पांच अग्निपरीक्षा से गुजरते हैं नागा साधु, तंग तोड़-दंडी संस्कार जैसे इम्तेहान, जानें नागा साधुओं का इतिहास
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पांच अग्निपरीक्षा से गुजरते हैं नागा साधु, तंग तोड़-दंडी संस्कार जैसे इम्तेहान, जानें नागा साधुओं का इतिहास

Maha kumbh 2025 GK Quiz: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 13 जनवरी 2025 से महाकुंभ शुरू हो गया है. महाकुंभ मेले का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. इस मौके पर हम आपके लिए लेकर आए हैं, महाकुंभ पर आधारित ये खास क्विज. क्या आप जानते हैं  नए साधु कैसे नागा साधु बनते हैं. पढ़िए... 

Maha kumbh 2025 Naga Sadhu

Maha kumbh 2025 GK Quiz: महाकुंभ में सबसे खास होता है शाही स्नान, जिस पर दुनियाभर के लोगों की आंखें टिकी होती हैं. शाही स्नान के साथ-साथ इस मेले का मुख्य आकर्षण नागा साधु होते हैं. नागा साधुओं का जीवन अन्य साधुओं की तुलना में बहुत कठिन होता है और उनका संबंध शैव परंपरा की स्थापना से जुड़ा हुआ है. क्या आप नागा साधुओं के बारे में ये जानते हैं कि नए साधु कैसे नागा साधु बनते हैं, अगर आपका जवाब नहीं है तो आप सही पेज पर आए हैं.  इस मौके पर हम आपके लिए लेकर आए हैं, महाकुंभ पर आधारित ये खास क्विज यानी आपकी जनरल नॉलेज के बारे में जानते हैं. देखते हैं कि आप कुंभ को कितना जानते हैं.  

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प्रयागराज महाकुंभ 2025
 प्रयागराज शहर में 12 साल बाद महाकुंभ का आयोजन इस बार किया जा रहा है.महाकुंभ में करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु, साधु और संत शामिल होते हैं. नागा साधु बनने के लिए कड़े प्रोसेस से गुजरना होता है. नागा साधु बनने के लिए सालों तप करना पड़ता है.

नागा साधुओं की दुनिया
इस महाकुंभ में नागा साधु अपने जप, तप और साधना से चर्चा में बने हुए हैं. 14 जनवरी को पहला अमृत स्नान किया गया और इस दौरान नागा शरीर पर भस्म लगाए रेत लपेटे, नाचते-गाते, डमरू बजाते शामिल हुए. इस दौरान कई नागा साधु अस्त्र-शस्त्र लिए भी नजर आए. 

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सवाल:महाकुंभ 2025 में कब बनेंगे नागा साधु
जवाब: महाकुंभ 2025 में 19 जनवरी को नागा साधु बनाए जाएंगे. प्रक्रिया 17 जनवरी से शुरू हो रही है. यहां पांच गुरु उन्हें विभिन्न वस्त्र देंगे और संन्यास की दीक्षा अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर देंगे. इसके बाद हवन होगा, और 19 जनवरी की सुबह लंगोटी खोलकर साधु नागा बनाए जाएंगे.वस्त्र पहनने या दिगंबर रूप में रहने का विकल्प दिया जाता है.  वस्त्र पहनने वाले नागा अमृत स्नान के दौरान नग्न होकर स्नान करेंगे.  महंत रमेश गिरि के अनुसार, महाकुंभ में सभी अखाड़े 1800 से अधिक साधुओं को नागा बनाएंगे, जिनमें सबसे अधिक नागा जूना अखाड़े से बनाए जाएंगे.

सवाल:कौन सी दो प्रमुख क्रियाएं से महाकुंभ 2025 में मिलेंगे नागा साधु
जवाब:नागा बनाने के दौरान दो प्रमुख क्रियाएं मानी जाती हैं.  पहली क्रिया चोटी काटने की होती है, जिसमें गुरु शिष्य का पिंडदान करने के बाद उसके सामाजिक बंधनों को चोटी के माध्यम से काटते हैं. चोटी कटने के बाद, वह शिष्य सामाजिक जीवन में वापस नहीं लौट सकता. दूसरी महत्वपूर्ण क्रिया तंग तोड़ की होती है, जिसे गुरु खुद नहीं करते, बल्कि एक अन्य नागा से करवाते हैं. यह क्रिया नागा बनाने की आखिरी प्रक्रिया मानी जाती है.नागा बनने के बाद ही साधुओं को महामंत्री, सचिव, श्रीमहंत, महंत, थानापति, कोतवाल, पुजारी जैसे पदों पर तैनात किया जाता है.

