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Maha Kumbh Mela 2025: महाकुंभ मेला जो दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है, 13 जनवरी से आधिकारिक रूप से शुरू हो चुका है और यह 26 फरवरी तक जारी रहेगा. उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित इस आयोजन में दुनिया भर से श्रद्धालु गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम पर पवित्र स्नान करने के लिए पहुंचे हैं. हर बार की तरह इस बार भी इस मेले में साधु-संतों की बड़ी संख्या में उपस्थिति देखी जा रही है और उनके वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे हैं.
संत द्वारा रिपोर्टर पर हमला
इस मेले से जुड़ा एक वीडियो हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है. वीडियो में एक अपने तंबू में एक रिपोर्टर से बातचीत करते हुए नजर आ रहे हैं. लेकिन बातचीत के दौरान ही सब कुछ अचानक बदल जाता है. साधु जो रिपोर्टर के सवाल से नाराज दिख रहे थे, उसने इरिटेट होकर रिपोर्टर को चिमटे से मारते हुए उसे तंबू से बाहर धकेल दिया. वीडियो में साधु को यह कहते हुए सुना जा सकता है, "तुम लोग देख रहे हो क्या, क्या गलत बोला इसने?"
सोशल मीडिया पर मिले अलग-अलग प्रतिक्रियाएं
इस वीडियो के सोशल मीडिया पर अपलोड होते ही यह तेजी से वायरल हो गया और इसे अब तक 20 मिलियन से ज्यादा व्यूज मिल चुके हैं. वीडियो के कमेंट सेक्शन में विभिन्न प्रतिक्रियाएं आईं. एक यूजर ने लिखा, “अगर किसी संत को परेशान करेंगे तो यही होगा.” वहीं, कुछ यूजर्स ने इस घटना को गलत ठहराते हुए कहा कि सच्चे संत कभी अपशब्द नहीं बोलते.
एक अन्य ने यह भी कहा, “यह बिलकुल अस्वीकार्य है कि कोई संत जो अपने जीवन को भगवान को समर्पित करता है, वह गाली-गलौच करे.” कई लोगों ने इस पर सवाल उठाया कि संतों को ध्यान और शांति का अभ्यास करना चाहिए, लेकिन जो वह कर रहे हैं, वह इससे बिल्कुल अलग है. उन्होंने हाथ उठाकर क्या हासिल किया है?”
कुंभ मेला: 144 साल में एक बार, विशेष धार्मिक महत्व
इस बार का महाकुंभ मेला 12 साल बाद आयोजित हो रहा है, लेकिन संतों का मानना है कि इस बार का आयोजन खगोलीय संयोगों के कारण विशेष महत्व रखता है, क्योंकि यह संयोग 144 साल में एक बार ही बनता है. इस वजह से इस मेला को और भी पवित्र माना जा रहा है.
करोड़ों श्रद्धालुओं ने पहले 'अमृत स्नान' में भाग लिया, जो कुंभ मेला का एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है और मकर संक्रांति के साथ मेल खाता है. यह अनुष्ठान विशेष रूप से पवित्रता और शुद्धिकरण का प्रतीक माना जाता है. एक दिन पहले सोमवार को संगम क्षेत्र में पहला बड़ा स्नान हुआ था जो पौष पूर्णिमा के अवसर पर हुआ. पहले ‘अमृत स्नान’ में प्रतिष्ठित अखाड़ों के संतों ने भी भाग लिया, जो इस अवसर को और भी खास बना देता है.