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Milky Way galaxy: स्पेस एजेंसी ने भेजी 'शिव'-'शक्ति' के मिलन स्थल की तस्वीर, जो आकाशगंगा बनने के दौरान हो गए थे विलीन

ESA Discovers 'Shiva' and 'Shakti': आकाशगंगा के कई रहस्य अबतक अनसुलझे हैं. जैसे तारों को लेकर कहा जाता है कि उनकी गिनती सबसे मुश्किल है. तारे आकार में सूरज से कई गुना बड़े होते हैं. एक दूसरे से करोड़ों किलोमीटर दूरी पर स्थित होने के बावजूद धरती से देखने पर एकदम नजदीक दिखते हैं. ऐसे रहस्यों को खंगालने के लिए अंतरिक्ष एजेंसियों ने टेलिस्कोप लगाए हैं. जिनसे अंतरिक्ष के अजूबों की पड़ताल हो रही है. यूरोपीय स्पेस एजेंसी ईएसए की बात करें तो उसके स्पेस टेलीस्कोप से ली गई तस्वीरों से अक्सर ब्रह्मांड के रहस्यों की जानकारी मिलती है. इस कड़ी में एक बार फिर उसने कमाल करते हुए आकाशगंगा में 'शिव' और 'शक्ति' नाम के प्राचीन तारों के उस प्वाइंट को एक साथ कैप्चर किया है, जिनका निर्माण अरबों साल पहले हुआ था. माना जाता है कि आकाशगंगा (Milky way) के निर्माण में इनका अहम रोल था.

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यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के गाया टेलिस्कोप ने हमारी आकाशगंगा के बारे में दिलचस्प रहस्योद्घाटन किया है. जिसमें 'शिव' और 'शक्ति' नाम के दो प्राचीन तारों की पहचान की गई है. माना जा रहा है कि ये वही दो अहम तारे हैं. जिनकी उत्तपत्ति अरबों साल पहले हुई थी. वैज्ञानिकों का मानना है कि ये दोनों आकाशगंगा बनाने के लिए विलीन हो गए थे. शक्ति और शिव नाम की दो 'धाराओं' की खोज कई साल पहले हुई थी. अंतरिक्ष की खोज में लगे शोधकर्ताओं का मानना ​​है आकाशगंगा के निर्माण की प्रक्रिया के दौरान आकाशगंगा की इन दो शक्तियों का मिलन हुआ.

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आकाशगंगा में अरबों तारे, सितारों, ग्रह, क्षुद्रग्रह और अन्य खगोलीय पिंडों के अलावा हमारा सौर मंडल भी शामिल है. इसका व्यास लगभग 100,000 प्रकाश-वर्ष होने का अनुमान है और इसमें सैकड़ों अरब तारे हैं.

 

 

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हमारा सौर मंडल आकाशगंगा की सर्पिल भुजाओं में से एक में स्थित है, जिसे ओरियन आर्म या लोकल स्पर के नाम से जाना जाता है. गाया टेलिस्कोप की हालिया कामयाबी ने ब्रह्मांड और आकाशगंगा के अतीत में झांकने की क्षमताओं को मजबूती दी है. इन तस्वीरों से अब शोधकर्ताओं को आकाशगंगा के बारे में और अधिक रहस्यों को उजागर करने में मदद मिलेगी.

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गाया स्पेस क्राफ्ट, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा संचालित, ऐसा मिशन है जो खगोल विज्ञान की शाखा से जुड़ा है. ये सितारों की स्थिति और गति के सटीक माप से संबंधित है. दिसंबर 2013 में लॉन्च किए गए, गाया स्पेशक्राफ्ट का मेन मकसद यानी प्रमुख उद्धेश्य आकाशगंगा में मौजूद करीब एक अरब तारों की स्थिति, दूरी, गति और अन्य गुणों को सटीक रूप से मापकर आकाशगंगा का एक अत्यधिक सटीक 3डी मैप बनाना है. 

 

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आकाशगंगा के मानचित्रण के अलावा, गाया के डेटा का इस्तेमाल खगोलीय घटनाओं की एक विस्तृत श्रृंखला का अध्ययन करने के लिए भी किया जा रहा है. जिसमें नए एक्सोप्लैनेट की खोज के साथ आकाशगंगा से परे तारा समूहों और आकाशगंगाओं की गतिशीलता पर नजर रखना है.

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