Train to Kashmir: कश्मीर के लिए डायरेक्ट रेल लाइन के बावजूद कश्मीर के लिए डायरेक्ट ट्रेन सर्विस नहीं होंगी. यानी दिल्ली से कश्मीर जाने वाले यात्री डायरेक्ट कश्मीर नहीं जा सकते हैं.
उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक प्रोजेक्ट का काम अपने अंतिम चरण में है. यह प्रोजेक्ट जैसे-जैसे अंतिम पड़ाव में पहुंच रहा है. वैसे-वैसे लोगों की उम्मीदें और भय भी बढ़ रही हैं. 272 किलोमीटर लंबे इस रेलवे लाइन के पूरा होने के साथ ही कश्मीर घाटी और देश के बाकी हिस्सों के बीच सीधी रेलवे लाइन तैयार हो जाएगी.
केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के मुताबिक, 41000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से बन रहा यह प्रोजेक्ट आजादी के बाद से शुरू की गई सबसे कठिन रेलवे प्रोजेक्ट में से एक है. हाल ही में रेल लिंक के 17 किमी लंबे कटरा-रियासी सेक्शन पर स्पीड ट्रायल किया गया था.
16 जनवरी को रेलवे सुरक्षा आयुक्त ने 17 किमी सेक्शन का अंतिम निरीक्षण पूरा किया. कटरा-रियासी सेक्शन से ही ट्रेन जम्मू की पीर पंजाल माउंटेन रेंज को पार करते हुए बनिहाल में प्रवेश करेगी. यहां से ट्रेन काजीगुंड-बारामूला रेलवे लाइन से जुड़ जाएगी. यह रूट साल 2009 से ही चालू है.
हालांकि, कश्मीर के लिए डायरेक्ट रेल लाइन के बावजूद कश्मीर के लिए डायरेक्ट ट्रेन नहीं है. यानी दिल्ली से कश्मीर आने वाले यात्री डायरेक्ट कश्मीर नहीं जा सकते हैं. आइए जानते हैं कहां पेंच फंसा हुआ है.
दरअसल, पिछले सप्ताह रेलवे द्वारा जारी समय सारिणी के अनुसार, जम्मू में श्री माता वैष्णो देवी कटरा और कश्मीर में श्रीनगर रेलवे स्टेशनों के बीच प्रतिदिन एक वंदे भारत एक्सप्रेस और दो मेल एक्सप्रेस ट्रेनें चलेंगी. इस टाइम टेबल में कटरा से आगे ट्रेनों की जर्नी के बारे में कोई जानकारी नहीं है, जिससे अटकलें लगाई जा रही हैं कि कश्मीर और देश के बाकी हिस्सों के बीच सीधी ट्रेन नहीं चलेगी.
कश्मीर के लिए डायरेक्ट ट्रेन का इंतजार कर रहे लोगों को तब निराशा हाथ लगी जब मीडिया रिपोर्ट में कहा गया कि सुरक्षा चिंताओं के कारण यात्रियों को कटरा में उतरना होगा और फिर कश्मीर जाने वाली ट्रेन में जाने से पहले उन्हें सिक्योरिटी जांच से गुजरना होगा.
हालांकि, रेलवे की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है. लेकिन रेल मंत्रालय ने इसका खंडन भी नहीं किया है. इससे ऐसा प्रतीत होता है कि मीडिया में चल रहीं खबरें गलत नहीं हैं.
हालिया कुछ वर्षों से कश्मीर और देश के अन्य हिस्सों के बीच डायरेक्ट ट्रेन बहस का विषय रहा है. यह परियोजना 30 साल पहले शुरू की गई थी, लेकिन हकीकत होना अभी भी बाकी है. सबसे पहले 1994 में इस प्रोजेक्ट की कल्पना की गई थी. लेकिन धरातल पर आने की शुरुआत 2008 में शुरू हुई, जब अनंतनाग से पट्टन के बीच पहली बार ट्रेन चली.
इसके लगभग एक साल बाद इस ट्रेन सर्विस को एक तरफ बारामूला और दूसरी तरफ काजीगुंड तक बढ़ा दिया गया. 2013 में काजीगुंड लाइन को पहाड़ों के पार जम्मू में बनिहाल तक बढ़ा दिया गया. रेलवे ने 2014 में जम्मू में उधमपुर लाइन को रियासी जिले के कटरा तक बढ़ा दिया.
लेकिन पिछले एक दशक में भारतीय रेलवे ने इस प्रोजेक्ट को लेकर कई चमत्कारी काम को अंजाम दिया. 111 किलोमीटर लंबे कटरा-बनिहाल सेक्शन में 98 किलोमीटर केवल टनल हैं, जो कठिन पहाड़ी इलाकों को काटती हैं.
यह सेक्शन 37 पुलों से बना है. जिनमें से कुछ को इंजीनियरिंग चमत्कार कहा गया है. इसी में से एक चिनाब ब्रिज है, जो दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल है.
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