सवाल: क्या आप जानते हैं?
जवाब:आइए जानते हैं नागा साधु बनने के लिए कितने दिन की ट्रेनिंग होती है. और  कितने अखाड़े नागा साधु तैयार करते हैं. ये भी जानते हैं कि नागा साधु बनने के लिए किन परीक्षाओं से गुजरना होता है.

सवाल:कितने दिनों तक दी जाती है ट्रेनिंग?
जवाब:कहा जाता है कि नागा साधुओं की ट्रेनिंग बहुत कठिन होती है. अगर कोई व्यक्ति नागा साधु बनना चाहता है, तो उसकी महाकुंभ, अर्द्धकुंभ और सिहंस्थ कुंभ के दौरान साधु बनने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है.

सवाल:कितने अखाड़े?
जवाब:नागा साधुओं के कुल 13 अखाड़े हैं, जिनमें से 7 अखाड़े ही नागा संन्यासी की ट्रेनिंग देते हैं. इनमें जूना, महानिर्वाणी, निरंजनी, अटल, अग्नि, आनंद और आह्वान अखाड़ा हैं.

सवाल:कितने साल करनी होती है गुरु की सेवा?
जवाब:नागा साधु बनने के लिए पहले व्यक्ति को बह्मचर्य की दीक्षा दी जाती है. दीक्षा के बाद उसे 3 साल तक गुरुओं की सेवा करने होती है. यहां उसे धर्म, दर्शन और कर्मकांड के बारे में बताया जाता है. इसे पास करने के बाद महापुरुष बनने की दीक्षा दी जाती है. यहीं से उसकी सबसे कड़ी ट्रेनिंग शुरू होती है. 

सवाल:कब लगती है गंगा में 108 डुबकी?
जवाब:कुंभ में पहले उसका मुंडन करवाया जाता है और फिर नदी में 108 डुबकी लगवाई जाती है. डुबकी लगाने के बाद अखाड़े के 5 संन्यासियों को अपना गुरु बनाया जाता है. गंगा में 108 डुबकी लगाने के बाद क्षौर कर्म और विजय हवन होगी.

सवाल: कितने घंटे तक बिना खाना-पानी के तपस्या?
जवाब:नए साधुओं के लिए प्रयागराज कुंभ की नागा दीक्षा अहम होती है. 24 घंटे तक बिना भोजन-पानी के यह तपस्या करनी होती है. इसके बाद अखाड़ा कोतवाल के साथ सभी को गंगा तट पर ले जाया जाता है..

सवाल:अवधूत प्रक्रिया क्या होती है?
जवाब: फिर अवधूत बनाने की प्रक्रिया शुरू होती है. अवधूत बनाने में साधु का जनेऊ संस्कार किया जाता है, 17 पिंडदान करवाए जाते हैं. संन्यासी बनने की शपथ दिलाई जाती है. फिर इसके बाद दंडी संस्कार होता है और फिर पूरी रात ॐ नमः शिवाय का जाप करना पड़ता है. 

सवाल:कैसी होती है बिजवान प्रक्रिया?
जवाब:जाप के बाद सुबह ही व्यक्ति को अखाड़े में विजया हवन करवाया जाता है और फिर 10 डुबकियां गंगा में लगवाई जाती है. अखाड़े के ध्वज के साथ दंडी त्याग करवाया जाता है. इस पूरी प्रक्रिया को बिजवान कहते हैं.

सवाल:आखिरी परीक्षा कौन सी होती है?
जवाब:बिजवान के बाद अंतिम परीक्षा होती है दिगंबर और श्रीदिगम्बर की. दिगम्बर नागा साधु एक लंगोट धारण कर सकता है, लेकिन श्री दिगम्बर को बिना कपड़ों के रहना होता है. श्री दिगम्बर की इंद्री तोड़ दी जाती है और फिर नागा साधु बने शख्स को वन, हिमालय, आश्रम और पहाड़ों में कठिन योग-साधना करना होता है. इस दौरान कितनी भी ठंड हो, लेकिन आप कपड़े नहीं पहन सकते हैं. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE UPUK इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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