भारतीय रेलवे की मालगाड़ियों की गति को लेकर जो आंकड़े सामने आए हैं, वे चौंकाने वाले हैं. जहां पैसेंजर और सुपरफास्ट ट्रेनें 100 से 130 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ती हैं, वहीं मालगाड़ियां सिर्फ 25 किलोमीटर प्रति घंटे की औसत गति से चल रही हैं. हाल ही में संसद में पेश रेलवे की स्थायी समिति की रिपोर्ट में इसका जिक्र है.
रेलवे की स्थायी समिति की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 11 वर्षों में मालगाड़ियों की औसत गति केवल 25.14 किलोमीटर प्रति घंटा रही है. यह आंकड़ा वर्ष 2013-24 तक का है. रिपोर्ट में कहा गया है कि मालगाड़ियों की गति बढ़ाने के लिए भारतीय रेलवे को जरूरी प्रयास करने होंगे.
समिति ने यह भी बताया कि भारतीय रेलवे ने माल परिवहन के लिए दो समर्पित माल गलियारों (डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर) का निर्माण शुरू किया है. इनमें पूर्वी गलियारा लुधियाना से सोननगर (1,337 किमी) तक और पश्चिमी गलियारा मुंबई (जेएनपीटी) से दादरी (1,506 किमी) तक है.
रिपोर्ट के मुताबिक, पूर्वी गलियारे का काम पूरा हो चुका है, जबकि पश्चिमी गलियारे के 102 किलोमीटर का काम दिसंबर 2025 तक पूरा होने की उम्मीद है. इन कॉरिडोर्स के चालू होने से मालगाड़ियों की गति में सुधार होगा और रेलवे की माल परिवहन क्षमता भी बढ़ेगी. समिति ने जोर देकर कहा कि ये गलियारे रेलवे की कमाई में वृद्धि के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं.
आपको बता दें कि भारतीय रेलवे की कुल कमाई का बड़ा हिस्सा माल ढुलाई से आता है. वर्ष 2023-24 में रेलवे ने माल परिवहन से 1,68,293 करोड़ रुपये की कमाई की. वहीं, 2024-25 के लिए 1,80,000 करोड़ रुपये कमाने का लक्ष्य रखा गया है. समिति ने रेलवे मंत्रालय से अन्य नए डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर्स पर भी तेजी से काम करने का आग्रह किया है ताकि माल ढुलाई को और प्रभावी बनाया जा सके.
समिति ने यह भी कहा कि वर्ष 2022-23 और 2023-24 के दौरान भारतीय रेलवे का शुद्ध राजस्व नगण्य रहा. 2024-25 के लिए शुद्ध राजस्व का बजट अनुमान केवल 2,800 करोड़ रुपये रखा गया है. समिति ने चिंता जताते हुए कहा है कि यह स्थिति रेलवे के फाइनेंशियल हेल्थ के लिए सही नहीं है.
रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि यात्री ट्रेनों खासकर एसी क्लास से होने वाली कम आय से रेलवे को सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा है. समिति ने सुझाव दिया है कि रेलवे मंत्रालय एसी क्लास और अन्य श्रेणियों की समीक्षा कर राजस्व बढ़ाने के उपाय करे.
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