Babugosha vs Nashpati: मानसून के मौसम में सड़कों पर आपको ठेला लगाए हुए दुकान वाले भैया फल बेचते हुए मिल जाएंगे. उनके पास कई फल ऐसे होंगे जो सेहत के लिए काफी फायदेमंद होते हैं. इन्हीं में से एक नाशपाती भी है. लेकिन कई बार लोग गच्चा खा जाते हैं और नाशपाती की जगह बाबूगोशा खरीद लेते हैं. ऐसे में दोनों के बीच फर्क समझ लीजिए. इनके फायदे भी जान जाएंगे तो हैरान रह जाएंगे.
नाशपाती और बाबूगोशा दोनों ही फल हैं, लेकिन इनमें कुछ प्रमुख अंतर हैं. आइए इन दोनों फलों के बीच के अंतर को समझते हैं. नाशपाती का छिलका मोटा और कठोर होता है. इसे खाने से पहले छीलना जरूरी होता है. बाबूगोशा का छिलका बहुत मुलायम होता है और इसे बिना छिले भी खाया जा सकता है. नाशपाती के बीज बड़े होते हैं. बाबूगोशा के बीज छोटे और मुलायम होते हैं.
वहीं नाशपाती का स्वाद थोड़ा खट्टा होता है. बाबूगोशा का स्वाद नाशपाती से थोड़ा मीठा और ज्यादा रसीला होता है. दोनों फलों में विटामिन और मिनरल्स भरपूर मात्रा में होते हैं, लेकिन इनकी मात्रा और प्रकार थोड़े अलग हो सकते हैं. नाशपाती और बाबूगोशा दोनों की कई अलग-अलग किस्में होती हैं, जिनका स्वाद, रंग और आकार अलग-अलग होता है.
बाबूगोशा को आम भाषा में अक्सर अंगूर जामुन भी कहा जाता है. यह नाम इसलिए दिया गया है क्योंकि बाबूगोशा का आकार और रंग अंगूर जामुन से मिलता-जुलता होता है. स्वाद में समानता है. दोनों ही फलों का स्वाद मीठा और रसीला होता है. हालांकि बाबूगोशा और अंगूर जामुन पूरी तरह से अलग फल हैं. अंगूर जामुन एक मिठाई है जो आमतौर पर अंगूर के रस और मैदा से बनाई जाती है. बाबूगोशा एक फल है. कुछ क्षेत्रों में बाबूगोशा को अन्य स्थानीय नामों से भी जाना जाता है.
लगे हाथ यह भी जान लीजिए. नाशपाती आकार में नाशपाती के समान होती है. इसका छिलका मोटा होता है और इसे खाने से पहले छीलना पड़ता है. इसका गूदा सफेद या हल्का पीला होता है और इसमें दाने नहीं होते हैं. जबकि अमरूद गोल या अंडाकार आकार का होता है. इसका छिलका हरा या पीला होता है और इसे खाने से पहले छीलना जरूरी नहीं है. इसका गूदा गुलाबी या लाल रंग का होता है और इसमें कई छोटे-छोटे बीज होते हैं.
अमरूद का स्वाद मीठा और थोड़ा खट्टा होता है, लेकिन नाशपाती की तुलना में यह अधिक मीठा होता है. इसका गूदा कुरकुरा और थोड़ा दानेदार होता है. हालांकि दोनों ही फल विटामिन और खनिजों से भरपूर होते हैं. नाशपाती में विटामिन सी, पोटेशियम और फाइबर भरपूर मात्रा में पाया जाता है. अमरूद में विटामिन सी, विटामिन ए, पोटेशियम और फाइबर की अच्छी मात्रा होती है. इसके अलावा, इसमें एंटीऑक्सीडेंट भी होते हैं जो शरीर को कई बीमारियों से बचाते हैं.
बाबूगोशा फल को इंग्लिश में आम तौर पर कोई एक निश्चित नाम नहीं है. यह इसलिए है क्योंकि यह एक भारतीय फल है और इसे भारत के बाहर उतना नहीं जाना जाता जितना कि अन्य फलों को. लेकिन इसे कुछ नामों से संदर्भित कर सकते हैं. Indian Blackberry: यह सबसे आम अनुवाद है, क्योंकि बाबूगोशा का स्वाद और बनावट ब्लैकबेरी से मिलती-जुलती है. Babbubosa: यह इसका सीधा अंग्रेजी अनुवाद है, लेकिन यह बहुत कम इस्तेमाल किया जाता है.
अगर इनकी सेब से तुलना करें तो सेब, नाशपाती और बाबूगोशा तीनों ही फल पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं और अपने-अपने फायदे प्रदान करते हैं. इसलिए यह कहना कि कौन सा फल ज्यादा फायदेमंद है, थोड़ा मुश्किल है. यह आपके स्वास्थ्य लक्ष्यों और व्यक्तिगत पसंद पर निर्भर करता है. सेब में फाइबर, विटामिन सी, और एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में होते हैं. यह वजन घटाने में मदद कर सकता है, दिल की सेहत को बेहतर बना सकता है और कैंसर के खतरे को कम कर सकता है.
नाशपाती में भी फाइबर, विटामिन सी, और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं. यह पाचन को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है, हड्डियों को मजबूत बना सकता है और इम्यूनिटी को बढ़ा सकता है. वहीं बाबूगोशा में विटामिन सी, पोटेशियम, और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं. यह त्वचा के लिए अच्छा होता है, आंखों की रोशनी बढ़ा सकता है और शरीर को हाइड्रेट रखता है.
नाशपाती और बाबूगोशा दोनों ही फल सेहत के लिए फायदेमंद होते हैं, लेकिन कुछ लोगों को इनका सेवन करने से बचना चाहिए. नाशपाती की तासीर ठंडी होती है. इसलिए जिन लोगों को पहले से ही सर्दी, जुकाम, या गले में खराश जैसी समस्याएं होती हैं, उन्हें नाशपाती खाने से बचना चाहिए. अधिक मात्रा में नाशपाती खाने से पेट फूलना, गैस और कब्ज जैसी समस्याएं हो सकती हैं. इसलिए पाचन संबंधी समस्याओं से पीड़ित लोगों को नाशपाती का सेवन सीमित मात्रा में करना चाहिए.
नाशपाती में प्राकृतिक शर्करा होती है, इसलिए डायबिटीज के मरीजों को इसे सीमित मात्रा में और डॉक्टर की सलाह के बाद ही खाना चाहिए. नाशपाती में कैलोरी होती है, इसलिए वजन बढ़ने की समस्या वाले लोगों को इसका सेवन कम मात्रा में करना चाहिए. किन लोगों को बाबूगोशा नहीं खाना चाहिए. कुछ लोगों को बाबूगोशा से एलर्जी हो सकती है. ऐसे लोगों को इसका सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए. बाबूगोशा को अधिक मात्रा में खाने से पेट फूलना, गैस और कब्ज जैसी समस्याएं हो सकती हैं. इसलिए पाचन संबंधी समस्याओं से पीड़ित लोगों को बाबूगोशा का सेवन सीमित मात्रा में करना चाहिए.
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