संपत्ति के मामले में भारत में 40 फीसदी से ज्यादा बुजुर्ग गरीब: संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट
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संपत्ति के मामले में भारत में 40 फीसदी से ज्यादा बुजुर्ग गरीब: संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट

Elderly People: 60 साल की उम्र में, भारत में एक व्यक्ति 18.3 साल और जीने की उम्मीद कर सकता है, जो महिलाओं के मामले में 19 साल और पुरुषों के मामले में 17.5 साल है.

संपत्ति के मामले में भारत में 40 फीसदी से ज्यादा बुजुर्ग गरीब: संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट

United Nations: संयुक्त राष्ट्र की एक नई रिपोर्ट के अनुसार भारत में 40 फीसदी से ज्यादा बुजुर्ग संपत्ति के मामले में गरीब हैं और करीब 18.7 प्रतिशत बुजुर्गों के पास आमदनी का कोई जरिया नहीं है. संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) की ‘इंडिया एजिंग रिपोर्ट 2023’ में कहा गया है कि बुजुर्गों में गरीबी का यह स्तर उनके जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकता है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल मिलाकर, भारत में हर पांच में दो बुजुर्ग संपत्ति के लिहाज से गरीब श्रेणी में हैं. यह जम्मू- कश्मीर में 4.2 प्रतिशत और पंजाब में पांच प्रतिशत है जबकि लक्षद्वीप में 40.2 प्रतिशत और छत्तीसगढ़ में 47 प्रतिशत है. उनके काम, पेंशन और आय की स्थिति के विश्लेषण से पता चलता है कि 18.7 प्रतिशत बुजुर्गों के पास आमदनी का कोई जरिया नहीं है. रिपोर्ट में कहा गया है कि 17 राज्यों में यह अनुपात राष्ट्रीय स्तर से ज्यादा है. उसके मुताबिक, उत्तराखंड में यह 19.3 प्रतिशत है तो लक्षद्वीप में 42.4 फीसदी है.

रिपोर्ट में बताया गया है कि वृद्ध महिलाओं में उच्च जीवन प्रत्याशा है, जो कई देशों की प्रवृत्ति के अनुरूप है. संयुक्त राष्ट्र की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक, 60 साल की उम्र में, भारत में एक व्यक्ति 18.3 साल और जीने की उम्मीद कर सकता है, जो महिलाओं के मामले में 19 साल और पुरुषों के मामले में 17.5 साल है. रिपोर्ट में कहा गया है कि उदाहरण के लिए, हिमाचल प्रदेश और केरल में, 60 वर्ष की महिलाओं की जीवन प्रत्याशा क्रमशः 23 और 22 वर्ष है, जो इन राज्यों में 60 वर्ष के पुरुषों की तुलना में चार वर्ष अधिक है जबकि राष्ट्रीय औसत में सिर्फ डेढ़ साल का अंतर है.

रिपोर्ट के मुताबिक, राजस्थान, हरियाणा, गुजरात, उत्तराखंड, केरल, हिमाचल प्रदेश और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में 60 वर्ष की महिलाओं की जीवन प्रत्याशा 20 वर्ष से अधिक है. रिपोर्ट में कहा गया है कि बुढ़ापे में गरीबी स्वाभाविक रूप से लैंगिक आधारित होती है जब वृद्ध महिलाओं के विधवा होने, अकेले रहने, आय का कोई स्रोत नहीं होने और अपनी संपत्ति कम होने तथा आश्रय के लिए पूरी तरह से परिवार पर निर्भर होने की संभावना ज्यादा होती है.

बुधवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि बुजुर्ग विधवा महिलाएं अक्सर अकेली रहती हैं और उन्हें बहुत कम आश्रय मिलता है तथा उन्हें कई बीमारियां घेर लेती हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि बुजुर्गों में महिलाओं का ज्यादा प्रतिशत "जनसांख्यिकीय संरचना में उच्च असंतुलन" को दर्शाता है. साल 1991 के बाद से, बुजुर्गों में लिंगानुपात (प्रति 1,000 पुरुषों पर महिलाएं) लगातार बढ़ रहा है, जबकि सामान्य आबादी का लिंगानुपात स्थिर है. इसका मतलब है कि पुरुषों की तुलना में बुजुर्ग महिलाओं की संख्या अधिक है. रिपोर्ट के अनुसार 2014 से 2021 के बीच कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) पहल के तहत बुजुर्गों पर खर्च में 182 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. इनपुट-एजेंसी

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