Prayagraj Mahakumbh 2025: मान्यता है कि कल्पवास करने से सौ साल तक बिना अन्न ग्रहण किए तपस्या जितना फल मिलता है. चित्रकूट की रहने वाली पुष्पा त्रिपाठी भी पति की याद में 11 साल से कल्पवास कर रही हैं.
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Mahakumbh 2025: संगमनगरी प्रयागराज में दिव्य और भव्य महाकुंभ में करोड़ों लोग आस्था की डुबकी लगा चुके हैं. देश विदेश से श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलसिला जारी है. संगम की रेती पर बड़ी संख्या में लोग कल्पवास करने आते हैं. मान्यता है कि कल्पवास करने से सौ साल तक बिना अन्न ग्रहण किए तपस्या जितना फल मिलता है. चित्रकूट की रहने वाली पुष्पा त्रिपाठी भी पति की याद में 11 साल से कल्पवास कर रही हैं.
58 साल की कल्पवासी पुष्पा त्रिपाठी के पति का 42 साल की उम्र में हार्टअटैक से मौत हो गई. पति की मौत से पुष्पा बुरी तरह टूट गईं. उनकी जीने की इच्छा ही खत्म हो गई. पुष्पा की तीन बेटियां हैं. पति की मौत के समय बड़ी बेटी ममता 17 साल, दूसरी बेटी 15 साल और छोटी बेटी सुनीता 10 साल थी. 2014 में वह परिवार की महिलाओं के साथ पहली बार संगम आई थीं. यहां एक महीने तक उन्होंने कल्पवास किया. इसके बाद उनका मन इसमें ऐसा लगा कि हर साल कल्पवास करने आती हैं.
पुष्पा के मुताबिक पति की इच्छा थी कि रिटायर होने के बाद वह कल्पवास करेंगे. लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था. पति की अधूरी इच्छा को पुष्पा पूरा कर रही हैं. पुष्पा का कहना है कि इससे पति की अधूरी इच्छा भी पूरी हो रही है और मां गंगा मन के कष्ट भी दूर कर देती हैं. पुष्पा ने बताया कि कल्पवास के खर्च की व्यवस्था उनकी बेटियां कर देती हैं जबकि देवरानी और जेठानी भी उनकी मदद करती हैं.
पुष्पा ने कहा कल्पवास के दौरान संगम की रेती से ऊर्जा मिलती है. मां गंगा की महिमा अपरंपार है. कल्पवास की अलौकिक शक्ति जीवन को आत्मिक सुख देती है. एक महीने तक संगम तट पर मां गंगा की गोद में कल्पवास करने से पूरे साल मन में शांति रहती है. जिंदी को संयमित तरीके से जीने का तरीका सीखने को मिला. दिन में दो बार गंगा का स्नान करने से भक्ति और शक्ति मिलती है. साथ ही इस तप और साधना की वजह से पति के न होने का पहाड़ जैसा दुख कम हो जाता है.
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