Muharram in Lucknow: मुहर्रम में बिक रहे सोने-चांदी से बनी ताजिया, नवाबी शहर लखनऊ में महंगे ताजियों की धूम
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Muharram in Lucknow: मुहर्रम में बिक रहे सोने-चांदी से बनी ताजिया, नवाबी शहर लखनऊ में महंगे ताजियों की धूम

Lucknow News: यूपी में ऐसे तो बहुत से अनोखे और प्रसिद्ध बाजार हैं. लेकिन प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक ऐसा भी बाजार है, जहां सोने और चांदी से बस गहने ही नहीं बल्कि ताजिया और आलम भी मिलते हैं. आइए जानते हैं इस बाजार के बारे में ... 

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UP News/Atiq Ahmed: यूपी में ऐसे तो बहुत से अनोखे और प्रसिद्ध बाजार हैं. लेकिन प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक ऐसा भी बाजार है, जहां सोने और चांदी से बस गहने ही नहीं बल्कि ताजिया और आलम भी मिलते हैं. यूं तो ताजिया आपने बहुत देखे होंगे. लेकिन लखनऊ के चौक सराफा मार्केट में चांदी की बनी अनोखी ताजिया आज कल लोगों के लिए आकर्षण का एक केंद्र बन गया है. बाजार में चांदी के ताजिया के साथ चांदी के आलम भी बनाए जाते हैं. 

ताजिया के ऊपर लगता है आलम
आपको बता दें कि आलम को ताजिया के ऊपर लगाया जाता है. लाखों रुपए की लागत से तैयार होने वाले इस ताजिया को लखनऊ के कारीगरों द्वारा तैयार किया जाता है. लखनऊ में बनने वाली इस चांदी की ताजिया और आलम की कीमत 100 रुपये से शुरु होकर लाखों रुपए तक की होती है. खास बात यह है कि चांदी के ताजिया आलम को बनाने के लिए एक साल पहले से कारीगरों को ऑर्डर दिए जाते हैं. 

कैसे बनती है चांदी की ताजिया
यह सब पढ़ने के बाद सबके मन में एक ही सवाल होगा कि कैसे बनती है ये सोने और चांदी की ताजिया. तो इसका जवाब दिया है बाजार के एक दुकानदार राकिम ने. राकिम के अनुसार हर व्यक्ति की अपनी एक मन्नत होती है. इसी मन्नत के हिसाब से लोग चांदी की ताजिया अपने अपने घरों में रखने के साथ साथ अपने हिसाब से ही सोने और चांदी से बनी ताजिया खरीदते हैं. राकीम ने यह भी बताया कि कागज की ताजिया को दफनाया जाता है. लेकिन चांदी या सोने की ताजिया को दफनाया नहीं जाता है. इसको लोग घरों और इमामबाड़े में रखते हैं. 

कारीगरी पर निर्भर होती है कीमत
कारीगरों ने बताया कि चांदी ताजिया की कारीगरी कोई सामान्य काम नहीं है. इसके लिए कई कारीगरों को एक साथ काम करना होता है. सबसे पहले इसके लिए चांदी को गलाया जाता है. फिर इसको वरक पर पीटा जाता है. दुकानदार ने बताया कि हर ताजिया कम से कम 20 कारीगरों के हाथों से गुजरता है. हर कोई इस कारीगरी को नहीं कर सकता. इसी वजह से ताजिया की कीमत उसकी कारीगरी पर निर्भर करती है.

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