चोरी नहीं अपने ही देश में 'डाका' डाल रहे पाकिस्तानी, सरकार ने तैनात कर दी खुफिया एजेंसी
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चोरी नहीं अपने ही देश में 'डाका' डाल रहे पाकिस्तानी, सरकार ने तैनात कर दी खुफिया एजेंसी

Pakistan News: पाकिस्तान के सिंध प्रांत में बिजली चोरी रोकने के लिए सरकार को जो करना पड़ा, आप हैरान रह जाएंगे, पुलिस और बिजली विभाग के अधिकारियों ने हाथ खड़े कर दिए तो सरकार को खुफिया एजेंसी को कमान सौंपनी पड़ी. हां, अब बिजली चोरी रोकने के लिए खुफिया डिपार्टमेंट काम करेगा.

चोरी नहीं अपने ही देश में 'डाका' डाल रहे पाकिस्तानी, सरकार ने तैनात कर दी खुफिया एजेंसी

देखते ही देखते पाकिस्तान के हालात क्या से क्या हो गए, इस मामले से आप समझ जाएंगे. आमतौर पर कोई भी देश अंदरूनी सुरक्षा हालात और दूसरे देश से मिल रही चुनौतियों के मद्देनजर खुफिया जानकारी जुटाने के लिए इंटेलिजेंस डिपार्टमेंट का इस्तेमाल करता है. हालांकि हमारे पड़ोसी पाकिस्तान ने अपने ही लोगों की चोरी पकड़ने के लिए खुफिया पुलिस बुला ली है. हां, यह चोरी भी नहीं, पाकिस्तानियों का डाका है.

पाकिस्तान की केंद्रीय कैबिनेट ने 6 महीने पहले फैसला लिया था और अब इसे लागू किया जा रहा है. पिछले साल नवंबर में खबर आई थी कि अकेले पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में 61,540 लोगों को बिजली चोरी करने के लिए गिरफ्तार किया गया था. अब सरकार को सिंध में खुफिया अफसरों की तैनाती करने के लिए मजबूर होना पड़ा है. बिजली वितरण कंपनियां इन 'डाकुओं' से परेशान थीं. ऐसे में इन बिजली चोरों को पकड़ने, रिकवरी करने और सप्लाई दुरुस्त करने के लिए खुफिया, जांच और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के अफसरों को इस काम में लगाया गया है.

कमिश्नर, डीआईजी भी तैनात

एक नोटिफिकेशन के जरिए पावर डिवीजन ने सुक्कुर इलेक्ट्रिक पावर कंपनी (Sepco) के लिए डिस्कॉस (distribution companies) सपोर्ट यूनिट बनाई है. यह यूनिट दो साल के लिए तैनात की गई है. बिजली चोरी रोकने के लिए पाकिस्तान की संघीय जांच एजेंसी, सैन्य खुफिया एजेंसी और इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस के तमाम अफसरों को काम पर लगाया गया है. इसमें भी कमिश्नर और डीआईजी काम करेंगे.

'डॉन' की रिपोर्ट के मुताबिक फिलहाल पाकिस्तान के मुल्तान और सुक्कुर से यह अभियान शुरू किया गया है. पाक पंजाब के पांच जिलों से एक साल के भीतर ही हजारों लोगों को बिजली चोरी करने के लिए गिरफ्तार किया गया है. बिजली विभाग की ओर से हाल में बताया गया था कि रेट बढ़ाने और बिजली चोरी रोकने के प्रयासों के बावजूद बिजली कंपनियां घाटे में जा रही हैं. डिफॉल्टरों का अमाउंट बढ़कर 900 अरब रुपये तक पहुंच गया और पावर सेक्टर पर कर्ज बढ़कर 2.4 ट्रिलियन रुपये पहुंच गया.

इससे सरकारी खजाने पर बोझ बढ़ने लगा था. ऐसे में सरकारी आय को बेहतर बनाने और बिजली चोरी रोकने के लिए सरकार को खुफिया एजेंसी बुलानी पड़ी.

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