Kalpavas: महाकुंभ के दौरान घर बैठे कल्पवास कर सकते हैं या नहीं, जानिए क्या कहते हैं शास्त्र-पुराण
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Kalpavas: महाकुंभ के दौरान घर बैठे कल्पवास कर सकते हैं या नहीं, जानिए क्या कहते हैं शास्त्र-पुराण

Whether Kalpavas at Home or Not: कल्पवास को लेकर लोगों के मन में जिज्ञासा है कि क्या महाकुंभ के दौरान घर बैठे कल्पवास किया जा सकता है या नहीं. आइए जानते हैं इस बारे में शास्त्र और पुराण क्या कहते हैं.

Kalpavas: महाकुंभ के दौरान घर बैठे कल्पवास कर सकते हैं या नहीं, जानिए क्या कहते हैं शास्त्र-पुराण

Kumbh Mela 2025 Kalpavas: माघ के महीने में अनेक साधु-संन्यासी और आध्यात्मिक लोग प्रयागराज के संगम तट पर कल्पवास करते हैं. कल्पवास का जीवन कठिन और तपस्या से भरा होता है, जिसे करना हर किसी के लिए आसान नहीं है. यह एक प्रकार का पवित्र धार्मिक अनुष्ठान है, जिसमें व्यक्ति एक माह तक तप, धर्म, और साधना में रमा रहता है. कुंभ मेले के दौरान पवित्र नदी के तट पर किए जाने वाले इस अनुष्ठान का उद्देश्य आत्मा की शुद्धि और भगवान के करीब  पहुंचना होता है. कल्पवास को लेकर अक्सर लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि क्या महाकुंभ के दौरान घर बैठे कल्पवास किया जा सकता है. आइए जानते हैं इस बार में शास्त्र और पुराण क्या कहते हैं. 

क्या घर पर कल्पवास संभव है?

कल्पवास मुख्य रूप से कुंभ क्षेत्र में संगम या किसी पवित्र नदी के तट पर किया जाता है.ऐसे में अगर कोई व्यक्ति किसी कारणवश कुंभ मेले में नहीं पहुंच सकता है तो उसके लिए घर पर कल्पवास करना कठिन है. ऐसा इसलिए क्योंकि इसके नियम के मुताबिक, दिन में तीन बार स्नान और कठोर अनुशासन का पालन करना होता है. हालांकि, घर पर कल्पवास जैसा जीवन जीने का प्रयास किया जा सकता है. लेकिन इसके लिए विशेष नियमों का पालन करना जरूरी होगा. जैसे- 

1. सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और उसके लिए गंगाजल का उपयोग करें.

2. नियमित रूप से पूजा, ध्यान, और मंत्र जाप करें.

3. सात्विक और शुद्ध भोजन ग्रहण करें.

4. धार्मिक ग्रंथों (जैसे- गीता, पुराण इत्यादि) का अध्ययन करें.

5.जरूरतमंदों की सेवा करें और दान-पुण्य करें.

6.लग्जरी सुख-सुविधाओं से दूर रहते हुए अनुशासन का पालन करें.

7.मौन व्रत रखें और आत्मचिंतन में समय बिताएं.

कल्पवास के नियम

निवास स्थान- कल्पवास के दौरान पवित्र नदी (गंगा, यमुना, सरस्वती) के तट पर साधारण तंबू या झोपड़ी में रहना अनिवार्य है. यह स्थान साधना और तपस्या के लिए उपयुक्त होना चाहिए.

पवित्र नदी में स्नान- प्रतिदिन सूर्योदय से पहले पवित्र नदी में स्नान करना आवश्यक है. स्नान दिन में केवल एक बार नहीं, बल्कि तीन बार करना होता है.

सात्विक भोजन- कल्पवास में केवल शुद्ध और सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए. भोजन दिनभर में सिर्फ एक बार किया जाता है. मांस-मदिरा, लहसुन, प्याज और तामसिक पदार्थों का त्याग करना अनिवार्य है. 

पूजा और ध्यान- हर दिन भगवान का ध्यान, पूजा और भजन-कीर्तन करना अनिवार्य है. साधना के दौरान मौन व्रत का पालन करना शुभ माना गया है.

सोने की व्यवस्था- कल्पवास के दौरान जमीन पर सोना होता है. किसी भी प्रकार की भौतिक सुख-सुविधा से दूर रहना चाहिए.

धार्मिक अध्ययन- कल्पवास के दौरान धर्मग्रंथों और वेदों का पाठ किया जाता है. यह आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने का समय होता है.

वस्त्र से जुड़े नियम- कल्पवास में साधारण वस्त्र, विशेषकर सफेद या पीले रंग के वस्त्र पहनने चाहिए.

अनुशासन और संयम- कल्पवास का पालन पूर्ण अनुशासन और श्रद्धा के साथ करना चाहिए. झूठ, क्रोध और हिंसा से बचना चाहिए.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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