहीं जाते हैं.

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