मुठभेड़ में अपराधियों को मारने वाला भी पापी? परेशान एनकाउंटर स्पेशलिस्ट ने प्रेमानंद महाराज से पूछा सवाल, मिली अनोखी सलाह
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मुठभेड़ में अपराधियों को मारने वाला भी पापी? परेशान एनकाउंटर स्पेशलिस्ट ने प्रेमानंद महाराज से पूछा सवाल, मिली अनोखी सलाह

Mathura News:"मैंने बहुत एनकाउंटर किये हैं...मेरा पश्चाताप क्यो होगा", यह सवाल जब मेरेठ में तैनात एनकाउंटर स्पेशलिस्ट मुनेश सिंह ने संत प्रेमानंद महाराज से किया तो सुनिये प्रेमानंद जी महाराज ने उन्हें क्या सलाह दी.

 

मुठभेड़ में अपराधियों को मारने वाला भी पापी? परेशान एनकाउंटर स्पेशलिस्ट ने प्रेमानंद महाराज से पूछा सवाल, मिली अनोखी सलाह

Mathura News: मेरठ में थानाध्यक्ष के पद पर तैनात एनकाउंटर स्पेशलिस्ट मुनेश सिंह का संत प्रेमानंद महाराज से किया गया सवाल सुर्खियों में है. लोग सवाल कर रहे हैं कि क्या एक एनकाउंटर स्पेशलिस्ट को पश्चाताप होता है. जबकि वह तो अपनी ड्यूटी कर रहा है. क्या है यह पूरा मामला, आइये आपको विस्तार से बताते हैं. 

मेरठ में  थानाध्यक्ष के पद पर तैनात एनकाउंटर स्पेशलिस्ट मुनेश सिंह अपने परिवार के साथ 10 फरवरी को मथुरा पहुंचे थे. यहां उन्होंने संत प्रेमानंद महाराज के दर्शन के दौरान उनसे सवाल किया किया, " महाराज ! मैं पुलिस की नौकरी  करता हूं और मेरठ में थानाध्यक्ष के पद पर तैनात हूं, मैंने अपनी 32 साल की नौकरी में कई एनकाउंटर किये हैं. एक एनकाउंटर के दौरान मेरी भी छाती में गोली लगी. मेरी मृत्यु की खबर भी जारी हो गई थी लेकिन ईश्वर की कृपा से मैं बच गया. तभी से मेरा मन विचलित रहता है, मेरा पश्चाताप क्या होगा."  

इस पर संत प्रेमानंद महाराज ने थानाध्यक्ष मुनेश सिंह को सलाह दी कि वे कुछ समय निकालकर भगवान के ध्यान में दिया करें.  भगवान से प्रार्थना करें कि नौकरी के दौरान उनसे जो चूक हुई हैं उन्हें क्षमा किया जाए, पाप मिले हैं वो दूर हो जाएं. 

प्रेमानंद महाराज ने कहा कि हमें अपने कर्तव्य निभाते हुए प्रभु से प्रार्थना करनी चाहिये कि हम मनुष्य योनि के नीचे ना जाएं. आधा जीवन तो आपने वैसे ही देश के नाम कर दिया. अब शेष जीवन भगवान को दीजिये. अपने समाज में रहकर आप रिटायर भी रहेंगे. जिसकी स्वभाव अच्छा होता है वो समाज में भी अच्छा वातावरण बनाता है. 

कौन हैं एनकाउंटर स्पेशलिस्ट मुनेश सिंह 
आगरा के रहने वाले मुनेश के दो बच्चे हैं. उनकी पत्नी बच्चों के साथ गाजियाबाद में रहती हैं. मेरठ से पहले वो गाजियाबाद में ही तैनात थे. सिपाही से पुलिस में भर्ती होकरा 2016 में वो दारोगा बने, पुलिस की 32 साल की नौकरी में उन्होंने 25 से ज्यादा एनकाउंटर किये.  वे गाजियाबाद में राकेश दुजाना के साथ मुठभेड़ करने वाली टीम के सदस्य भी रहे. इसी साल गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रपति से मुनेश सिंह को वीरता पुरस्कार भी मिला.  

किस घटना ने मुनेश सिंह का हृदय बदला
घटना 23 जनवरी की है जब राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के दिन वो मेरठ में ही गश्त पर थे इसी दौरान कुछ बदमाश जो कार चोरी कर भाग रहे थे उनके साथ मुठभेड़ हो गई. दोनो तरफ से हुई फायरिंग में एक गोली मुनेश के सीने में लग गई. मुनेश सिंह 11 दिन इलाज के दौरान ICU में रहे लेकिन उनकी जान बच गई.

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