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मनीषा कोइराला का हीरो, जिसने 47 साल के करियर में दी दर्जनों हिट फिल्में, असल जिंदगी में लड़ चुका है कारिगल की लड़ाई

Guess This Bollywood Veteran Actor: पिछले कुछ सालों में भारत ने कई युद्ध देखे और लड़े, जिनमें कारगिल युद्ध सबसे खास माना जाता है. इस युद्ध पर बॉलीवुड में कई फिल्में भी बनाई गई हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमारी फिल्म इंडस्ट्री में एक ऐसा भी हीरो है, जो अपने 47 साल के करियर में दर्जनों हिट फिल्में दे चुका है और असल जिंदगी में कारगिल का युद्ध भी लड़ चुका है. नहीं जानते, तो चलिए आपको बताते हैं इस एक्टर के बारे में. 

असग जिंदगी में रहा कारगिल युद्ध का हिस्सा

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असग जिंदगी में रहा कारगिल युद्ध का हिस्सा

26 जनवरी धीरे-धीरे नजदीक आ रही है. ऐसे में भारतीय सेना की वीरता और बलिदान का जिक्र करते हुए ये बताना जरूरी है कि हमारे देश ने कई बड़े युद्ध देखे और लड़े हैं, जिनमें कारगिल युद्ध को सबसे खास माना जाता है. इस युद्ध में हमारे सैनिकों ने अद्वितीय साहस दिखाते हुए जीत हासिल की थी और कई सैनिकों ने अपना बलिदान भी दिया था. इस युद्ध पर बॉलीवुड में फिल्में भी बनी हैं, लेकिन आज हम आपको उस हीरो के बारे में बताने जा रहे हैं, जो असल जिंदगी में इस युद्ध का हिस्सा रहा है. 

कौन है ये हिंदी सिनेमा के दिग्गज सितारा?

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कौन है ये हिंदी सिनेमा के दिग्गज सितारा?

जी हां, उस एक्टर ने अपने करियर में सिर्फ हिट फिल्में देने या बड़े पर्दे पर फौजी का किरदार निभाने तक ही खुद को सीमित नहीं रखा, बल्कि युद्ध के मैदान में जाकर देश की सेवा की. ये अभिनेता कोई और नहीं, बल्कि तीन बार राष्ट्रीय पुरस्कार जीत चुके नाना पाटेकर थे. नाना ने अपने करियर की शुरुआत 1978 में फिल्म 'गमन' से की थी. उन्होंने अपने 47 साल के करियर में कई हिट फिल्में दीं, जिनमें कई फिल्म देश भक्ति पर आधारित हैं जैसे 'क्रांतिवीर', 'प्रहार: द फाइनल अटैक' और 'तिरंगा'. 

नाना पाटेकर ने लड़ा कारगिल युद्ध

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नाना पाटेकर ने लड़ा कारगिल युद्ध

कुछ समय पहले नाना पाटेकर अमिताभ बच्चन के क्विज शो 'कौन बनेगा करोड़पति' के 16वें सीजन में ये राज खोला था और बताया कि कैसे उन्होंने कारगिल युद्ध में हिस्सा लिया, जिसके लिए उन्होंने कुछ समय के लिए फिल्मी करियर में अलविदा कह दिया था. नाना ने बताया कि उन्होंने 1990 की शुरुआत में अपनी फिल्म 'प्रहार' के लिए मराठा लाइट इन्फेंट्री के साथ तीन साल का ट्रेनिंग ली थी. जब 1999 में कारगिल युद्ध शुरू हुआ, तो उन्होंने सैनिकों के साथ अग्रिम मोर्चे पर जाने की इच्छा जाहिर की. 

कैसे मिला मौका?

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कैसे मिला मौका?

हालांकि, शुरुआत में उनके इस डिमांड को खारिज कर दिया गया था, क्योंकि इसके लिए रक्षा मंत्री की परमीशन जरूरी थी. नाना ने इस चुनौती का सामना किया और तत्कालीन रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडीस से संपर्क किया. नाना ने उन्हें बताया कि उन्होंने सेना के साथ लंबी ट्रेनिंग ली है. उनकी बातों से प्रभावित होकर मंत्री ने उन्हें युद्ध क्षेत्र में जाने की अनुमति दे दी. अगस्त 1999 में, नाना पाटेकर ने नियंत्रण रेखा (LOC) के पास अग्रिम मोर्चे पर सैनिकों के साथ काम किया. उन्होंने वहां करीब पंद्रह दिन बिताए और सैनिकों की सहायता के साथ-साथ अस्पताल में भी सेवा की. 

76 किलो से 56 किलो रह गया था वजन

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76 किलो से 56 किलो रह गया था वजन

उन्होंने बताया कि युद्ध क्षेत्र के मुश्किल हालातों में काम करने की वजह से उनका वजन 20 किलोग्राम तक कम हो गया था. नाना ने बताया कि जब वे श्रीनगर पहुंचे, तो उनका वजन 76 किलोग्राम था, लेकिन लौटते समय ये घटकर 56 किलोग्राम रह गया था. कारगिल युद्ध के अनुभव ने नाना को गहराई से प्रभावित किया. उन्होंने अपने फिल्मी करियर में वापसी की, लेकिन उनकी ये सेवा देश के लिए उनके गहरे सम्मान और जिम्मेदारी को दिखाती है. नाना ने बताया कि सेना में बिताए समय ने उन्हें जीवन के असली मायने समझने में मदद की. 

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