Rajasthan Election : क्या महेंद्र सिंह राठौड़ रोक पायेंगे अशोक गहलोत का रथ ?
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Rajasthan Election : क्या महेंद्र सिंह राठौड़ रोक पायेंगे अशोक गहलोत का रथ ?

धोरों की धरती राजस्थान का चुनावी रण दिलचस्प हो गया है. बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने अपने पत्ते खोल दिए हैं. ऐसे में सभी की निगाहें राजस्थान की हॉट सीट सरदारपुरा पर लगी हैं, जहां से बीजेपी ने डॉक्टर महेंद्र सिंह राठौड़ को उनके सामने उतारा है.

Rajasthan Election : क्या महेंद्र सिंह राठौड़ रोक पायेंगे अशोक गहलोत का रथ ?

Ashok Gehlot Vs Mahendra Singh Rathore: धोरों की धरती राजस्थान का चुनावी रण दिलचस्प हो गया है. बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने अपने पत्ते खोल दिए हैं. ऐसे में सभी की निगाहें राजस्थान की हॉट सीट सरदारपुरा पर लगी हैं, जहां से बीजेपी ने डॉक्टर महेंद्र सिंह राठौड़ को उनके सामने उतारा है. क्या है इस सीट का समीकरण आइए जानते हैं. BJP अब तक कुल 200 विधानसभा सीटों में से 182 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी है. एक और दिलचस्प सीट की बात करें तो मैदान में उतारा गया है तो बीजेपी ने गहलोत के डिप्टी सचिन पायलट के खिलाफ टोंक से अजीत सिंह मेहता को प्रत्याशी बनाया गया है. 

एक-एक सीट की जोर आजमाइश

राजपूत वीरों की इस मरुधरा की सत्ता में वापसी के लिए बीजेपी पुरजोर कोशिश कर रही है. उसके नेता टॉप टू बॉटम सभी हर हाल में यहां इस बार अपनी सरकार बनाने के लिए जी जान से जुटे हैं. यही वजह है कि पार्टी हर सीट सीट पर सारे समीकरण परखकर मजबूत उम्मीदवारों को खड़ा कर रही है. इसी सिलसिले में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित कांग्रेस के कद्दावर नेताओं को बीजेपी इस बार वॉक ओवर देने के मूड में नहीं है. 

सरदारपुरा की सरदारी

सरदारपुरा में कांग्रेस का दबदबा रहा है. सरदारपुरा की सरदारी कर रहे गहलोत के सामने महेंद्र सिंह राठौड़ हैं. इसके पीछे कहीं ना कहीं वजह राजपूत वोट को साधना है. गौरतलब है कि राठौड़ बीजेपी के दिग्गज नेता हैं. उनका इस बेल्ट में वर्चस्व है. वह जोधपुर विकास प्राधिकरण (JDA) के अध्यक्ष रह चुके हैं. लेकिन उन्होंने कांग्रेस सरकार आने के बाद इस्तीफा दे दिया था. जयपुर के पॉलिटिकल पंडितों की मानें तो राठौड़ को यह टिकट केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की सिफारिश पर मिला है. 

ये समाज निर्णायक भूमिका में

यहां ओबीसी समुदाय के वोटरों की संख्या भी मायने रखती है. वहीं सरदारपुरा में मालियों के वोट सबसे ज्यादा हैं. पिछले चुनावों को देखें तो यहां पर इसी समुदाय के उम्मीदवारों की जीत हुई है. 1998 में जब कांग्रेस को बहुमत मिला तो गहलोत सीएम बने. हालांकि तब वो विधानसभा के निर्वाचित सदस्य नहीं थे. उन्होंने उपचुनाव लड़ा, जिसके लिए सरदारपुरा सीट से मानसिंह देवड़ा ने सीट छोड़ी. फिर गहलोत चुनाव लड़े और जीते. तभी से यहां कांग्रेस का दबदबा बना हुआ है. बीजेपी भी इस इलाके से यही कार्ड खेलती थी, लेकिन समाज हमेशा मजबूत जातिगत प्रत्याशी होने के चलते गहलोत को वोट करता था.

अब बीजेपी ने राजपूत समाज से आने वाले राठौड़ को टिकट दिया है. आपको बताते चलें कि अपनी दावेदारी जताने के दौरान महेंद्रसिंह राठौड़ का तर्क था कि परिसीमन के बाद सरदारपुरा अब राजपूत बहुल सीट हो गई है. ऐसे में बीजेपी ने राठौड़ पर भरोसा जताया है. महेंद्र सिंह राठौड़ जयप्रकाश नारायण यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं. उनकी युवाओं में भी अच्छी लोकप्रियता है. ऐसे में माना जा रहा है कि वो इस बार गहलोत को कड़ी टक्कर दे सकते हैं.

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