How to define vermilion is real or fake: एक चुटकी सिंदूर सुहागिनों का एक ऐसा श्रृंगार है जिसे एक महिला अपने पति के जीवित रहते कभी खुद से दूर नहीं करती है. आइए जानें सिंदूर असली है या नकली इसकी पहचान कैसे करें.
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History of Sindoor: हिंदू धर्म में सिंदूर का बहुत महत्व है. सिंदूर एक हिंदू महिला का वो गहना होता है जिसे वो अपने पति के रहने तक कभी अपने से दूर नहीं करती है. विवाह समारोह में वैसे तो कई कई रस्में निभाई जाती हैं लेकिन इन सभी में सिंदूरदान का सबसे अधिक मान सम्मान और महत्व होता है. एक चुटकी सिंदूर दो लोगों को विवाह को बंधन में बांध देता है. आइए सिंदूर से जुड़ी कुछ रोचक बातें जानें और समझने की कोशिश करें कि आखिर कैसे पहचाने कि सिंदूर असली है या नकली.
मां पार्वती, मां सीता से सिंदूर का है गहरा संबंध
ऐसी मान्यता है कि सिंदूर लगाने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है. सिंदूर को हिंदू धर्म में 'सौभाग्य' का प्रतीक माना गया है. सिंदूर लाल भी होते हैं और पीले रंग का भी होते हैं. इसे शक्ति और जुनून के रूप में देखा जाता है. सिंदूर का लगभग 5000 साल पुराना इतिहास है. ऐसी मान्यता है कि माता पार्वती सिंदूर से अपनी मांग को सजाया करती हैं. अपने पति भोलेनाथ बुरी शक्तियों से बचाने के लिए अपनी मांग में माता पार्वती सिंदूर भरती हैं.
माता लक्ष्मी से भी सिंदूर का संबंध
वहीं सिंदूर लगाने का संबंध माता लक्ष्मी से भी है. कहते हैं कि इस पूरी पृथ्वी पर पांच जगहों पर माता लक्ष्मी का वास होता है जिसमें से एक स्थान है सिर. ऐसे में सुख-समृद्धि और लक्ष्मी की कृपा प्राप्ति के लिए पाने के लिए महिलाएं अपनी मांग सिंदूर से सजाकर रखती हैं.
माता सीता का सिंदूर का संबंध
माता सीता अपने पति श्रीराम की लंबी आयु के लिए मांग में सिंदूर लगाती थीं. एक पौराणिक कथा का जिक्र आता है जिसके मुताबिक हनुमान जी ने जब माता सीता को सिंदूर लगाते देखा तो प्रश्न किया कि माता आप मांग में क्यों सिंदूर भरती हैं? इस पर माता सीता ने उत्तर दिया कि सिंदूर लगाने से मेरे स्वामी यानी भगवान श्री राम की आयु लंबी होती है. फिर क्या था भगवान श्री राम की लंबी आयु के लिए हनुमान जी ने सिंदूर स्नान कर लिया यानी अपने पूरे शरीर पर सिंदूर लगा लिया. आज भी हनुमान जी की पूजा में उन्हें सिंदूर जरूर अर्पित किया जाता है.
सिंदूर कैसे तैयार किया जाता है
सिंदूर दो रंग और दो तरह के होते हैं. एक सिंदूर तो बाजार में खूब मिल जाता है जो सिंथेटिक होता है. लेकिन शादी में जिस सिंदूर को उपयोग में लाया जाता है वह लाल और पीले रंग का होता है. वहीं, जो सिंदूर पुराने समय में बनाई जाती थी उनमें घर की कुछ चीजें मिलाई जाती थी. इस परंपरागत सिंदूर को हल्दी, चूना, फिटकरी, पारा या केसर जैसी चीजें मिलाकर तैयार की जाती हैं जो बिल्कुल हर्बल होता है. वहीं सिंथेटिक सिंदूर अरारोट, सफेद पत्थर, गिन्नार मिलाकर तैयार किया जाता है और आखिरी में उसमें लाल या पीला रंग मिलाया जाता है.
सिंदूर असली है या नकली कैसे पहचानें (How to define vermilion is real or fake)
असली सिंदूर हल्दी, चूना, फिटकरी, पारा या केसर जैसी कई और नेचुरल और हर्बल चीजों को मिलाकर तैयार किया जाता है. वहीं नकली सिंदूर में लेड और सिंथेटिक रंग मिले हो सकते हैं. असली और नकली सिंदूर की पहचान करना एकदम आसान है. इसके लिए सबसे पहले सिंदूर को हाथ पर रख ले और इसको घिसें. इसके बाद फूंक मारें. अगर सिंदूर उड़ जाए तो यह असली है और अगर सिंदूर हाथ पर चिपक जाए तो ये नकली सिंदूर है.
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