Budaun Surya Kund: बदायूं में सूर्यकुंड को लेकर बवाल मचा हुआ है. हिंदू संगठनों ने सूर्य कुंड पर जलाभिषेक करने का ऐलान किया है. इसको लेकर भारी पुलिस फोर्स तैनात कर दी गई है.
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Budaun Surya Kund: बदायूं में ऐतिहासिक सूर्य कुंड को लेकर नया बखेड़ा खड़ा होता दिख रहा है. बदायूं में मझिया गांव में सूर्य कुंड पर कब्जे लेकर हिंदू और बौद्ध समुदाय आमने-सामने आ गए हैं. प्राचीन सूर्य कुंड को बौद्ध भिक्षु और अनुयायी बौद्ध विहार होने का दावा कर रहे हैं तो वहीं हिंदू पक्ष इसे प्राचीन शिव मंदिर होने का दावा कर रहा है. इन सबके बीच हिंदू पक्ष ने सूर्य कुंड पर जलाभिषेक करने का ऐलान कर दिया है. इसके बाद एक बार फिर विवाद गरमा गया. आइये जानते हैं सूर्य कुंड शिव मंदिर है या बौद्ध विहार?.
पहले जान लें कैसे गरमाया विवाद
दरअसल, पिछले दिनों 7 दिसंबर को बदायूं के मझिया गांव में बड़ी संख्या में विश्व हिंदू परिषद और बजरंगदल के पदाधिकारी पहुंचे. यहां ऐतिहासिक सूर्य कुंड पर शिवलिंग और नंदी की मूर्तियों पर जलाभिषेक कर पूजा पाठ शुरू कर दी. इसकी भनक बौद्ध अनुयायिओं को लगी तो वह सामने आ गए. अगले दिन बौद्ध भिक्षुओं ने बौद्ध विहार होने का दावा कर मालवीय आवास पर बैठक कर आंदोलन की चेतावनी दी. इस दौरान विहिप पदाधिकारी और बौद्ध भिक्षु आमने-सामने आ गए. 16 दिसंबर को बौद्ध समुदाय से जुड़े तीन हजार लोग एकत्रित हो गए. विवाद को देखते हुए वहां भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है.
1200 साल पहले सूर्य कुंड का निर्माण
जानकारी के मुताबिक, करीब 1200 साल पहले सती प्रथा के दौरान बदायूं शहर के बाहर सूर्य कुंड का निर्माण कराया गया था. यहां महिलाएं पति की मृत्यु के बाद सती होती थीं. इस कुंड के पास आज भी कई सती मठिया बनी है. जानकारों का कहना है कि 1200 साल पहले राजा महिपाल का बदायूं में शासन था. उस समय सती प्रथा का दौर चला रहा था. महिलाएं सती होती थीं. उसके लिए अलग से जगह की व्यवस्था शहर से बाहर की गई थी. मझिया गांव में ऐतिहासिक सूर्य कुंड में नहाने के बाद महिलाएं सती होती थीं.
सूर्य कुंड को पर्यटन के रूप में विकसित किया गया
बताया गया कि इस कुंड के पास भगवान शंकर का मंदिर है. यह पूरी जमीन भगवान शंकर के नाम है. करीब 80 बीघे जमीन पर कुछ लोगों द्वारा कब्जा कर लिया था. इसके बाद सूर्य कुंड के विकास के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया. फिर ऐतिहासिक सूर्य कुंड पर सौंदर्यीकरण कराकर इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर दिया गया. अब यहां म्यूजियम भवन, मेटीटेशन सेंटर, पंडाल और बुद्ध स्पूत बना दिया गया.
आसपास के लोगों का क्या है कहना
आसपास के लोगों का कहना है कि यहां भगवान शिव का प्राचीन मंदिर है. इसमें शिवलिंग और नंदी दोनों विराजमान हैं. सती प्रथा के समय यहां सती होने वाली महिलाएं सूर्य कुंड में स्नान करती थीं और सती हो जाती थीं. इनकी याद में सती मंदिर बनाए गए हैं, जो अब भी यहीं पर हैं. यहां एक अंबेडकर पार्क है. साथ ही यहां महात्मा बुद्ध की एक प्रतिमा भी है. बौद्ध भिक्षुओं का कहना है कि यहां बौद्ध विहार है. भगवान बुद्ध ने मझयम निकाय का उपदेश दिया था, इसलिए इस गांव का नाम मझिया पड़ा.
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