रिश्तेदार क्या पत्नी को भी गाड़ी में नहीं बैठा सकते ये नेता, नियम जानकर बोलेंगे- ऐसा भी होता है क्या?
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रिश्तेदार क्या पत्नी को भी गाड़ी में नहीं बैठा सकते ये नेता, नियम जानकर बोलेंगे- ऐसा भी होता है क्या?

भारत में कई ऐसी हस्तियां हैं जो अपनी गाड़ी में अपने रिश्ते, दोस्त या फिर पत्नी को भी नहीं बैठा सकते. इसके पीछे एक बहुत बड़ी वजह है. हालांकि कुछ परिस्थितियों में उन्हें इजाजत लेकर ऐसा करने की अनुमति होती है. तो चलिए जानते हैं ऐसा किन लोगों के साथ है. 

रिश्तेदार क्या पत्नी को भी गाड़ी में नहीं बैठा सकते ये नेता, नियम जानकर बोलेंगे- ऐसा भी होता है क्या?

भारत में कई बड़ी हस्तियां ऐसी हैं जो अपनी गाड़ी में अपने रिश्तेदार, दोस्त यहां तक कि अपनी पत्नी को भी नहीं बैठा सकते. अब आप सोच रहे होंगे कि भला कोई कितनी भी बड़ी हस्ती हो क्यों ना हो आखिर वो अपनी पत्नी को गाड़ी में क्यों नहीं बैठा सकता? तो इसका जवाब है उसकी सुरक्षा. इसके बाद ज़हन में यह सवाल आना भी बनता है कि भला पत्नी से किसी को क्या खतरा हो सकता है? तो इसका जवाब है नियम. यानी नियमों में ही ऐसा है कि पत्नी को गाड़ी में नहीं बैठाया जा सकता. 

दरअसल भारत में जिन लोगों के पास Z+ सिक्योरिटी होती है वो लोग अपनी पत्नी को गाड़ी में नहीं बैठा सकते. Z+ सिक्योरिटी भारत में एक उच्चतम स्तर की सुरक्षा प्रदान करने वाली विशेष सुरक्षा व्यवस्था है, जो VIPs को दी जाती है. सरकार की तरफ से मुहैया कराई जाने वाली यह सिक्योरिटी आम तौर पर उच्च-स्तरीय सरकारी अधिकारियों, नेताओं या बड़े व्यापारियों को मिलती है. यानी ऐसे लोगों को यह सिक्योरिटी दी जाती है जिनकी जान को ख़तरा हो सकता है.

Z+ सिक्योरिटी में क्या-क्या होता है:

➤ सुरक्षा कर्मियों का घेरा: Z+ सिक्योरिटी में सुरक्षा कर्मियों की एक बड़ी टीम होती है, जिसमें लगभग 30-35 सुरक्षा अधिकारी होते हैं. इनमें से कुछ व्यक्ति व्यक्तिगत सुरक्षा (जैसे गनमैन) के रूप में होते हैं, जबकि कुछ लोग खुफिया सुरक्षा, क्यूआरटी (Quick Response Team) और मोबाइल सुरक्षा टीम के रूप में कार्य करते हैं.
➤ एक्स-रे मशीन और बम निरोधक टीम: उच्चतम स्तर की सुरक्षा में एक्स-रे मशीनें, ध्वनि एवं विस्फोटक पहचानने वाली तकनीकी और बम निरोधक दल शामिल होते हैं. ये सुनिश्चित करते हैं कि किसी भी प्रकार की विस्फोटक सामग्री से बचाव हो सके.
➤ सुरक्षा वाहनों का काफिला: Z+ सिक्योरिटी के तहत व्यक्ति को उच्च सुरक्षा वाले वाहन मिलते हैं, जो बुलेटप्रूफ होते हैं. यह काफिला विभिन्न सुरक्षा उपायों से लैस होता है, ताकि किसी भी संभावित खतरे से बचा जा सके.
➤ सुरक्षा कवच और हथियार: Z+ सिक्योरिटी के तहत सुरक्षा कर्मियों के पास अत्याधुनिक हथियार और अन्य उपकरण होते हैं. साथ ही, व्यक्तिगत सुरक्षा में भी विभिन्न प्रकार के कवच का उपयोग किया जाता है, जैसे बुलेटप्रूफ वेस्ट.
➤ खुफिया जानकारी: Z+ सिक्योरिटी में खुफिया विभाग द्वारा निगरानी की जाती है और सुरक्षा के खतरे के बारे में पूर्व सूचना प्राप्त की जाती है. इससे सुरक्षा कर्मियों को खतरे से पहले ही सतर्क कर दिया जाता है.

पत्नी गाड़ी में क्यों नहीं बैठ सकती?

अब यदि यह सवाल पूछा गया है कि जिनको Z+ सिक्योरिटी मिलती है, वे अपनी पत्नी को गाड़ी में क्यों नहीं बैठने देते, तो इसका कारण सुरक्षा उपायों से जुड़ा हुआ है. ज़्यादा सुरक्षा कवर वाले व्यक्तियों के साथ कई बार यह सुनिश्चित किया जाता है कि उनके सुरक्षा कर्मियों के साथ कोई भी और व्यक्ति न हो, ताकि सुरक्षा में कोई चूक न हो. इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि पत्नी के साथ होने पर उसके किडनैप होने का खतरा भी बना रहता है. हालांकि अगर वो VIP चाहे तो NSG से इसकी परमीशन लेकर पत्नी को गाड़ी में बैठा सकता है. यह सब सिक्योरिटी स्टाफ को तय करना होता है कि कौन कहां बैठेगा, साथ ही किस नंबर पर कौन सी गाड़ी चलेगी.

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