भारत के कई राज्यों में कोविड के साथ-साथ सीजनल फ्लू (इन्फ्लूएंजा) भी तेजी से बढ़ रहा है. दोनों ही बीमारियों के लक्षण एक जैसे होने के कारण लोगों को समझने में परेशानी हो रही है.
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भारत के कई राज्यों में कोविड के साथ-साथ सीजनल फ्लू भी तेजी से बढ़ रहा है. दोनों ही बीमारियों के लक्षण एक जैसे होने के कारण लोगों को समझने में परेशानी हो रही है. ऐसे में दोनों बीमारियों के बीच अंतर समझना बहुत जरूरी है.
कोविड-19 एक वायरल संक्रमण है जो कोरोना वायरस के कारण होता है. यह संक्रमण सांस लेने की समस्या, बुखार, खांसी, थकान, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, गले में खराश और स्वाद या गंध की कमी जैसे लक्षणों का कारण बन सकता है. वहीं, सीजनल फ्लू भी एक वायरल संक्रमण है जो इनफ्लुएंजा वायरस के कारण होता है. यह संक्रमण बुखार, खांसी, गले में खराश, मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द, ठंड लगना और थकान जैसे लक्षणों का कारण बन सकता है.
दोनों बीमारियों के लक्षणों में समानता के कारण लोगों को भ्रम हो सकता है. ऐसे में दोनों बीमारियों के बीच अंतर समझना जरूरी है. चलिए जानते हैं कोविड और सीजनल फ्लू के बीच कुछ प्रमुख अंतर के बारे में.
- कोविड के मामले में बुखार ज्यादातर तेज होता है और अचानक शुरू होता है. वहीं, सीजनल फ्लू के मामले में बुखार आमतौर पर हल्का होता है और धीरे-धीरे बढ़ता है.
- कोविड के मामले में खांसी आमतौर पर सूखी होती है और कई दिनों तक रहती है, जबकि सीजनल फ्लू के मामले में खांसी आमतौर पर गीली होती है और कुछ दिनों तक रहती है.
- कोविड के मामले में थकान आमतौर पर बहुत अधिक होती है और कई दिनों तक रहती है तो वहीं सीजनल फ्लू के मामले में थकान आमतौर पर कम होती है और कुछ दिनों तक रहती है.
- कोविड के मामले में सांस लेने में तकलीफ आमतौर पर गंभीर होती है. वहीं, सीजनल फ्लू के मामले में सांस लेने में तकलीफ आमतौर पर हल्की होती है.
कोविड और सीजनल फ्लू के लक्षण एक जैसे होने के कारण लोगों को भ्रम हो सकता है. ऐसे में दोनों बीमारियों के बीच अंतर समझना जरूरी है. अगर आपको इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई दे रहे हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.
कोविड और सीजनल फ्लू से बचाव के लिए कुछ जरूरी उपाय
- मास्क पहनें.
- सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें.
- हाथों को बार-बार साबुन से धोएं या सैनिटाइज करें.
- भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें.
- स्वस्थ आहार लें और पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं.
- नियमित रूप से व्यायाम करें.
- अतिरिक्त सावधानी बरतें यदि आप बुजुर्ग हैं या किसी पुरानी बीमारी से पीड़ित हैं.