भारत शांतिप्रिय देश तो है किन्तु मोदी राज का भारत अब पिछले भारत से काफी अलग है. भारत की शान्ति भंग करने वाले के साथ भारत किसी तरह का समझौता नहीं कर सकता. चीन की लद्दाख सीमा पर की गई सैन्य-बेहूदगी का जवाब भारत ने उसी तेवर में दिया है. फिलहाल दोनों तरफ से जारी शांतिवार्ता किसी नतीजे तक नहीं पहुंच सकी है..
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नई दिल्ली. कोरोना-काल में युद्ध किसी भी देश के लिए समझदारी नहीं है. लेकिन दुनिया में कोरोना फैलाने वाले चीन के लिए युद्ध एक रणनीति है जिसका इस्तेमाल वह जापान, ताइवान, हांगकांग और भारत के खिलाफ कर रहा है. अन्य देशों की भांति ही भारत ने भी चीन की इस दबाव-नीति के समक्ष आत्मसमर्पण नहीं किया. इस बीच दोनों देशों के मध्य सैन्य स्तर पर और कूटनीतिक स्तर पर चल रही शान्ति वार्ता अब तक किसी मुकाम पर नहीं पहुंच पाई है.
चीन द्वारा कोरोना पैदा किया गया और चीन द्वारा ही सीमा विवाद भी. दोनों ही अपराधों में उसे अंतिम तौर पर माफ़ी नहीं मिलने वाली है. फिलहाल लद्दाख बॉर्डर चल रहे सैन्य गतिरोध के बीच दोनों देशों के मध्य चल रही बातचीत में विशेष प्रगति दिखाई नहीं दी है. यद्यपि कूटनीतिक स्तर पर बातचीत शुरू हो गई है फिर भी चीनी सैन्य जमावड़ा लगातार बढ़ाया जा रहा है और स्थिति अभी भीसंवेदनशील बनी हुई है
दुनिया देख रही है और चीन भी जानता है कि भारत शान्ति चाहता है और इसके लिए कूटनीतिक स्तर भारत ने बातचीत भी चला रखी है. किन्तु एक बात पर भारत पूरी तरह अडिग है और वह ये है कि वह सीमा पर चीन की नई अवधारणा बनाने के प्रयास को सफल नहीं होने देगा. भारत अपने सीमा क्षेत्र में निर्माण और आधारभूत संरचना को लेकर कोई समझौता नहीं करेगा और उसने इस बात के संकेत चीनी पक्ष को भी दे दिए हैं.
सारे तनाव की जड़ भी यही है. भारत अपनी सीमा क्षेत्र में सीमा के निकटवर्ती इलाकों में निर्माण कार्य जारी रखे हुए है जो कि भारत के लिए सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है. भारत के इस निर्माण कार्य को रोकने के लिए चीन ने यह सैन्य-विवाद पैदा किया है. लेकिन भारत ने शान्ति की चाहत दिखाते हुए भी साफ़ कर दिया है कि वह अपने कदम पीछे नहीं खींचेगा.
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