343 साल पुराना है ये किला, जिसके सामने अंग्रेजों के तोप के गोले भी थे फेल!
भारत अपने महान सम्रराज्य और संस्कृति के लिए जाना जाता है.भारत का इतिहास बहुत विशाल है.भारत में एक से बढ़कर एक किले हैं जो अपनी कहानी को बयां करते हैं.यहां पर हम रानी लक्ष्मीबाई के किले के बारे में बात कर रहे हैं. जो अपने शौर्य और संस्कृति का प्रतीक है.झांसी का किला स्वतंत्रता संग्राम का साक्षी रहा है.
झांसी के किले को रानी लक्ष्मीबाई का किला भी कहा जाता है,यह किला उत्तर प्रदेश के झांसी में स्थित है.इस किले को 17वीं सदी में बनवाया गया था.इस किले का निर्माण दुश्मनों से बचने और नगर की सुरक्षा के लिए किया गया था.इस किले पर अंग्रेजों ने बरसाए थे तोप के गोले.
किले की दिवारों को ग्रेनाइट से बनवाया गया है. दिवारों की ऊंचाई लगभग 16 फीट से 20 फीट हैं.इस किले का निर्माण केरल के बेकाल किले की तरह समुद्र तल पर हुआ है.यह किला लगभग 15 एकड़ में फैला हुआ है.इस किले की लंबाई लगभग 312 मीटर और 225 मीटर चौड़ाई है.
इस किले के पास में ही बड़ा सा बाड़ा है जो पानी की कमी को पूरा करता था. किले के अंदर एक विशेष महल है जो राणी महल के नाम से जाना जाता है.इस महल में रानी लक्ष्मीबाई रहती थीं.हर वर्ष जनवरी और फरवरी के महीने में झांसी में उत्सव मनाया जाता है.इस उत्सव में कई बड़ी हस्तियां नाटक दिखाते हैं. ये काफी लोकप्रिय होता है.
इस किले का निर्माण 17वीं सदी में हुआ था.यह किला इतना पुराना है कि इसके उम्र का सही ढंग से अंदाजा नहीं लगाया जा सकता.वैज्ञानिकों के अनुसार इस किले की उम्र लगभग 343 साल है.यह एक बेहद एतिहासिक जगह है.
झांसी का किला बेहद सुंदर और इतिहास का प्रतीक है.यह किला आज पर्यटक स्थल बन चुका है.झांसी किले का दौरा करना मतलब भारतीय इतिहास को समझना.
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